विपक्ष के ‘मायाजाल’ को भेदने के लिए बीजेपी फिर से पुराने फॉर्मूले पर लौटी

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 26, 2018 06:07 PM2018-06-26T18:07:30+5:302018-06-26T18:07:30+5:30

यूपी में हुए उपचुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन से एक के बाद एक मात खा चुकी भाजपा कई रणनीतियों पर काम कर रही है

Bjp new formula in uttar pradesh to win 2019 election | विपक्ष के ‘मायाजाल’ को भेदने के लिए बीजेपी फिर से पुराने फॉर्मूले पर लौटी

विपक्ष के ‘मायाजाल’ को भेदने के लिए बीजेपी फिर से पुराने फॉर्मूले पर लौटी

लखनऊ, 26 जून( मीना-कमल) , यूपी में हुए उपचुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन से एक के बाद एक मात खा चुकी भाजपा कई रणनीतियों पर काम कर रही है. रणनीति के पहले चरण में दूसरे दलों के प्रमुख और प्रभावशाली नेताओं को भाजपा में शामिल कराना है. यह रणनीति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की है, लेकिन जानकारों के मुताबिक अमित शाह को मालूम है कि सिर्फ इससे बात नहीं बनने वाली. वह  वर्षो पहले भाजपा के उस समय के संगठन महामंत्री गोविंदाचार्य और मौजूदा गृह मंत्री राजनाथ सिंह के फार्मूले की ओर लौटते दिख रहे हैं.

दरअसल, 1980 के दशक में जब भाजपा दो सांसदों वाली पार्टी थी तो संगठन को विस्तार देने के मकसद से गोविंदाचार्य ने सोशल इंजीनियरिंग का एक फार्मूला निकाला था. उनका मानना था कि भाजपा को अपनी उस पारंपरिक पहचान को बदलना होगा, जिसके तहत उसे ब्राह्मणों और बनियों की पार्टी माना जाता है. उन्होंने उस दौर में संगठन के स्तर पर यह कोशिश की कि पिछड़े और दलित वर्ग में जिन जातियों का उचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं है, उन्हें भाजपा अपने साथ जोड़ने की कोशिश करे. यूपी के लिए गोविंदाचार्य की सोशल इंजीनियरिंग यह थी कि गैर यादव पिछड़ों और गैर जाटव दलितों को भाजपा के साथ जोड़ा जाए. पार्टी के अंदर और बाहर के लोग भी यह मानते हैं कि गोविंदाचार्य के इस फार्मूले से भाजपा को एक राष्ट्रीय पार्टी बनने की प्रक्रि या में काफी लाभ मिला, लेकिन जब 2000 में गोविंदाचार्य भाजपा से बाहर हुए तो पार्टी उनके फार्मूले पर उतने योजनाबद्ध तरीके से आगे नहीं बढ़ा पाई.

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राजनाथ ने गोविंदाचार्य के फार्मूले में एक नया आयाम जोड़ायूपी में जब मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह थे तो उन्होंने गोविंदाचार्य के फार्मूले में एक नया आयाम जोड़ा. राजनाथ ने यह फार्मूला दिया था कि ओबीसी कोटे के अंदर तीन श्रेणियां बनाकर आरक्षण के लाभ को तीन हिस्सों में बांट दिया जाए, ताकि आरक्षण का लाभ अन्य पिछड़ा वर्ग की हर जरूरतमंद जाति तक पहुंच सके. लेकिन मुख्यमंत्री रहते राजनाथ भी अपने फार्मूले को लागू नहीं कर पाए. चौदह साल बाद सत्ता में भाजपा की वापसी के बावजूद इस फार्मूले की ओर पार्टी का ध्यान नहीं गया था, लेकिन अब सपा-बसपा के गठबंधन और इनके साथ कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल को मिलाकर बनने वाले संभावित महागठबंधन की चुनौती से निपटने के लिए भाजपा वहीं से सोशल इंजीनियरिंग को आगे बढ़ाने पर काम कर रही है, जहां गोविंदाचार्य और राजनाथ सिंह ने इसे छोड़ा था.

ज्यादा पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की योजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार इस योजना पर काम कर रही है कि पिछड़े वर्ग की 17 जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में डाल दिया जाए. सूत्र बताते हैं कि  भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के निर्देश पर राज्य सरकार ने पिछड़े वर्ग की काफी ज्यादा पिछड़ी 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है, ताकि उन्हें आरक्षण का लाभ और अन्य सुविधाएं अनुसूचित जाति के कोटे के तहत मिल पाएं. भाजपा के एक नेता का कहना है कि  पार्टी को इससे निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा.  जिन वर्गों में भाजपा के खिलाफ अविश्वास पैदा करने की कोशिश विपक्ष की ओर से हो रही है, उन वर्गों में यह संदेश जाएगा कि भाजपा हर वर्ग को अपने साथ लेकर चलने वाली पार्टी है.

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Web Title: Bjp new formula in uttar pradesh to win 2019 election

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