Bihar News: विरोधियों का लालू यादव को अजब गिफ्ट! 73वें जन्मदिन पर लगा दिया 73 संपत्तियों की लिस्ट वाला पोस्टर
By विनीत कुमार | Published: June 11, 2020 10:58 AM2020-06-11T10:58:18+5:302020-06-11T10:58:18+5:30
बिहार में ये चुनावी साल है। इसे देखते हुए पक्ष और विपक्ष में पोस्टर वॉर शुरू हो चुका है। लालू प्रसाद यादव के आज जन्मदिन के मौके पर भी ये पोस्टर वॉर जारी है।
राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो और बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके लालू प्रसाद यादव का आज 73वां जन्मदिन है। बिहार में ये चुनावी साल है और ऐसे में लालू के जन्मदिन पर भी पोस्टर वॉर जारी है। दरअसल, विरोधियों ने लालू के जन्मदिन के मौके पर शहर में कई जगहों पर पोस्टल लगावाए हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार जेडीयू की ओर से लगाए इन पोस्टर्स में उन 73 संपत्तियों का ब्योरा दिया गया है, जिस पर लालू और उनके परिवार का हक है।
हालांकि, जेडीयू की ओर से ये साफ नहीं किया गया है कि पोस्टर उसी की ओर से लगाया गया है। पटना की सड़कों पर लगे ये पोस्टर सुबह से चर्चा का विषय बने हुए हैं। दिलचस्प ये है कि ये पोस्टर आरडेजी के उन पोस्टर के ठीक करीब लगाए गए हैं, जिसमें लालू को जन्मदिन की बधाई दी जा रही है।
Bihar: Poster put up by RJD leaders, wishing Lalu Prasad Yadav on his birthday, & another poster put by JD(U), claiming to be a list of 73 properties acquired by him & his family using political influence, seen side-by-side in Patna.
— ANI (@ANI) June 11, 2020
Lalu Yadav celebrates his 73rd birthday today pic.twitter.com/ZubYV5jzyx
विरोधियों की ओर से लगाए गए इस पोस्ट में लिखा है- 'लालू परिवार का संपत्तिनामा।' साथ ही लिखा गया है कि ये संपत्तियां राजनीतिक धौंस से बटोरी गईं हैं, जिनकी श्रृंखला शेष है। उन संपत्तियों को आगे सामने लाया जाएगा।
कल भी लगे थे कई पोस्टर
इससे पहले बुधवार को भी लालू-राबड़ी की पूर्व में बिहार में रही सरकार और शासन व्यवस्था पर विरोधियों की ओर से निशाना साधा गया था। ये पोस्टर पटना के हडताली मोड़, आयकर गोलंबर और फ्रेजर रोड में कई जगहों पर लगाए गये थे।
उस पोस्टर में लालू और राबड़ी देवी की तस्वीर के साथ साथ शहाबुद्दीन और राजबल्लभ यादव को भी दिखाया गया था। साथ ही लिखा गया, 'पति-पत्नी की सरकार। सौदागरों को लज्जा भले क्यों उसके लिए व्यापार था सरकार। जनता कहे पुकार के जब भी जी करता था कुछ करूं क्या करता डर लगता था। बिहार में व्यवस्था खराब नहीं थी बल्कि व्यवस्था ही नहीं थी।'