टूर्नामेंट में निजी कोच अहंकार के लिये नहीं ,बल्कि यह खेल की आधारभूत जरूरत है : मनिका

By भाषा | Updated: September 2, 2021 17:31 IST2021-09-02T17:31:28+5:302021-09-02T17:31:28+5:30

Personal coach in tournament not for ego, but it is basic need of the game: Manika | टूर्नामेंट में निजी कोच अहंकार के लिये नहीं ,बल्कि यह खेल की आधारभूत जरूरत है : मनिका

टूर्नामेंट में निजी कोच अहंकार के लिये नहीं ,बल्कि यह खेल की आधारभूत जरूरत है : मनिका

स्टार टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा का मानना है कि निजी कोच रखना व्यक्तिगत खेल खेलने वाले एथलीट के लिये आधारभूत जरूरत है और अगर उन्हें तोक्यो ओलंपिक के दौरान कोर्ट पर अपने कोच की मदद मिल जाती तो उनका प्रदर्शन बेहतर होता। मनिका ने पीटीआई से कहा कि अधिकारियों को ओलंपिक जैसे कई स्पर्धाओं के टूर्नामेंट में खिलाड़ियों के साथ निजी कोचों के जाने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए जिसमें भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (टीटीएफआई) के अधिकारी भी शामिल हैं। दुनिया की 56वें नंबर की खिलाड़ी ने कहा, ‘‘टीम स्पर्धाओं के लिये मुख्य कोच ठीक हैं लेकिन हमारे खेल में एकल स्पर्धा भी होती है जिसमें निश्चित रूप से खिलाड़ी को अपने कोच की जरूरत होती है क्योंकि वह खिलाड़ी की ट्रेनिंग और खेल के बारे में ज्यादा जानता है। ’’ उन्होंने कहा कि भारतीय मुख्य कोच टीम प्रतियोगिताओं पर ध्यान लगा सकता है जबकि निजी कोच व्यक्तिगत अभियान में मदद कर सकता है। टीटीएफआई ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा कि उन्होंने तोक्यो में अपने एकल मैच के दौरान राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप रॉय की मदद लेने से इनकार क्यों किया जबकि उनके निजी कोच सन्मय परांजपे को खेलों के आयोजकों द्वारा खेल के दौरान कोर्ट क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं दी गयी थी। उन्होंने व्यक्तिगत खेलों जैसे बैडमिंटन और टेनिस का भी उदाहरण दिया जिसमें खिलाड़ियों का अपने निजी कोचों को सभी टूर्नामेंट में ले जाना सामान्य बात है। नोटिस के जवाब में मनिका ने रॉय पर ही सवाल उठा दिये हैं। 26 साल की इस खिलाड़ी ने कहा कि वह सही न्याय की उम्मीद करती हैं। मनिका और जी साथियान ने हाल में हंगरी में डब्ल्यूटीटी कंटेडर में मिश्रित युगल खिताब जीता। वहां भी मनिका के कोच नहीं गये थे। राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी ने कहा, ‘‘अगर एक टूर्नामेंट में सिर्फ टीम स्पर्धा हो तो मुख्य कोच ठीक हैं लेकिन यह हॉकी या फुटबॉल नहीं है। हम अपना सर्वश्रेष्ठ तभी दे सकते हैं, जब हम कड़ी मेहनत करें और अपनी ट्रेनिंग टीमों के साथ अभ्यास में अपना सर्वश्रेष्ठ दें क्योंकि यह व्यक्तिगत खेल है, टीम खेल नहीं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘व्यक्तिगत कोच रखना अहंकार की बात नहीं है बल्कि यह एक खिलाड़ी की जरूरत है। यहां तक की मेरे सीनियर स्वीडन और जर्मनी गये थे और वे अपने व्यक्तिगत कोचों के साथ ही विदेश जाते हैं और भारत में उनके साथ ही ट्रेनिंग करते हैं और ऐसा ही होना चाहिए। ’’ मनिका ने कहा, ‘‘यहां तक कि हंगरी में श्रीजा अकुला और साथियान के कोच वहां मौजूद थे और यह ट्रेनिंग की तरह ही आधारभूत जरूरत है। टीम स्पर्धा में मुख्य कोच होना ठीक है लेकिन एकल के लिये हमें निश्चित रूप से अपने कोच की जरूरत होती है और टीटीएफआई के लिये इसमें कोई खर्चा नहीं होता। ’’ मनिका ने स्वीकार किया कि उनके कोच को खेल के दौरान प्रवेश की अनुमति नहीं मिलने से तोक्यो में उनके प्रदर्शन पर असर पड़ा।

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