ज्योतिरादित्य सिंधिया को भोपाल में मिल गया सरकारी बंगला, उमा भारती और दिग्विजय सिंह पड़ोसी होंगे
By शिवअनुराग पटैरया | Published: January 21, 2021 08:52 PM2021-01-21T20:52:00+5:302021-01-21T20:53:48+5:30
पूर्व केन्द्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2018 में कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष बनने के बाद भोपाल में स्थाई ठोर-ठिकाने के लिए सरकारी बंगले की तलाश की थी.
भोपालः पूर्व केन्द्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया को आखिर भोपाल में सरकारी बंगला मिल ही गया. सिंधिया बीते कई सालों से भोपाल में अपने अनुकल बंगला तलाश रहे थे.
उनकी यह तलाश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक अदद बंगला आवंटित कर पूरा कर दी है. अब वह शामला हिल्स पर मुख्यमंत्री निवास के समीप पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा उमा भारती और दिग्विजय सिंह के पड़ोसी होंगे. गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2018 में कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष बनने के बाद भोपाल में स्थाई ठोर-ठिकाने के लिए सरकारी बंगले की तलाश की थी, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें उपकृत नहीं किया.
इसके आखिर में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद फिर भोपाल में स्थाई पता बनाने के लिए सरकारी बंगला चाहा पर कमलनाथ ने भी उन्हें मनचाहा बंगला आवंटित नहीं किया. उन्होंने जो बंगला चाहा था. वह कमलनाथ ने अपने सांसद बेटे नकुल नाथ को आवंटित कर दिया. इस तरह बात आई गई हो गई.
बीते साल कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में आने के बाद से ही फिर सिंधिया के लिए माकूल और मनपसंद बंगले की तलाश हुई. अंतत: सिंधिया को मुख्यमंत्री निवास के समीप सिविल लाइंस में पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा उमा भारती और दिग्विजय सिंह के बीच में 5 नंबर का बंगला आवंटित हुआ. उनके ठीक समीप 6 नंबर के बंगले में उमा भारती रहती हैं. तो 1 नंबर के बंगले में दिग्विजय सिंह.
कोरोना काल में शिवराज सरकार ने कर दिए तीन हजार से ज्यादा तबादले
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने बताया कि कांग्रेस शुरू से ही यह आरोप लगाती रही है कि शिवराज सरकार में मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर ट्रांसफर उद्योग चल रहा है. सुबह-शाम अधिकारियों के तबादले किये जा रहे हैं, बड़ी लेनदेन की बातें सामने आ रही है और आज इस खुलासे के बाद की कोरोना के भीषण संकट काल में मात्र 303 दिन की सरकार ने 3 हजार से अधिक तबादले कर डाले, उससे कांग्रेस के आरोपो की पुष्टि हो गई है.
सलूजा ने बताया कि एक तरफ जहाँ कोरोना महामारी के संकट काल में सभी काम रूके हुए थे वही शिवराज सरकार का तबादला उद्योग बदस्तूर जारी था. आईएएस-आईपीएस अफसरों के केडर में 70 प्रतिशत तक अधिकारियो के तबादले, 90 प्रतिशत तक एसपी-कलेक्टर बदल दिए गए, इससे समझा जा सकता है कि शिवराज सरकार को अधिकारियों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं कर, सुबह-शाम तबादले कर जमकर वसूली की जा रही है.
सलूजा ने बताया कि शिवराज सरकार ने तबादला उद्योग में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, उसके लिए शिवराज सरकार का नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज होना चाहिए. अभी तो 3 हजार से अधिक तबादले ही हुए हैं, अभी उसके बाद भी 10 हजार से अधिक आवेदन पेंडिंग है, वहीं पेंडिंग आवेदनों की संख्या कुछ माह बाद 50 हजार के करीब पहुंचने की सम्भावना है, उसके बाद तो मध्यप्रदेश का नाम तबादला उद्योग में ब्रम्हाण्ड में भी शीर्ष पर आ जायेगा.