AAP विधायकों के लाभ के पद का मामला: अफसरों की गवाही के मसले पर हाई कोर्ट ने बड़ी पीठ को सौंपा मामला
By भाषा | Published: July 24, 2018 09:04 PM2018-07-24T21:04:32+5:302018-07-24T21:04:32+5:30
उच्च न्यायालय ने 23 मार्च के अपने फैसले में निर्वाचन आयोग की सिफारिशों को अनुचित करार दिया था और मुद्दे पर नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया था।
नयी दिल्ली , 24 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज आम आदमी पार्टी के कुछ विधायकों की उस याचिका को बड़ी पीठ को भेज दिया जिसमें उन्होंने उन पर संसदीय सचिव के रूप में लाभ के पद का आरोप लगाने वाले व्यक्ति से जिरह की अपनी मांग को खारिज करने के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती दी है।
कैलाश गहलोत सहित इन विधायकों ने यह भी आग्रह किया है कि दिल्ली सरकार के कुछ अधिकारियों को भी गवाह के रूप में बुलाने करने की अनुमति दी जाए। याचिकाएं सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति वी के राव के समक्ष सूचीबद्ध थीं।
न्यायमूर्ति राव ने कहा कि याचिकाओं में उच्च न्यायालय के 23 मार्च के उस फैसले पर स्पष्टीकरण की मांग की गई है जिसमें लाभ के पद के आरोप में 20 आप विधायकों को अयोग्य करने के निर्वाचन आयोग के फैसले का दरकिनार कर दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने 23 मार्च के अपने फैसले में निर्वाचन आयोग की सिफारिशों को अनुचित करार दिया था और मुद्दे पर नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया था।
विधायकों के वकीलों - मनीष वशिष्ठ और समीर वशिष्ठ ने दावा किया है कि इसका मतलब है कि उन्हें शिकायतकर्ता वकील प्रशांत पटेल से जिरह करने तथा गवाहों को भी तलब करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
निर्वाचन आयोग ने हालांकि तर्क दिया कि अदालत के आदेश का स्पष्ट मतलब केवल मौखिक दलीलों पर ही सुनवाई करने से है।
इसके बाद , एकल न्यायाधीश वाली पीठ ने निर्देश दिया कि मामले को दो अगस्त के लिए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना तथा न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की उसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए जिसने 23 मार्च का फैसला दिया था।
मार्च का आदेश विधायकों की उन याचिकाओं पर आया था जिनमें उन्होंने लाभ के पद के आरोप में अपनी अयोग्यता को चुनौती दी थी।
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