अप्रैल 2016 से पहले होम लोन लेने वालों के लिए अच्छी खबर, घट सकती हैं ब्याज दरें
By रामदीप मिश्रा | Published: February 8, 2018 04:17 PM2018-02-08T16:17:03+5:302018-02-08T16:20:19+5:30
आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष 2017-18 की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट को छह फीसदी पर यथावत रखा।
भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई ने बुधवार (7 फरवरी) को मौद्रिक नीति में कोई बदलाव नहीं किया था, लेकिन आरबीआई ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ट लेंडिंग रेट्स (एमसीएलआर) को लेकर बैंकों को निर्देश दिए हैं। ये निर्देश अप्रैल 2016 से पहले होम लोग ले चुके लोगों को लेकर थे। दरअसल, अप्रैल 2016 से पहले होम लोन ले चुके लोगों को एमसीएलआर की सुविधा नहीं मिल रही थी। इसको लेकर आरबीआई के पास लोगों की शिकायत आती रही।
इसके बाद आरबीआई ने बैंकों को निर्देशित किया है कि वे ब्याज दरें कम होने का फायदा पुराने होम लोन ग्राहकों को भी दें। इस पर 1 अप्रैल 2018 से काम शुरू कर दिया जाए।
आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि पुराने होमलोन के बेस रेट की गणना भी एमसीएलआर से करें। अगले हफ्ते तक इस बारे में विस्तृत निर्देश बैंकों तक पहुंचा दिए जाएंगे।
आपको बता दें कि अप्रैल 2016 से पहले होम लोन की ब्याज दर बेसरेट से तय होती है। यह फैसला पूरी तरह से बैंक ही करते थे। इसका असर यह होता था कि आरबीआई ब्याज दरें घटाता था, तो पूरा फायदा बैंक उठा ले जाते थे और ग्राहक को कुछ नहीं मिलता था। एमसीएलआर फंड्स की लागत से जुड़ी व्यवस्था है।
वहीं बुधवार को आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष 2017-18 की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट को छह फीसदी पर यथावत रखा। आरबीआई ने लगातार चौथी बार अल्प अवधि की ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है। इस बार आरबीआई ने वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा के कारण महंगाई बढ़ने की आशंकाओं से ब्याज दर को यथावत रखा। बैंक के इस कदम से सस्ते कर्ज का इंतजार और लंबा हो गया।
आरबीआई ने मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि औसत महंगाई दर को चार फीसदी रखने के लक्ष्य के मद्देजनर यह फैसला किया गया है। खाद्य पदार्थों व ईंधन की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण दिसंबर 2017 में सालाना महंगाई दर बढ़कर 5.21 फीसदी हो गई, जबकि नवंबर में यह 4.88 फीसदी थी।