बिहार में प्रशांत किशोर के हमलावर रुख को लेकर बीजेपी सतर्क, सीट बंटवारे में मिलेगी मदद!

By संतोष ठाकुर | Published: February 20, 2020 08:54 AM2020-02-20T08:54:18+5:302020-02-20T11:01:28+5:30

क्या प्रशांत किशोर का जदयू पर हमला भाजपा के लिए मुसीबत नहीं बनेगा? इस सवाल के जवाब में एक भाजपा सांसद ने कहा कि इस समय कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. किशोर के अगले कदम के बाद ही भाजपा अपना रुख तय करेगी.

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बिहार में प्रशांत किशोर के हमलावर रुख को लेकर बीजेपी सतर्क, सीट बंटवारे में मिलेगी मदद!

Highlightsप्रशांत किशोर ने जेडीयू और नीतीश कुमार को भाजपा का पिछलग्गू कहा है.ऐसे में भाजपा का आकलन है कि इससे उसे नुकसान नहीं होगा.

सियासी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ अपनाए गए हमलावर रुख से जहां जेडीयू भौचक है तो वहीं भाजपा इस हलचल को लेकर फिलहाल परेशान नहीं है. क्योंकि भाजपा ने सतर्क रहने का निर्णय किया है. प्रशांत किशोर ने जेडीयू और नीतीश कुमार को भाजपा का पिछलग्गू कहा है. ऐसे में भाजपा का आकलन है कि इससे उसे नुकसान नहीं होगा. यह जदयू पर ही मनोवैज्ञानिक दबाव बनाएगा और बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सीटों के बंटवारे के समय भाजपा का ही पलड़ा भारी रहेगा. 

हालांकि भाजपा के एक आला पदाधिकारी ने कहा कि अगर प्रशांत किशोर बिहार चुनाव के दौरान मोदी-नीतीश के गठबंधन पर हमला करने को लेकर कोई रणनीति बनाते हैं तो उसी के लिहाज से भाजपा भी अपना जवाब देगी. इस समय हम केवल स्थिति का आकलन कर रहे हैं.

भाजपा का ताजा आकलन है कि प्रशांत किशोर संभवत: नई पार्टी बनाने या किसी दल में शामिल होने का जोखिम नहीं लेंगे. वह यह प्रयास कर सकते हैं कि बिहार में आम आदमी पार्टी (आप) की फ्रैंचाइजी या उसके नेता के रूप में अपने को स्थापित करने के क्रम में दिल्ली सरकार से मंत्री का दर्जा हासिल करने वाला कोई पद ले लें. जिससे 'आप' को बिहार में विस्तार मिल जाएगा और उन्हें मंत्री का दर्जा हासिल हो जाएगा. 

इस तरह के आकलन के पीछे दिल्ली चुनाव में प्रशांत किशोर का आम आदमी पार्टी का मुख्य रणनीतिकार रहना रहा है. लेकिन इसे लेकर भाजपा पूरी तरह आश्वस्त नहीं है. उसका तर्क है कि ऐसा करके वह अपना समस्त काम-धंधा दांव पर नहीं लगाएंगे. 

क्या प्रशांत किशोर का जदयू पर हमला भाजपा के लिए मुसीबत नहीं बनेगा? इस सवाल के जवाब में एक भाजपा सांसद ने कहा कि इस समय कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. किशोर के अगले कदम के बाद ही भाजपा अपना रुख तय करेगी. लेकिन हम बिहार में गठबंधन की सरकार बनाएंगे और इस पर प्रशांत किशोर के कदमों का कोई असर नहीं होगा. उल्लेखनीय है कि 2014 में हुए आम चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रणनीतिकार और बिहार सरकार के साथ हाल तक एक प्रमुख राजनीतिक योजनाकार के रूप में जुड़े रहे हैं.

प्रशांत किशोर ने ही 2015 में जदयू-राजद के सामने चुनाव लड़ने वाली भाजपा और पीएम मोदी को घेरने के लिए उस समय रणनीति बनाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कहा था कि वह मोदी को उनके डीएनए के सवाल पर घेरने का कार्य करें. उनकी सलाह पर ही नीतीश ने उस समय मोदी पर हमलावर होते हुए कहा था कि आखिर उन्होंने यह कैसे कहा कि बिहार का डीएनए खराब है. प्रशांत किशोर का यह दांव काम कर गया और मोदी उस बात के लिए बिहार की जनता के सामने कठघरे में आ गए जो किसी अन्य संदर्भ में कही गई थी और जिसमें बिहार के डीएनए पर कोई सवाल ही नहीं उठाया गया था. उस विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार हुई थी.

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