1 / 6होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। इस बार होलिका दहन 7 मार्च, मंगलवार को किया जाएगा। इसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इसके अगले दिन 8 मार्च को होली मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक पूजा-पाठ करने से समस्त प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं और साधकों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। किंतु होलिका दहन की पूजा के समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है, जिन्हें जान लेना जरूरी है।2 / 6शास्त्रों में बताया गया है कि होलिका दहन के दिन किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे- गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन इत्यादि को नहीं करना चाहिए। इन पर अशुभ प्रभाव पड़ने का खतरा बढ़ सकता है।3 / 6होलिका की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए नवविवाहित कन्याओं को होलिका की जलती हुई अग्नि को देखने से बचना चाहिए।4 / 6होलिका दहन की चिता को बनाने में पीपल, बरगद अथवा आम के वृक्ष की लकड़ी का प्रयोग भूलकर भी ना करें। ऐसा करना अशुभ माना जाता है और देवी-देवता क्रोधित हो जाते हैं।5 / 6होलिका का पूजन करते समय सर ढक खड़े होना चाहिए, यानि सर पर रूमाल या अंगोछा आदि अवश्य रखें। होली का भुना गन्ना चूसें, होला और अन्न अवश्य खायें ये प्रसाद होता है।6 / 6सास-बहू और घर के एकलौते बेटे को होलिका में आहुति नहीं डालनी चाहिए। सुझाव यह भी दिया जाता है कि सास और बहू को एक साथ होलिका दहन देखना भी नहीं चाहिए।