श्रम कानूनः करीब 40 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र कर रहे काम, गंगवार बोले- कोष जुटाया जाएगा, जानिए मामला
By भाषा | Published: October 5, 2020 09:01 PM2020-10-05T21:01:58+5:302020-10-05T21:01:58+5:30
देश में करीब 40 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। संहिता में यह प्रावधान है कि एसएसएफ का गठन श्रम कानूनों के उल्लंघन और उसके निपटान से प्राप्त राशि से किया जाएगा।
नई दिल्लीः श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने सोमवार को कहा कि श्रम कानून के तहत नियमों के उल्लंघन वाले मामलों के निपटान से प्राप्त राशि का उपयोग सामाजिक सुरक्षा कोष (एसएसएफ) में किया जाएगा। इस कोष के जरिये असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के लिये कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाएगा।
संसद ने पिछले महीने संपन्न मानसून सत्र में सामाजिक सुरक्षा संहिता को पारित कर दिया। इसमें असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों, अस्थायी कर्मचारियों और अमेजन, ओला जैसे ई-मंचों पर काम करने वालों के लिये सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर एसएसएफ के गठन का प्रस्ताव है। देश में करीब 40 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। संहिता में यह प्रावधान है कि एसएसएफ का गठन श्रम कानूनों के उल्लंघन और उसके निपटान से प्राप्त राशि से किया जाएगा।
इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार के वित्त पोषण जैसे स्रोत से कोष जुटाया जाएगा। इसी प्रकार का प्रावधान औद्योगिक संबंधों और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाज की स्थिति (ओएसएच) से संबद्ध दो अन्य संहिताओं में किया गया है। गंगवार ने कहा, ‘‘हमने श्रम नियमों के उल्लंघन से जुड़े लंबित मामलों के तेजी से निपटान को लेकर व्यवस्था की है। इसके तहत जरूरी राशि देकर मामलों का निपटान किया जा सकता है। इससे प्राप्त राशि का उपयोग असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिये सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के वित्त पोषण में किया जाएगा।’’ उन्होंने ऑल इंडिया आर्गनाइजेशन ऑफ एम्प्लायर्स (एआईओई) के 86वें सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही।
गंगवार ने कहा, ‘‘इस सामाजिक सुरक्षा कोष का उपयोग कर विभिन्न योजनाएं तैयार की जाएंगी। यह एक उदाहरण है जो बताता है कि हमने कैसे श्रम कानूनों में प्रावधान कर नियोक्ताओं और कर्मचारियों की जरूरतों के बीच संतुलन बनाया है।’’ एआईओई उद्योग मंडल फिक्की की संबद्ध इकाई है।
संगठन की सालामा आम बैठक का विषय श्रम सुधार: कोविड के दौरान और उसके बाद चुनौतियों से पार पाना’ था। इस मौके पर आईएलओ डीडब्ल्यूटी (डिसेंट वर्क टेक्निकल सपोर्ट टीम) की निदेशक (दक्षिण एशिया और भारत) डैगमर वाल्टर ने कहा, ‘‘कोविड-19 के दौरान किये गये श्रम सुधारों को टिकाऊ समाधान सुनिश्चित करने की जरूरत है, जो समाज के सबसे वंचित लोगों को अधिकार संपन्न बनाये। हमें न्यायसंगत और समावेशी समाज का विकास सुनिश्चित करने को लेकर कदम उठाने की आवश्यकता होगी...।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नये श्रम कानूनों की सफलता प्राथमिक रूप से उसे लागू करने की रणनीति, स्थानीय और सरकारी संस्थानों की क्षमता तथा सामाजिक भागीदारों की भागीदारी पर निर्भर है।’’