तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर बोला हमला, पोस्टर लगाकर बोले- मजदूर भाइयों को लुटेरा क्यों कहा
By एस पी सिन्हा | Published: June 6, 2020 06:57 PM2020-06-06T18:57:57+5:302020-06-06T18:57:57+5:30
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सार्वजनिक रूप से मजदूरों से माफी मांगने की नसीहत दी थी. वहीं, आज अचानक वह राजद दफ्तर पहुंचे और खुद पोस्टर लगाने के लिए लिए सीढ़ी पर चढ़ गए. तेजस्वी यादव ने समर्थकों की मदद से राजद कार्यालय में श्रमिकों के मुद्दों को लेकर खुद पोस्टर लगाया है.
पटनाः बिहार में एडीजी (लॉ एंड आर्डर) अमित कुमार पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. 29 मई को जारी पत्र को भले ही पुलिस मुख्यालय ने वापस ले लिया है, लेकिन तेजस्वी यादव श्रमवीरों के अपमान को भूलने को तैयार नहीं है.
शुक्रवार को ही उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सार्वजनिक रूप से मजदूरों से माफी मांगने की नसीहत दी थी. वहीं, आज अचानक वह राजद दफ्तर पहुंचे और खुद पोस्टर लगाने के लिए लिए सीढ़ी पर चढ़ गए. तेजस्वी यादव ने समर्थकों की मदद से राजद कार्यालय में श्रमिकों के मुद्दों को लेकर खुद पोस्टर लगाया है.
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने श्रमिकों को पुलिस मुख्यालय की ओर से राज्य के लिए खतरा बताने वाली चिट्ठी के होर्डिंग को स्वयं लगाया है. उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया है कि श्रमिकों का अपमान करने वाली बिहार सरकार के खिलाफ हर गली-मोहल्ले, टोले, पंचायत, प्रखंड और ज़िलास्तर पर इस चिट्ठी के बैनर, पोस्टर और होर्डिंग लगाकर राज्य सरकार की ग़रीबों के प्रति सोच को उजागर करें.
दफ्तर के बाहर लगाए गए पोस्टर में लिखा गया है -नीतीश कुमार बताएं? सवाल नंबर1 -बिहारी श्रमिक गुंडे क्यों दिखे? सवाल नंबर 2- उन्हें बिहारी श्रमवीर अपराधी क्यों लगे? सवाल नंबर 2- उन्हें बिहारी श्रमवीर अपराधी क्यों लगे? सवाल नंबर 3- उन्होंने मजदूर भाइयों को लुटेरा क्यों कहा? सवाल नंबर 4- श्रमिको को रोजगार देने से इंकार क्यों किया? सवाल नंबर 5- बेरोजगारों का अपमान क्यों किया?
बिहार सरकार की उस चिट्ठी का भी जिक्र है जिसमें श्रमिकों से बिहार में खतरा बताया गया था
तेजस्वी यादव ने जो पोस्टर लगाया है उसमें बिहार सरकार की उस चिट्ठी का भी जिक्र है जिसमें श्रमिकों से बिहार में खतरा बताया गया था. तेजस्वी यादव ने कल यानि रविवार को पूरे अमित शाह के वर्चुअल रैली के खिलाफ थाली पीटने का ऐलान किया है.
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने श्रमिकों को लेकर चिट्ठी जारी की थी उस चिट्ठी में साफ तौर पर विश्वासघात है बेशर्मी. इसमें लिखा हुआ एक एक शब्द नीतीश कुमार जी के अंतरात्मा का शब्द है. नीतीश कुमार के दो ही काम है एक खंजर घोंपना और दूसरा किसी और के कंधों से बंदूक चलाना.
उन्होंने पुलिस मुख्यालय से जारी उस पत्र पर कड़ी आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया है ‘प्रवासी मजदूर परेशानी में हैं. कुछ गलत कर सकते हैं. इससे विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होगी. लिहाजा पुलिस इसकी तैयारी पूरी कर ले. पार्टी कार्यालय में प्रेस कान्फ्रेंस में उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार शायद मजदूरों को अपराधी समझती है.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इससे मानसिकता नहीं बदल जाती है. उन्होंने राज्य सरकार पर संवेदनहीन होने का आरोप लागया. उन्होंने उस पत्र को की शब्दावली की पोस्टर बनवाई और बकायदा उसे राजद प्रदेश कार्यालय के सामने खुद लगाया. तेजस्वी ने कहा कि 29 मई को जो पत्र जारी किया गया, उसमें श्रमवीरों का अपमान किया गया है. अब भले ही उस पत्र को भुलवश जारी होने की बात कही जा रही हो. लेकिन इतना तो साफ है कि सरकार की मंशा साफ हो गई है.
घर वापसी करनेवाले अपराधी हैं तो यह संदेश भी जन-जन तक जाना चाहिए
उन्होंने कहा कि जब सरकार की यही मंशा है कि घर वापसी करनेवाले अपराधी हैं तो यह संदेश भी जन-जन तक जाना चाहिए. उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि पत्र 29 मई को जारी किया गया और 4 जून तक इसे वापस नहीं लिया गया. 5 जून को जब मैंने संवाददाता सम्मेलन किया तो इसे भुलवश जारी होने की बात कहकर दूसरा पत्र जारी किया गया.
अब लाजिमी है कि इतने समय तक सरकार या उसके अधिकारी सोए हुए थे? उस समय तक पत्र की भाषा पर किसी का ध्यान क्यों नहीं गया? उन्होंने कहा कि दरअसल नीतीश कुमार की बाहर से अपने घर लौटे मजदूर भाइयों के प्रति मंशा स्पष्ट हो गई है. मुख्यमंत्री ने खुद पत्र पर अफसोस भी जाहिर नहीं किया है और ना ही सामने आकर कुछ कहा है. उन्होंने नीतीश कुमार से कहा कि वे मजदूरों से सार्वजनिक मंच से माफी मांगें.
यहां उल्लेखनीय है कि डीजीपी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि पुलिस मुख्यालय को विभिन्न स्रोतों से अलग-अलग तरह की सूचनाएं प्राप्त होती रहती हैं. इसी प्रकार प्रवासियों को लेकर एक सूचना आई थी, जिसे एडीजी ने सभी जिलों में भेज दिया था. बाद में एडीजी को लगा कि यह सूचना नहीं भेजी जानी चाहिए थी, इसलिए उन्होंने इसे वापस भी ले लिया. इस मौके पर एडीजी विधि-व्यवस्था अमित कुमार भी मौजूद थे.