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जिंदगी भर शरीर में रहेगी कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडी, शोधकर्ताओं ने दी जानकारी

By संदीप दाहिमा | Updated: May 26, 2021 17:28 IST

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पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रही है। ऐसे में मानव जाति के लिए सुकून देने वाली जानकारी सामने आई है। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने कहा कि कोरोना के हल्के लक्षणों वाले मरीज का शरीर हमेशा कोरोना का सामना कर सकता है। इसका मतलब है कि आपके शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी का विकास होता रहेगा और ये एंटीबॉडीज कोरोना से लड़ते रहेंगे। सबसे सुकून देने वाली जानकारी यह है कि कोरोना संक्रमण के पहले लक्षण के 11 महीने बाद एंटीबॉडी फिर से उभर रहे हैं।
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अमेरिका के सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया यह अध्ययन नेचर जर्नल के 24 मई के अंक में प्रकाशित हुआ था। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के कुछ महीने बाद भी इंसानों में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी कोशिकाएं काम करती रहती हैं।
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ये एंटीबॉडीज लगातार कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर रहे हैं। सुकून देने वाली और आश्चर्यजनक बात यह है कि ये एंटीबॉडी आपके शरीर में जीवन भर रह सकते हैं। इसका मतलब है कि आपका शरीर जीवन भर प्रतिरक्षा बनाए रखेगा। यही इम्युनिटी कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम होगी।
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वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन के लेखक अली एल्बेदी ने कहा कि जब कोरोना वायरस की पहली लहर आई तो पिछली गर्मियों में यह बताया गया था कि संक्रमण के बाद एंटीबॉडी शरीर में लंबे समय तक नहीं रहती हैं। पर ये सच नहीं है। संक्रमण के बाद एंटीबॉडी समाप्त हो जाती हैं। इम्यून सिस्टम भी कमजोर होता है। लेकिन वे ठीक हो जाते हैं।
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एली एलबीडी ने कहा, 'संक्रमण के बाद कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का होना सामान्य है।' लेकिन यह वहां खत्म नहीं होता है। हमने देखा है कि पहले लक्षण के 11 महीने बाद भी शरीर में एंटीबॉडी विकसित हो जाती है। ये एंटीबॉडी कोशिकाएं जीवन भर लोगों को कोरोना वायरस से बचाने में मदद करेंगी। वे कभी खत्म नहीं होंगे। जब वायरस शरीर पर हमला करता है, तो ये एंटीबॉडी कोशिकाएं फिर से जाग जाती हैं और वायरस से लड़ती हैं।
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अली अलबेदी ने आगे कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान विकसित होने वाली एंटीबॉडी प्रतिरक्षा कोशिकाओं को विभाजित करती हैं। वे धीरे-धीरे ऊतकों और रक्त तक पहुंचते हैं। इसलिए शरीर में एंटीबॉडी का स्तर तेजी से बढ़ता है। ये एंटीबॉडी हैं जो प्रयास करते हैं। उन्हें प्लाज्मा सेल कहा जाता है।
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प्लाज्मा कोशिकाएं हड्डियों में मौजूद बोन मैरो यानी अस्थि मज्जा से गुजरती हैं। हालांकि, उनका अनुपात कम हो सकता है। हालांकि, जब शरीर पर वायरस का हमला होता है, तो वे सक्रिय हो जाते हैं। वे तेजी से विभाजित भी होते हैं और अपनी संख्या बढ़ाते हैं। ये एंटीबॉडी तब सेल वायरस के साथ युद्ध शुरू करते हैं। ये एंटीबॉडी शरीर को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाते हैं।
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