अखिलेश यादव ने कोरोना वायरस और प्रवासी मजदूरों को लेकर भाजपा पर दागे कई सवाल, पढ़ाया मानवता का पाठ

By गुणातीत ओझा | Published: May 21, 2020 03:28 PM2020-05-21T15:28:57+5:302020-05-21T15:28:57+5:30

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस से जुड़ी हजारों प्राथमिकी दर्ज हो रही हैं, जिनसे लगता है कि यह कोई चिकित्सकीय नहीं बल्कि 'आपराधिक' समस्या है।

Akhilesh Yadav fired many questions on BJP on corona virus and migrant laborers taught humanity lesson | अखिलेश यादव ने कोरोना वायरस और प्रवासी मजदूरों को लेकर भाजपा पर दागे कई सवाल, पढ़ाया मानवता का पाठ

अखिलेश यादव ने कोरोना वायरस और प्रवासी मजदूरों को लेकर भाजपा पर किया हमला, पूछे कई सावल।

Highlightsसपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस से जुड़ी हजारों प्राथमिकी दर्ज हो रही हैं, जिनसे लगता है कि यह कोई चिकित्सकीय नहीं बल्कि 'आपराधिक' समस्या है।अखिलेश ने ट्वीट किया, ''उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के संबंध में हज़ारों प्राथमिकी दर्ज हो रही हैं, जिससे ऐसा लगने लगा है कि ये कोई चिकित्सीय नहीं, बल्कि कोई ‘आपराधिक समस्या’ है।''

लखनऊ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस से जुड़ी हजारों प्राथमिकी दर्ज हो रही हैं, जिनसे लगता है कि यह कोई चिकित्सकीय नहीं बल्कि 'आपराधिक' समस्या है। अखिलेश ने ट्वीट किया, ''उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के संबंध में हज़ारों प्राथमिकी दर्ज हो रही हैं, जिससे ऐसा लगने लगा है कि ये कोई चिकित्सीय नहीं, बल्कि कोई ‘आपराधिक समस्या’ है।'' उन्होंने कहा कि पृथक-वास केन्द्रों की बदहाली एवं उनके प्रति भाजपा सरकार की भेदभावपूर्ण नीति की वजह से लोग वहां जाने से डर रहे हैं।

अखिलेश ने कहा, ''भाजपाई अपना संकीर्ण चश्मा बदलें।'' उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के उल्लंघन और जमाखोरी एवं काला बाजारी को काबू करने के लिए पुलिस पूरे प्रदेश में कार्रवाई कर रही है और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कर रही है। 1000 बसों को लेकर कांग्रेस और प्रदेश सरकार के बीच गतिरोध के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव एवं उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू सहित कांग्रेस नेताओं के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गयी है।

अखिलेश ने इससे पहले एक अन्य ट्वीट में कहा था, ''अव्यवस्था के इस दौर में भी भाजपा कमज़ोर लोगों पर अत्याचार करने से नहीं चूक रही ।'' उन्होंने कहा, ''गरीबों-मज़दूरों के साथ दुर्व्यवहार कर रही है और उन्हें घर तक न पहुंचाने के लिए तरह-तरह के बहाने ढूंढ रही है .... अति निंदनीय। ये भाजपाई राजनीति नहीं, षड्यंत्रकारी बाज़नीति है।'' सपा अध्यक्ष ने बुधवार को एक बयान में कहा था कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार कोरोना वायरस संकट के बीच मजदूरों की घर पहुंचने की व्याकुलता को भी अपने राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए इस्तेमाल करने में संकोच नहीं कर रही है । अखिलेश ने में कहा, ''प्रदेश में दिन-रात श्रमिकों की दुर्दशा की दर्दनाक कहानी सुनकर दिल दहल जाता है । रोज ही वे दुर्घटनाओं के शिकार होकर जानें गंवा रहे हैं । इस सबसे उदासीन भाजपा सरकार ने सभी मानवीय मूल्यों को रौंद दिया है ।''

उन्होंने कहा, ''समझ में नहीं आता कि जब सरकारी, निजी और स्कूलों की पचासों हजार बसें खड़े-खड़े धूल खा रही हैं तो प्रदेश की सरकार श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए इन बसों का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रही ? सरकार की हठधर्मिता बहुत भारी पड़ रही है ।'' अखिलेश ने कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा, ''जो मदद को हाथ बढ़ते हैं, उनको झटक देने का अमानवीय बर्ताव भाजपा का आचरण बन गया है ।'' उन्होंने कहा कि यह भाजपा सरकार की नौटंकी नहीं तो क्या है कि वह बहाने बनाकर श्रमिकों के घर पहुंचने में अवरोधक बन रही है। भूखे-प्यासे श्रमिक, महिलाएं एवं बच्चे भयंकर गर्मी में नारकीय यातना भोग रहे हैं । अखिलेश ने कहा कि भाजपा सरकार को वस्तुतः स्वयं इस बात का ‘‘फिटनेस सर्टिफिकेट’’ देना चाहिए कि क्या वह इस बदहाली में देश-प्रदेश का शासन-प्रशासन चलाने लायक है? देश-विदेश में भारत की छवि का ढिंढोरा पीटने वाले कहां हैं? सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा सरकार की गरीब और श्रमिक विरोधी नीतियों का ही फल है कि रोजाना ही सड़क हादसों में श्रमिकों की जानें जा रही हैं।

औरैया में मृतकों के साथ भाजपा सरकार के अंसेवदनशील बर्ताव को दुनिया जान चुकी है । उन्होंने कहा कि इटावा में ट्रक की चपेट में आकर छह किसानों की मौत हो गई । कानपुर में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हुई दुर्घटना में श्रमिक के बच्चे की मौत हो गई और 12 लोग घायल हो गए । आजमगढ़ के अतरौलिया क्षेत्र में राजमार्ग पर मऊ निवासी दो छात्रों सहित तीन लोगों की मौत हो गई । उन्होंने सवाल किए कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पुलिस कहां गश्त लगा रही है और आला अफसर कहां चौकसी बरत रहे हैं? जब अधिकारी मुख्यमंत्री की बात ही नहीं सुनते हैं तो इस राज्य का क्या होगा?

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