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बिहार विधानसभा चुनावः राजद ने आयोग को लिखा पत्र, सवाल पूछा- आखिर जान की कीमत पर कितना सही है?

By एस पी सिन्हा | Updated: July 31, 2020 17:27 IST

चुनाव आयोग में संक्रमण की स्थिति को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों से चुनाव प्रचार को वर्चुअल तरीके या फिर डिजिटल कैंपेन के जरिए वोटरों से संपर्क किए जाने पर सुझाव मांगा था. इस पर राजद ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है और कहा है कि बिहार में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ते जा रहा है. ऐसे में चुनाव कराना खतरे से खाली नहीं है.

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ठळक मुद्देउल्लेखनीय है कि बिहार के तमाम विपक्षी दल चुनाव टालने की मांग कर रहे हैं, जबकि सत्तारूढ़ दल भाजपा और जदयू चुनाव के पक्ष में है. चिराग पासवान भी कह चुके हैं कि अगर इन परिस्थितियों में बिहार में चुनाव होते हैं तो एक बड़ी आबादी को खतरे में झोकने जैसा होगा. अब्दुल बारी सिद्धकी ने अपने पत्र के जरिए चुनाव आयोग से सवाल पूछा है कि आखिर जान की कीमत पर चुनाव कितना सही है?

पटनाः बिहार में कोरोना काल में विधानसभा चुनाव कराने को लेकर एक ओर जहां चुनाव आयोग लगातार तैयारियों में जुटा हुआ है, वहीं दूसरी ओर बिहार में तमाम विपक्षी दल चुनाव टालने की मांग करने लगे हैं.

चुनाव आयोग में संक्रमण की स्थिति को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों से चुनाव प्रचार को वर्चुअल तरीके या फिर डिजिटल कैंपेन के जरिए वोटरों से संपर्क किए जाने पर सुझाव मांगा था. इस पर राजद ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है और कहा है कि बिहार में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ते जा रहा है. ऐसे में चुनाव कराना खतरे से खाली नहीं है.

यहां उल्लेखनीय है कि बिहार के तमाम विपक्षी दल चुनाव टालने की मांग कर रहे हैं, जबकि सत्तारूढ़ दल भाजपा और जदयू चुनाव के पक्ष में है. हालांकि भाजपा और जदयू की सहयोगी लोजपा सांसद चिराग पासवान भी कह चुके हैं कि अगर इन परिस्थितियों में बिहार में चुनाव होते हैं तो एक बड़ी आबादी को खतरे में झोकने जैसा होगा.

राजद ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कई सवाल उठाये हैं

अब राजद ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कई सवाल उठाये हैं. राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्धकी ने अपने पत्र के जरिए चुनाव आयोग से सवाल पूछा है कि आखिर जान की कीमत पर चुनाव कितना सही है? उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त को जो जवाब दिया है उसमें डिजिटल कैंपेन को खारिज करने की बात कही है.

चुनाव आयोग को लिखे पत्र में राजद ने कहा कि बिहार में भाजपा के अध्यक्ष समेत 75 पार्टी के पदाधिकारी कोरोना संक्रमित पाए गए, जिस वजह से भाजपा प्रदेश कार्यालय को सील किया गया. कोरोना के कारण कई राजनीतिक दलों के नेताओं की मृत्यु हुई है. ऐसे में हम चुनाव आयोग से जानना चाहेंगे कि बढ़ते संक्रमण के आंकड़ों के बीच क्या लोगों को संक्रमण से बचाने के अब तक के प्रयासों से चुनाव आयोग संतुष्ट है? 

आगे लिखा है कि अगर हां तो संतुष्ट होने के कारक और कारण नागरिकों को साझा किए जाएं…

सिद्दीकी ने आगे लिखा है कि अगर हां तो संतुष्ट होने के कारक और कारण नागरिकों को साझा किए जाएं… ताकि लोग भयमुक्त माहौल में लोकतंत्र के पर्व में शामिल हो सकें. उन्होंने लिखा है कि ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अक्टूबर-नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के समय तक बिहार में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 10 लाख के आसपास होगी.

इसके मद्देनजर लोगों के मन में चुनाव के दौरान कोरोना संक्रमण के विस्तार को लेकर अनेक प्रश्न उठ रहे हैं. डब्लू एच ओ का भी मानना है कि अक्टूबर नवंबर महीने में संक्रमण उच्च स्तर पर होगा. सिद्दिकी ने राष्ट्रीय जनता दल की तरफ से कुल 13 बिंदुओं का जिक्र करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र भेजा है इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए फिलहाल बिहार में चुनाव कराना आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.

राजद ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि सर्वदलीय बैठक के दौरान वह जिस स्टैंड पर था आज भी उस पर कायम है. सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को बराबरी का अवसर मिले, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो, इसके लिए ऐसी प्रणाली विकसित करने की जरूरत है, जिससे लोकतंत्र भी स्वस्थ रहे. 

प्लेटफॉर्म लेवल प्लेयिंग फील्ड को एक समान नहीं रहने देता है

सिद्दिकी ने लिखा है कि प्लेटफॉर्म लेवल प्लेयिंग फील्ड को एक समान नहीं रहने देता है. प्रचार अगर परंपरागत तरीके से नहीं होते हैं तो संवाद सीमित हो जाता है जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने लिखा है कि ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अक्टूबर-नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के समय तक बिहार में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 10 लाख के आसपास होगी.

इसके मद्देनजर लोगों के मन में चुनाव के दौरान कोरोना संक्रमण के विस्तार को लेकर अनेक प्रश्न उठ रहे हैं. हम चुनाव आयोग से यह भी जानना चाहेंगे कि आयोग की नजर में क्या बिहार में कोरोना की भयावह स्थिति है? अगर हां तो चुनाव कितना आवश्यक है? जिंदगी की कीमत पर बस रस्म अदायगी के लिए चुनाव कितना जरूरी है?

चुनाव में लोगों की संपूर्ण भागीदारी और निर्वाचन के साथ सतत संवाद पहले की तरह सुनिश्चित किया जाए. चुनाव आयोग लोगों को भरोसा दिलाए व सुनिश्चित करें कि पूरी चुनाव प्रक्रिया कोरोना संक्रमण के महाविस्फोट की एक घटना न बन जाए, मतदान के दिन करोड़ों लोगों के घर से बाहर निकल मतदान केंद्र जाने के क्रम में संक्रमण बढ़ने का डर होगा.

यदि मतदान बाद मतदाता संक्रमित हो जाते हैं और उनके साथ कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो क्या चुनाव आयोग मतदाताओं का जीवन बीमा कराने के बारे में चिंतित है? दरअसल, चुनाव आयोग में वर्चुअल और डिजिटल कैंपेन को लेकर सभी राजनीतिक दलों से उनकी राय मांगी थी. आज यानी 31 जुलाई को इसकी मियाद खत्म हो रही है. राजद ने 30 जुलाई को ही आयोग को इस बारे में विस्तार से जवाब दिया है.

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