अपने म्यूचुअल फंड यूनिट्स को कैसे करें रिडीम, जानें पूरा प्रोसेस
By स्वाति सिंह | Published: August 29, 2018 05:53 AM2018-08-29T05:53:01+5:302018-08-29T05:53:01+5:30
पिछले पांच सालों में एक लाख रुपये का निवेश 3 लाख रुपये हो गया है। वहीं हाल ही में आई एक रिपोर्ट से पता चलता है कि छोटे शहरों में परिसंपत्ति की संख्या 2017-18 में 4.27 लाख करोड़ रुपये हुई है।
नई दिल्ली, 29 अगस्त: इन दिनों म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स की पहली पसंद बन चुका है। चाहे आपके पास रकम छोटी हो या बड़ी म्यूचुअल फंड में सभी को इन्वेस्ट करने का मौका मिलता है। वहीं अगर आकड़ों की बात करें तो पिछले पांच सालों में एक लाख रुपये का निवेश 3 लाख रुपये हो गया है। वहीं हाल ही में आई एक रिपोर्ट से पता चलता है कि छोटे शहरों में परिसंपत्ति की संख्या 2017-18 में 4.27 लाख करोड़ रुपये हुई है, जो पिछले वित्तीय वर्ष से 38 प्रतिशत ज्यादा है।
क्या है म्यूचुअल फंड
इन सबसे पहले हमें म्यूचुअल फंड को समझने की जरूरत है। जानकारों के मुताबिक किसी एक जगह में लोगों द्वारा बड़ी संख्या में पैसा निवेश करना ही म्यूचुअल फंड है। आपके द्वारा निवेश किए गए रुपयों मैनेज करने के लिए बाकायदा एक फंड मैनेजर होता है।
कैसे करें इन्वेस्ट
ऑनलाइन शेयर मार्केट में पेपरलेस म्यूचुअल फंड प्लैटफॉर्म के लॉन्च के साथ, म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करना बेहद आसान हो गया है। पहली बार इन्वेस्टर के लिए, पेपरलेस ने ओटीपी-बेस ई-केवाईसी के द्वारा से सभी प्रोसेस को बेहद ही आसान बना दिया है। इसके अलावा आप किसी प्रोफेसनल की मदद भी ले सकते हैं या आप किसी म्यूचुअल फंड एडवाइजर की भी मदद ले सकते हैं।
कैसे करें रिडीम
अगर आप अपने म्यूचुअल फंड की यूनिट्स को रिडीम करना चाहते हैं। तो इसके लिए आपको एक ट्रांजैक्शन स्लिप भरना होगा। इसके लिया आप फंड हाउस की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं या अपने अकाउंट स्टेटमेंट के आखिर से इसे डीटैच कर सकते हैं। इसके बाद रिडेम्पशन ऐप्लिकेशन को फंड हाउस ऑफिसर के पास जमा करना होगा। इसके अलावा इन दिनों कई फंड हाउस ऑनलाइन रिडेम्प्शन की भी सुविधा देते हैं। ऐसे में अगर आपने ऑनलाइन पोर्टल के द्वारा इन्वेस्ट किया है तो आप उनकी ऑनलाइन रिडेम्पशन अप्लाई कर सकते हैं।
ये है इनकी खासियत
इन 10 शेयरों की निफ्टी (एनएसई का बेंचमार्क इंडेक्स) में हिस्सेदारी 54 फीसदी है। टॉप 10 लार्ज कैप म्यूचुअल फंड की इन शेयरों में 33 फीसदी होल्डिंग है। बाकी निवेशक दूसरे शेयरों में पैसे लगाते हैं। उतार-चढ़ाव का असर कम करने के लिए निवेश डायवर्सिफाई करना होता है।