अकबर को अपने दरबार से दर-बदर करने पर असमंजस में बीजेपी, विधानसभा चुनाव में नुकसान
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 3, 2018 05:07 PM2018-11-03T17:07:34+5:302018-11-03T17:07:34+5:30
संतोष ठाकुर
नई दिल्ली, 2 नवंबर: पार्टी में नए मुसलमान चेहरे के तौर पर लाए गए एम. जे. अकबर को लेकर भाजपा असमंजस में है. अकबर पर पहले यौन उत्पीड़न और अब रेप के संगीन आरोप लगने के बाद भाजपा समझ नहीं पा रही है कि वह उन्हें पार्टी से निकाल दे या फिर उसी तरह इंतजार करे जैसा कि उन्हें विदेश राज्य मंत्री पद से हटाते समय किया था.
भाजपा के एक वर्ग का मानना है कि जब उन्हें हटाना ही था, तो उस समय विपक्षी दलों को पार्टी पर हमला करने का अवसर क्यों दिया गया. वहीं, एक पक्ष का कहना है कि मध्य प्रदेश से राज्यसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले अकबर को इस समय पार्टी से बाहर करना या निलंबित करना राजनीतिक तौर पर सरकार और पार्टी के लिए नुकसानदायक होगा. इस बीच अकबर ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित कई वरिष्ठ नेताओं के पास अपना पक्ष रखते हुए सफाई दी है.
इस पर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व मंथन कर रहा है. भाजपा का आकलन यह है कि अकबर को गांधी परिवार के खिलाफ तुरुप के पत्ते के रूप में लाने का मकसद अब भविष्य में पूरा होता नहीं दिख रहा है. उल्टे उनके आने से पार्टी के पुराने मुस्लिम नेताओं में असुरक्षा का भाव उत्पन्न हो गया था, जिससे पार्टी को नुकसान का अंदेशा था. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगले चुनाव में महिला सुरक्षा और इससे संबंधित मामले आएंगे, तो विपक्ष अकबर का मामला जरूर उठाएगा.
नेपथ्य में रहने की दी जा सकती सलाह : भाजपा के अंदर एक मत यह है कि अकबर को धीरे-धीरे नेपथ्य में रहने की सलाह दी जाए जिससे उन पर सार्वजनिक चर्चा खुद-ब-खुद खत्म हो जाए. संभव है कि आने वाले समय में वह स्वयं निष्क्रि य हो जाएं. सूत्र ने बताया कि अकबर ने यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद इस्तीफे की पेशकश के साथ पार्टी से भी अलग होने का प्रस्ताव दिया था. उस समय उन्हें इंतजार करने के लिए कहा गया था. वैसे, फिलहाल तय नहीं है कि रेप के आरोप के बाद अकबर के इंतजार का वक्त हो गया है या फिर उन्हें राज्यसभा का कार्यकाल पूरा करने का अवसर मिलेगा.
(संतोष ठाकुर लोकमत समाचार के दिल्ली ब्यूरो स्थित संवाददाता हैं।)