इनकम टैक्स कानून में 1 सितंबर से लागू होंगे ये 7 बड़े बदलाव, जान लें वरना होगा भारी नुकसान!
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 31, 2019 08:07 AM2019-08-31T08:07:12+5:302019-08-31T08:07:12+5:30
वर्ष 2019-20 का पूर्ण बजट इस साल लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई में पेश हुआ. लिहाजा, कई टैक्स बदलाव एक सितंबर से लागू होंगे. जानें इनकम टैक्स कानून में 1 सितंबर से लागू होने वाले 7 बड़े बदलाव...
बजट में इनकम टैक्स से जुड़ी घोषणाएं अमूमन 1 अप्रैल से लागू होती हैं. चूंकि वित्त वर्ष 2019-20 का पूर्ण बजट इस साल लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई में पेश हुआ. लिहाजा, कई टैक्स बदलाव एक सितंबर से लागू होंगे. यहां टैक्स में कुछ प्रमुख बदलावों का उल्लेख किया जा रहा है जो रविवार से प्रभावी होंगे.
- एक सितंबर से अगर आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो टीडीएस काटने के लिए आपको थोड़ा ज्यादा गणित लगाना होगा. कैलकुलेशन में आपको क्लब मेंबरशिप फीस, कार पार्किंग फीस, बिजली बिल जैसी अन्य सेवाओं के लिए किए जा रहे भुगतान को भी ध्यान में रखना होगा. पहले खरीदार प्रॉपर्टी के लिए किए गए पेमेंट से टैक्स काट लेते थे. हालांकि, टीडीएस की रकम कैलकुलेट करने में कुल राशि से क्लब मेंबरशिप फीस इत्यादि जैसे अन्य भुगतान को घटाना पड़ता था.
- एक साल के दौरान बैंक, को-ऑपरेटिव बैंक या पोस्ट ऑफिस में खाते से एक करोड़ रुपए से ज्यादा निकालते हैं तो सितंबर से टीडीएस वसूला जाएगा. लोग बड़े मूल्य के कैश ट्रांजेक्शन न करें, इस मकसद से यह कदम उठाया गया है.
- पेशेवरों को भुगतान पर टीडीएस एक सितंबर से ठेकेदार और पेशेवरों को 50 लाख रुपए (सालाना) से ज्यादा किए गए भुगतान पर 5% की दर से टैक्स टीडीएस काटना होगा. इसका मतलब यह है कि अगर कोई घर की मरम्मत, शादी-ब्याह या किसी अन्य काम के लिए पेशेवर को इस सीमा से ज्यादा भुगतान करता है तो इस पर टैक्स काटना होगा.
- लाइफ इंश्योरेंस के टैक्सेबल हिस्से पर टीडीएस लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के मैच्योर होने पर मिली रकम अगर टैक्सेबल है तो कुल इनकम वाले हिस्से पर 5% की दर से टीडीएस काटा जाएगा. कुल इनकम वाले हिस्से को कैलकुलेट करने के लिए कुल प्राप्त हुई रकम में से दिए गए इंश्योरेंस प्रीमियम को घटाया जाता है.
- बैंकों को छोटे ट्रांजेक्शन की भी देनी पड़ सकती है जानकारी. अभी बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को एक सीमा तक किए गए ट्रांजेक्शन की जानकारी देनी पड़ती थी. यह सीमा 50000 रुपए या इससे ज्यादा की होती थी. लेकिन, अब सरकार ने इसका दायरा बढ़ा दिया है. एक सितंबर से बैंकों को इससे कम मूल्य के ट्रांजेक्शन की भी जानकारी देनी पड़ सकती है.
- आधार से लिंक नहीं होने पर अमान्य होगा पैन. जुलाई में पेश बजट 2019 से पहले के नियमों के मुताबिक, एक तय समयसीमा के अंदर आधार के साथ लिंक नहीं हुए पैन अवैध हो जाते. इसका मतलब होता कि जिनके पैन अमान्य होते, उन्हें बगैर पैन के मान लिया जाता है.
- पैन के बदले आधार का हो सकता है इस्तेमाल. बजट 2019 में एक और बड़ी घोषणा हुई, वह थी पैन और आधार की इंटर-चेंजिएबिलिटी यानी आपस में अदला-बदली. जानकारों ने कहा, ''हालांकि, पैन के बदले आधार को कुछ तय ट्रांजेक्शन के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है.''