स्वास्थ्य बीमा पर विचार कर रहा है रेलवे, 13 लाख कर्मचारियों को फायदा, जानिए मामला
By भाषा | Published: August 19, 2020 10:00 PM2020-08-19T22:00:19+5:302020-08-19T22:00:19+5:30
रेलवे ने एक बयान में कहा कि वह पहले ही अपने कर्मचारियों और उनके आश्रित परिजनों को ‘रेलवे कर्मचारी उदारीकृत स्वास्थ्य योजना’ और ‘केंद्रीय कर्मचारी स्वास्थ्य सेवा’ (सीजीएचएस) के जरिये चिकित्सा स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है।
नई दिल्लीः रेलवे ने बुधवार को कहा कि वह अपने 13 लाख कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना मुहैया कराकर उनके इलाज का दायरा व्यापक करने पर विचार कर रहा है।
रेलवे ने एक बयान में कहा कि वह पहले ही अपने कर्मचारियों और उनके आश्रित परिजनों को ‘रेलवे कर्मचारी उदारीकृत स्वास्थ्य योजना’ और ‘केंद्रीय कर्मचारी स्वास्थ्य सेवा’ (सीजीएचएस) के जरिये चिकित्सा स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है।
इसमें कहा गया, “भारतीय रेलवे अब रेलवे कर्मियों के चिकित्सीय उपचार के दायरे को बढ़ाने का प्रस्ताव कर रहा है।” बयान में कहा गया कि इसी के अनुरूप रेल कर्मियों के लिये ‘समग्र स्वास्थ्य बीमा योजना’ से जुड़े सभी पहलुओं को परखने के लिये एक समिति गठित की गई है।
इसमें कहा गया कि इसका उद्देश्य चिकित्सा, आकस्मिक परिस्थितियों आदि के दौरान वित्तीय जोखिमों से उन्हें बीमा कवर उपलब्ध कराना है। इसमें कहा गया कि रेलवे ने अपने सभी मंडलों और उत्पादन इकाइयों के महाप्रबंधकों से इस प्रस्ताव पर उनके सुझाव और प्रतिक्रियाएं मांगी हैं।
कोविड-19 से जान गंवाने वालों का अंतिम संस्कार करा रहे एनजीओ का बीमा कराएगी महाराष्ट्र सरकार
महाराष्ट्र सरकार ने कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों का अंतिम संस्कार करा रहे ग्रामीण इलाकों के गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) का 25 लाख रुपये का बीमा कराने का फैसला किया है। ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुशरिफ ने मंगलवार को यह जानकारी दी। मंत्री की ओर से यहां जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 30 सितंबर तक इन एनजीओ का बीमा कराया जाएगा।
मुशरिफ ने कहा कि सरकार ने इस संबंध में मंगलवार को परिपत्र जारी कर दिया है। बयान के अनुसार उन्होंने कहा, ''कोविड-19 के चलते जान गंवाने वाले लोगों का अंतिम संस्कार कराने वाले ग्रामीण इलाकों के गैर सरकारी संगठनों और उनके कर्मचारियों का 25 लाख रुपये का बीमा कराने का फैसला लिया गया है।''
उन्होंने कहा कि यह बीमा इन संगठनों के सदस्यों के बीमारी की चपेट में आने के खतरे के मद्देनजर कराया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि बीमा कवर लेने के लिये एनजीओ और उनके सदस्यों को स्थानीय ग्राम पंचायत में पंजीकरण कराना जरूरी है।