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कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में उदाहरण पेश कर रहे कोलकाता के वृद्ध खेल सितारे

By भाषा | Updated: April 3, 2020 20:44 IST

अचानक हुए लॉकडाउन के कारण दो बार के ओलंपिक स्वर्ण पदकधरी केशव दत्त (94 वर्ष) के विदेश में रह रहे बच्चे समय पर नहीं आ सके लेकिन वह शिकायत नहीं कर रहे हैं और पूर्व हाकी स्टार की सहायिका माया देवी उनकी देखभाल कर रही हैं।

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ठळक मुद्देपूर्व भारतीय हाकी कप्तान गुरबक्श सिंह को गुरूग्राम में अपने बेटे के पास जाना था लेकिन लॉकडाउन के कारण वह ऐसा नहीं कर पाये। वर्ष 1956 मेलबर्न ओलंपिक टीम के कप्तान समर ‘बद्रू’ बनर्जी 92 वर्ष की उम्र में फिट हैं और सुबह की सैर उनकी फिटनेस का राज है लेकिन लॉकडाउन के कारण यह बंद हो गयी है।

कोलकाता के उम्रदराज खिलाड़ियों में कुछ नब्बे के तो कुछ अस्सी के दशक में हैं लेकिन वे सभी कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये देशव्यापी लॉकडाउन का पालन करने में सबसे सामने उदाहरण पेश कर रहे हैं। हाल में अपने पूर्व साथी पीके बनर्जी को खो चुके 1962 एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता कप्तान चुन्नी गोस्वामी भी मधुमेह, प्रोस्ट्रेट और नसों संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं। उन्हें रोज इंसुलिन लेना होता है और 21 दिन के लॉकडाउन के चलते स्वास्थ्यकर्मी उन्हें इंसुलिन देने नहीं आ पाते लेकिन उनकी पत्नी बसंती किसी तरह से काम चला रही हैं।

बसंती ने पीटीआई से कहा, ‘‘जो चिकित्साकर्मी आता था वह बसंद्रोनी में रहता है, उसने कहा कि वह नहीं आ सकेगा तो पिछले कुछ दिनों से मैं इंसुलिन दे रही हूं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें रोज 10 से ज्यादा दवाईयां लेनी होती है, शुक्र है कि हमें अभी तक किसी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा है। एलपीजी भराने में कुछ मुश्किल होती है लेकिन लेक टाउन पुलिस ने हमारी मदद की। इसलिये चीजें हो रही हैं। ’’ अचानक हुए लॉकडाउन के कारण दो बार के ओलंपिक स्वर्ण पदकधरी केशव दत्त (94 वर्ष) के विदेश में रह रहे बच्चे समय पर नहीं आ सके लेकिन वह शिकायत नहीं कर रहे हैं और पूर्व हाकी स्टार की सहायिका माया देवी उनकी देखभाल कर रही हैं।

माया देवी ने कहा, ‘‘मैं लॉकडाउन के कारण अपने गृहनगर जा रही थी लेकिन सर के बच्चे नहीं आ सके तो मैं यहां हूं। ’’ व्हीलचेयर पर बैठे दत्त को पहले सुबह और शाम को पास के लॉन में ले जाया जाता था लेकिन अब वह रूक गया है। उन्होंने कहा, ‘‘वह टीवी देखते हैं और शाम को अपने बच्चों से फोन पर बात करते हैं। वे उन्हें बताते रहते हैं कि क्या करना है और क्या नहीं और सुरक्षित कैसे रहना है। हम किसी को घर में आने की अनुमति नहीं दे रहे। मैंने उनकी महीने भर की दवाई ले ली थी और हम पूरे एहतियात बरत रहे हैं। ’’ वर्ष 1956 मेलबर्न ओलंपिक टीम के कप्तान समर ‘बद्रू’ बनर्जी 92 वर्ष की उम्र में फिट हैं और सुबह की सैर उनकी फिटनेस का राज है लेकिन लॉकडाउन के कारण यह बंद हो गयी है।

मोहन बागान के पूर्व खिलाड़ी ने कहा, ‘‘मेरी सुबह की सैर बंद हो गयी है और मैं घर पर ही कुछ अभ्यास करता हूं। अब यह जीवन और मौत की बात है, इस वायरस को हम घर पर रहकर ही रोक सकते हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी से इन दिशानिर्देशों का कड़ाई का पालन करने को कहूंगा और हम इस चरण से भी निकल जायेंगे। अब मैं टीवी देखने में ज्यादा समय बिता रहा हूं, अपनी पोती से बात करता हूं। ’ पूर्व भारतीय हाकी कप्तान गुरबक्श सिंह को गुरूग्राम में अपने बेटे के पास जाना था लेकिन लॉकडाउन के कारण वह ऐसा नहीं कर पाये। ओलंपिक में स्वर्ण और कांस्य पदक विजेता सिंह ने कहा, ‘‘लेकिन हमने जोखिम नहीं लिया और अपने टिकट रद्द कर दिये। मेरी बेटी न्यूयार्क से नहीं आ सकी। बेहतर यही है कि हम अब घर पर रहें। ’’ 

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