निशानेबाजों का स्वर्णिम प्रदर्शन जारी, मनीष नरवाल ने भारत को दिलाया तीसरा स्वर्ण, अडाना को रजत
By भाषा | Published: September 4, 2021 03:26 PM2021-09-04T15:26:54+5:302021-09-04T15:26:54+5:30
निशानेबाज मनीष नरवाल ने पैरालम्पिक रिकॉर्ड के साथ तोक्यो खेलों में भारत की झोली में तीसरा स्वर्ण पदक डाला जबकि सिंहराज अडाना ने रजत पदक जीता जिससे पी4 मिश्रित 50 मीटर पिस्टल एसएच 1 स्पर्धा में शीर्ष दोनों स्थान भारत के नाम रहे । इसके साथ ही भारत के तोक्यो खेलों में 15 पदक हो गए जिनमें तीन स्वर्ण, सात रजत और पांच कांस्य शामिल हैं । विश्व रिकॉर्डधारी उन्नीस वर्ष के नरवाल ने पैरालम्पिक का रिकॉर्ड बनाते हुए 218 . 2 स्कोर करके अपने पहले ही खेलों में पीला तमगा जीता । स्वर्ण जीतने के बाद उन्होंने कहा ,‘‘ मैं बहुत खुश हूं ।’’ नरवाल को बचपन से ही खेलों का शौक था और वह फुटबॉल खिलाड़ी बनना चाहते थे। दाहिने हाथ में विकार के कारण वह अपना सपना पूरा नहीं कर सके । उनके पिता पहलवान दिलबाग ने पूरी कोशिश की कि दिव्यांग होने के कारण उनके बेटे के सपने नहीं टूटे । नरवाल का परिवार 2016 में उन्हें कोच राकेश ठाकुर की निशानेबाजी रेंज में ले गया और वह तुरंत इस खेल की ओर आकृष्ट हुए । वह नियमित अभ्यास करते रहे लेकिन उस समय उन्हें पैरालम्पिक खेलों के बारे में नहीं पता था । कोच जयप्रकाश नौटियाल ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्होंने 2017 बैंकाक विश्व कप में पी1 एयर पिस्टल एसएच1 स्पर्धा में व्यक्तिगत वर्ग का स्वर्ण जीता । वहीं पी1 पुरूषों की एस मीटर एयर पिस्टल एसएच1 स्पर्धा में मंगलवार को कांस्य जीतने वाले 39 वर्ष के अडाना ने 216 . 7 अंक बनाकर रजत पदक अपने नाम किया । इसके साथ ही अडाना एक ही खेलों में दो पदक जीतने वाले चुनिंदा खिलाड़ियों में शामिल हो गए । अडाना ने कहा ,‘‘ आज फाइनल बहुत कठिन था । जब मैं तीसरे स्थान पर था तो मैने खुद से कहा कि सिंहराज अच्छा प्रदर्शन, रूको, सांस लो, रूको , ओके । एक शॉट , बस एक शॉट । कोई और बात मेरे दिमाग में चल ही नहीं रही थी ।’’ फाइनल में पहनी हैट के बारे में उन्होंने कहा ,‘‘यह मेरी पत्नी ने मुझे तोहफे में दी थी और मेरे लिये लकी है ।’’ अडाना के दादा ने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया था और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना में रहे । अडाना काफी कम उम्र से ही गरीबों के लिये शिक्षा और दिव्यांगों के अधिकारों के लिये काम करते रहे हैं । वह 35 वर्ष की उम्र में निशानेबाज बने और रोज घर से 40 किलोमीटर दूर निशानेबाजी रेंज पर अभ्यास के लिये जाते थे । राष्ट्रीय कोच सुभाष राणा उनके मार्गदर्शक बने । अडाना ने लॉकडाउन के दौरान घर में ही रेंज बना ली और अभ्यास करते रहे । निशानेबाज अवनि लेखरा ने मौजूदा खेलों में स्वर्ण और कांस्य पदक जीता है । वहीं जोगिंदर सिंह सोढी ने 1984 पैरालम्पिक में रजत और कांस्य पदक जीता था । रूसी ओलंपिक समिति के सर्जेइ मालिशेव ने 196 . 8 अंकों के साथ कांस्य पदक जीता । दाहिने हाथ में विकार के शिकार नरवाल की शुरूआत धीमी रही जब उन्होंने 7.7 और 8.3 स्कोर किया लेकिन इसके बाद वल्लभगढ के इस युवा ने शानदार वापसी की । दूसरी ओर अडाना की शुरूआत काफी अच्छी रही लेकिन बीच में वह चूक गए । फाइनल सीरिज में नरवाल ने 8 . 4 और 9.1 जबकि अडाना ने 8.5 तथा 9.4 स्कोर किया । इससे पहले क्वालीफाइंग दौर में अडाना 536 अंक लेकर चौथे और नरवाल 533 अंक लेकर सातवें स्थान पर थे । भारत के आकाश 27वें स्थान पर रहकर फाइनल में जगह नहीं बना सके । नरवाल ने यूएई में 2021 पैरा निशानेबाजी विश्व कप में पी4 में विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण और टीम वर्ग में रजत पदक जीता था । उन्होंने सिडनी पैरा निशानेबाजी विश्व चैम्पियनशिप 2019 में तीन कांस्य पदक जीते थे । एसएच1 वर्ग में निशानेबाज एक ही हाथ से पिस्टल पकड़ते हैं क्योंकि उनके एक हाथ या पैर में विकार होता है जो रीढ की में चोट या अंग कटने की वजह से होता है । कुछ निशानेबाज खड़े होकर तो कुछ बैठकर निशाना लगाते हैं।
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