Look Back 2022: पाटिल ने किया कमाल, काहिरा में विश्व चैंपियन के साथ पेरिस ओलंपिक 2024 का कोटा भी हासिल किया, जानें 2022 में भारत का हाल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 22, 2022 06:27 PM2022-12-22T18:27:15+5:302022-12-22T18:28:37+5:30
Look Back 2022: दस मीटर एयर राइफल में चुनौती पेश करने वाले रुद्रांक्ष काहिरा में दिग्गज निशानेबाजों को पछाड़ते हुए विश्व चैंपियन बने और साथ ही पेरिस ओलंपिक 2024 का कोटा भी हासिल किया।
Look Back 2022: भारतीय निशानेबाजों के लिए बीता साल निराशाजनक रहा लेकिन राइफल निशानेबाज रुद्रांक्ष पाटिल ने सफलता की नई इबारत लिखी। बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजकों ने भी इस बार इन खेलों में निशानेबाजी को शामिल नहीं किया।
दस मीटर एयर राइफल में चुनौती पेश करने वाले रुद्रांक्ष काहिरा में दिग्गज निशानेबाजों को पछाड़ते हुए विश्व चैंपियन बने और साथ ही पेरिस ओलंपिक 2024 का कोटा भी हासिल किया। रुद्रांक्ष की नजरें अब ओलंपिक में 2008 बीजिंग ओलंपिक चैंपियन अभिनव बिंद्रा की उपलब्धि की बराबरी करने पर टिकी हैं जो भारत के एकमात्र ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज हैं।
भारतीय निशानेबाजी परिदृश्य में पिछले कुछ वर्षों में लगातार युवा निशानेबाज सामने आए हैं और 2022 भी इससे अलग नहीं रहा। रुद्रांक्ष के अलावा ट्रैप निशानेबाज भवनीश मेंदीरत्ता और 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में स्वप्निल कुसाले पेरिस ओलंपिक कोटा हासिल करने में सफल रहे।
Congratulations to shooter #RudrankshPatil, (son of IPS officer Balasaheb Patil) for the great achievement for our Nation by grabbing the #GoldMedal at Cairo World Championship & qualifying for the Paris Olympics!
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) October 20, 2022
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भारत को हालांकि उस समय निराशा हाथ लगी जब टोक्यो ओलंपिक से उसकी 15 सदस्यीय मजबूत टीम खाली हाथ लौटी। इस तरह के प्रदर्शन के बाद आलोचना तय थी और प्रशंसकों ने भारतीय राष्ट्रीय निशानेबाजी संघ से सवाल उठाए कि आखिर टोक्यो में क्या गलत हुआ। टोक्यो में लचर प्रदर्शन के बाद मायूसी के बादलों को दूर करने के लिए कुछ नए चेहरों की जरूरत थी और यह काम किया रुद्रांक्ष ने।
कुछ दिन पहले 19 बरस के हुए ठाणे के रुद्रांक्ष ने बिंद्रा की तरह ओलंपिक स्वर्ण को अपना लक्ष्य बना लिया है। आईपीएस अधिकारी के बेटे रुद्रांक्ष ने घरेलू टूर्नामेंटों में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन काहिरा में विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक की उम्मीद उनसे अधिक लोगों ने नहीं की होगी।
रुद्रांक्ष के परिवार को हालांकि उनकी क्षमता पर पूरा भरोसा था। इस किशोर निशानेबाज ने इटली के डेनिलो डेनिस सोलाजो को पछाड़कर स्वर्ण पदक जीता और एयर राइफल में यह उपलब्धि हासिल करने वाले बिंद्रा के बाद सिर्फ दूसरे भारतीय बने। वह बिंद्रा, तेजस्विनी सावंत, मानवजीत सिंह संधू, ओम प्रकाश मिठरवाल और अंकुर मित्तल के बाद भारत के सिर्फ छठे विश्व चैंपियन निशानेबाज हैं।
अगले साल हांगझोउ में होने वाले एशियाई खेलों और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से रुद्रांक्ष ही नहीं बल्कि युवा मेंदिरत्ता और अनुभवी कुसाले को भी ओलंपिक से पहले अपने कौशल को निखारने का मौका मिलेगा। मेंदिरत्ता सितंबर में क्रोएशिया के ओसियेक में दुर्भाग्यशाली रहे कि शॉटगन विश्व चैंपियनशिप में पदक नहीं जीत पाए।
वह हालांकि चौथे स्थान पर रहते हुए ओलंपिक कोटा हासिल करने में सफल रहे। फरीदाबाद के 23 साल के मेंदिरत्ता ने इसके साथ ही तोक्यो ओलंपिक के लिए किसी भारतीय ट्रैप निशानेबाज के क्वालीफाई नहीं कर पाने की निराशा को भी पीछे छोड़ा। यह 1992 से पहला मौका था जब ओलंपिक में ट्रैप और डबल ट्रैप स्पर्धा में भारत का एक भी निशानेबाज शिरकत नहीं कर रहा था।
तीन कोटा स्थान हासिल करने के बाद भारतीय निशानेबाज जून 2024 तक चलने वाले क्वालीफिकेशन चक्र में और कोटा स्थान हासिल करने का लक्ष्य बनाएंगे। अगले साल अगस्त में होने वाली विश्व चैंपियनशिप और अक्टूबर में होने वाली एशियाई चैंपियनशिप में भारतीय निशानेबाज दबदबा बनाने का प्रयास करेंगे। रुद्रांक्ष जैसे युवाओं के अलावा भारत के पास स्कीट निशानेबाज मेराज अहमद खान की तरह अनुभवी निशानेबाज भी हैं जिनके पास संभवत: ओलंपिक पदक हासिल करने का संभवत: अंतिम मौका होगा।