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Gold Bond: सस्ते में सोना खरीदने का सुनहरा मौका, जानें सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के 5 फायदे

By निखिल वर्मा | Updated: May 14, 2020 10:27 IST

सरकार ने  सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की शुरुआत साल 2015 में की थी. इस स्कीम से सरकार सोने के फिजिकल डिमांड में कमी लाना चाहती थी.

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ठळक मुद्देवर्तमान दौर में सोने में निवेश ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद रह सकता है। गोल्ड बॉन्ड खरीदने पर आपको 2.5 फीसदी की निर्धारित सालाना दर से ब्याज मिलता है।

कोरोना वायरस महामारी संकट के बीच अगर आप अपना पैसा किसी सुरक्षित जगह लगाना चाहते हैं तो सुनहरा मौका है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी सीरिज सब्सक्रिप्शन खुल चुकी है। इस बार आरबीआई ने सोने की इश्यू प्राइस 4590 रुपये प्रति ग्राम तय की है। आप 15 मई तक दूसरी सीरिज के लिए आवेदन कर सकते हैं।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में निवेश के लिए ऑनलाइन अप्लाई करने वालों और ऑनलाइन भुगतान करने वालों को प्रति ग्राम 50 रुपये के हिसाब से छूट मिलेगी। केंद्र सरकार बाजार में हलचल और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बीचगोल्ड बॉन्ड की दूसरी सीरीज लेकर आई है। इस समय सोने की मांग बहुत ज्यादा देखने को मिल रही है।

वर्तमान दौर में सोने में निवेश ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद रह सकता है। आइए जानते हैं सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के 5 फायदे:

1. सोने शुद्धता की चिंता नहीं: भारत सरकार की ओर से आरबीआई सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करता है। गोल्ड बॉन्ड की कीमत 999 शुद्धता यानी 24 कैरेट सोने के दाम से लिंक होता है। इसलिए आपको सोने की गुणवत्ता को लेकर किसी तर ही की चिंता करने की जरूरत नहीं है। 

2. सुरक्षा की चिंता नहीं और बचत भी: अगर आप घर में सोना रखते हैं तो हर समय आपको उसकी चिंता हो सकती है। इसके अलावा बैंक लॉकर में सोना रखने पर लॉकर शुल्क अलग से देना पड़ता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश पर आपको इन दोनों पहलूओं पर चिंता करने की जरूरत नहीं है।  

3. बेचने पर नहीं कटेंगे पैसे: अगर आप फिजिकल सोना बेचने जाते हैं तो मेकिंग चार्जेज सहित कुछ पैसे कट जाते हैं। वहीं सोवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में आप अगर मेच्योरिटी पर सोने को भुनाते हैं तो आपको उस समय के बाजार के हिसाब से पैसे मिल जाते हैं। कोई शुल्क नहीं कटता।

4. गोल्ड बॉन्ड पर ब्याज: भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट के अनुसार, गोल्ड बॉन्ड खरीदने पर आपको 2.5 फीसदी की निर्धारित सालाना दर से ब्याज मिलता है। हर छह महीने पर इसका ब्याज आपके बैंक खाते में जुड़ता रहता है। मेच्योरिटी के समय ब्याज की राशि मूलधन के साथ जोड़कर दी जाती है।  

5. टैक्स की चिंता नहींः इस स्कीम को मेच्योरिटी तक होल्ड करने के बाद इसे बेचने पर मिलने वाली राशि पर किसी तरह का टैक्स नहीं देना होता है।

टॅग्स :भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)सोने का भावसेविंग
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