म्यूचुअल फंड पर सलाहकार समिति का पुनर्गठन, विनियमन और विकास पर करेंगे चर्चा
By भाषा | Published: July 10, 2020 02:05 PM2020-07-10T14:05:59+5:302020-07-10T14:05:59+5:30
वैल्यू रिसर्च इंडिया के सीईओ धीरेंद्र कुमार, एलएंडटी इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट के सीईओ कैलाश कुलकर्णी, एमएंडएम के कार्यकारी उपाध्यक्ष के एन वैद्यनाथन, बीएसई के एमडी और सीईओ आशीष चौहान, एसपीजेआईएमआर में प्राध्यपक अनंत नारायण और भारतीय म्यूचुअल फंड संघ के सीईओ एन एस वेंकटेश भी समिति में शामिल हैं।
नई दिल्लीः भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड उद्योग के विनियमन और विकास से संबंधित मामलों पर उसे सलाह देने वाली समिति का पुनर्गठन किया है।
सेबी ने बताया कि म्युचुअल फंडों से संबंधित 20 सदस्यीय सलाहकार समिति की प्रमुख उषा थोराट हैं, जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की पूर्व डिप्टी गवर्नर हैं। इससे पहले 2013 में गठित इस समिति में 15 सदस्य थे और इसके अध्यक्ष एसबीआई के पूर्व चेयरमैन जानकी बल्लभ थे।
समिति के सदस्यों में फ्रैंकलिन टेम्पलटन एसेट मैनेजमेंट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष संजय सप्रे, कोटक महिंद्रा एएमसी के एमडी नीलेश शाह और केनरा रोबेको एएमसी के सीईओ रजनीश नरूला, एसबीआई म्यूचुअल फंड के स्वतंत्र न्यासी सुनील गुलाटी और मोतीलाल ओसवाल म्यूचुअल म्युचुअल फंड के स्वतंत्र न्यासी निदेशक बृज गोपाल डागा जैसे विभिन्न फंड हाउस के अधिकारी शामिल हैं।
इसके अलावा वैल्यू रिसर्च इंडिया के सीईओ धीरेंद्र कुमार, एलएंडटी इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट के सीईओ कैलाश कुलकर्णी, एमएंडएम के कार्यकारी उपाध्यक्ष के एन वैद्यनाथन, बीएसई के एमडी और सीईओ आशीष चौहान, एसपीजेआईएमआर में प्राध्यपक अनंत नारायण और भारतीय म्यूचुअल फंड संघ के सीईओ एन एस वेंकटेश भी समिति में शामिल हैं। इसके अलावा समिति में सरकार, मीडिया और सेबी के अधिकारी भी शामिल हैं। यह समिति म्यूचुअल फंड उद्योग के विनियमन और विकास से संबंधित मुद्दों पर सेबी को सलाह देगी।
पीएम स्वनिधि ऋण का वितरण सितंबर तक टालें: हॉकर संगठन
एक हॉकर संगठन ने केंद्र सरकार को पीएम स्वनिधि योजना के तहत लाभार्थियों को ऋण वितरण सितंबर तक टालने का सुझाव दिया है। केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर करीब 50 लाख छोटे दुकानदारों की मदद करने के लिये इस महीने प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्म निर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना शुरू की है।
इसके तहत रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को 10 हजार रुपये तक के सूक्ष्म ऋण दिये जाने हैं। इस योजना में डिजिटल भुगतान का विकल्प चुनने पर कैश बैक की भी सुविधा है। योजना का लाभ उठाने के लिये डिजिटल आवेदन का पोर्टल शुरू हो चुका है और 40 हजार से अधिक विक्रेता आवेदन कर चुके हैं। इनमें से 300 से अधिक को ऋण का वितरण भी किया जा चुका है।
नेशनल हॉकर्स फेडरेशन के महासचिव शक्तिमान घोष ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘यदि ऋणों का वितरण तुरंत शुरू हो जाता है, तो हमारा मानना है कि रेहड़ी-पटरी विक्रेता दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिये ऋण के पैसे खर्च कर देंगे, क्योंकि 70 प्रतिशत से अधिक ऐसे विक्रेता अपनी गतिविधि को फिर से शुरू नहीं कर पाये हैं।
इसका परिणाम होगा कि वह कर्ज का पुनर्भुगतान नहीं कर पायेंगे।’’ घोष ने कहा, "ऐसे में ऋण का लाभ व्यर्थ जायेगा। हमारी राय में, प्रक्रिया जारी रहनी चाहिये, लेकिन ऋणों का वितरण सितंबर 2020 में शुरू होना चाहिये।" उन्होंने कहा कि फेडरेशन ने एक प्रस्तुति के माध्यम से इस संबंध में केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय का ध्यान आकर्षित किया है।