वोदका डायरीज रिव्यूः सस्पेंस की ओवरडोज है फिल्म, फिर भी अंत तक बांधे रखने में है कामयाब
By मेघना वर्मा | Published: January 19, 2018 01:38 PM2018-01-19T13:38:13+5:302018-01-19T13:59:53+5:30
के के मेनन हमेशा की ही तरह अपने रोल में रमे दिखे। खास कर अपने एसीपी के रोल में उनकी एक्टिंग, फिल्म में जान डालती है।
अपने प्रोफेशन से प्यार करने वाले लोगों के लिए फिल्म "वोदका डायरीज" एक बेहतरीन संदेश लेकर आई है। पुलिस वालों की जिन्दगी से जुड़ी एसीपी अश्वनी दीक्षित(के के मेनन) की कहानी कुछ ऐसी ही है। रोमांस और हल्के-फुल्के हंसी मजाक के साथ यह फिल्म सस्पेंस से भरी है। भारतीय दर्शकों के हिसाब से बात करें तो फिल्म में कुछ ज्यादा ही सस्पेंस दिखाने की कोशिश की गयी है। फिल्म की कहानी एसीपी अश्विनी और उनकी खोई पत्नी शिखा(मंदिरा बेदी) के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती है।
वोदका डायरीज की पटकथा
फिल्म की शुरुआत मनाली के खूबसूरत वादियों से शुरू होती है जहां एसीपी अश्वनी दीक्षित (केके मेनन) अपनी वाइफ शिखा (मंदिरा बेदी) के साथ छुट्टियों पर रहते हैं। वापस आने पर उन्हें पता चलता है कि वोदका डायरीज क्लब में एक के बाद एक खून होने शुरू हो गए हैं। धीरे-धीरे ये केस और भी पेंचीदा होने लगता है। अश्वनी दीक्षित इन मामलों को सुलझाते हुए खुद उलझ जाते हैं। इसी के बीच उनकी पत्नी शिखा भी कंही खो जाती हैं। शिखा के खोने के बाद एसीपी अश्विनी की स्थिति और खराब होने लगती हैं। वोदका डायरीज के मर्डर मिस्ट्री में वो इतने खो जाते हैं की उन्हें खुद चीजे समझ नहीं आती। इन्हीं सब के बीच एक रहस्यमय लड़की रौशनी बेनर्जी(राइमा सेन) की एंट्री होती है। अश्विनी का शक उन्हीं पर जाता है और वो रौशनी की छान-बीन शुरू कर देते हैं। अब चीजें और भी ज्यादा उलझ जाती हैं। अश्विनी एक ऐसे जाल में फंस जाते हैं जिससे निकलना आसान नहीं है। उनके सब अपने पराये हो जाते हैं। बेशक, फिल्म एक ऐसे मोड़ पर खत्म होती है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
वोदका डायरीज में एक्टिंग जबरदस्त लेकिन निर्देशन कमजोर
फिल्म की कहानी ऐसे ही कुछ मर्डर और उसकी तहकीकात के आस-पास घूमती है। के के मेनन हमेशा की ही तरह अपने रोल में रमे दिखे हैं। खासकर अपने एसीपी के रोल में उनकी एक्टिंग, फिल्म में जान डालती है। फर्स्ट हाफ में फिल्म एक अच्छी गति से चलती है और फिल्म में जो भी होता है वो समझ में आसानी से आता है। मगर इंटरवल के बाद फिल्म बहुत तेजी से आगे बढ़ती है। सस्पेंस को बनाये रखने के चक्कर में फिल्म बिना किसी लॉजिक के आगे बढ़ जाती है। फिल्म की कहानी दमदार है लेकिन निर्देशन में थोड़ी ढीली पड़ जाती है।कुशल श्रीवास्तव की यह पहली फिल्म है। फिल्म भले ही लॉजिक में कमजोर हो लेकिन दर्शकों को अपने में बांधे रखती है। मंदिरा बेदी और राइमा सेन की एक्टिंग फिल्म की जरूरत के हिसाब से है। अगर आपको थ्रिलर फिल्में पसंद हैं, तो आप "वोदका डायरीज" से निराश नहीं होंगे। साथ ही मनाली की खूबसूरत लोकेशन आपको पसंद आएंगी।
वोदका डायरीज **1/2
कलाकारः के के मेनन, मंदिरा बेदी, राइमा सेना
निर्देशकः कुशल श्रीवास्तव
निर्माताः कुशल श्रीवास्तव