न परिवार ने साथ दिया और ना दोस्तों ने अपनाया, फिर भी हासिल कर लिया ऐसा मुकाम
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 17, 2018 09:44 AM2018-11-17T09:44:45+5:302018-11-17T09:44:45+5:30
विनय से वीणा का सफर विश्व के अधिकांश ट्रांस जेंडर्स का जिस तरह कठिन होता है, वैसे ही हुआ. वीणा आसानी से अपने जीवन के बारे में बताती हैं.
नागपुर, 17 नवंबर: पांच फीट नौ इंच की लंबाई, कमसिन काया, दूध जैसा उजला रंग, चेहरे पर आत्मविश्वास, मधुर मुस्कान, मधुर स्वर और बातचीत में भी कमाल की नजाकत...यह है पहली मिस ट्रांस इंडिया का खिताब जीतने वाली 25 वर्षीय वीणा शेंद्रे. यानी छत्तीसगढ़ के रायपुर का विनय शेंद्रे. वीणा नागपुर में एक कार्यक्रम के लिए आई थी. विनय से वीणा का सफर विश्व के अधिकांश ट्रांस जेंडर्स का जिस तरह कठिन होता है, वैसे ही हुआ. वीणा आसानी से अपने जीवन के बारे में बताती हैं.
वीणा के अनुसार अक्सर उसे लगता था कि उसका जन्म एक लड़की के शरीर में हुआ है. वह बहुत ही शर्मिली थी. संकोची थी. जब 12-13 वर्ष की हुई, तो लगने लगा था कि उसमें थोड़ी-बहुत लड़की जैसी समानता है. उनके साथ खेलना, मस्ती करना बहुत अच्छा लगता था. वीणा ने बताया कि घर वालों ने उससे पूछा कि उसे अपनी बहन की लिपिस्टिक, कास्मेटिक क्यों पसंद आते हैं. उस समय उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया. जब वह 17 वर्ष की हुई तब भी उसकी यह पसंद कम नहीं हुई . वीणा ने बताया कि 19 वर्ष की आयु में उसने अपने माता-पिता को बताया कि वह आगे का जीवन एक लड़की की तरह व्यतीत करना चाहती है और इस तरह का ऑपरेशन भी कराना है. यह बात सुनकर परिवारवाले नाराज हो गए, गुस्सा हो गए.
वीणा ने बताया कि उसने कुछ समय बाद परिवारवालों को फिर समझाया. लेकिन उन पर सामाजिक बोझ ज्यादा था. दूसरी ओर वीणा की भावनाएं कुंठित होती जा रही थीं. उसे खुले मन से स्त्री के रूप में जीवन जीना था. परिवार और उसके बीच का अंतर बढ़ता जा रहा था. घर में अपमानजनक व्यवहार होने लगा.
स्कूल में भी कोई मित्र या सहेली नहीं थे. वे वीणा को अपने ग्रुप में शामिल नहीं करते थे. उसके साथ खेलते नहीं थे. कोई टिफिन शेयर नहीं करता था. वीणा ने बताया कि असहनीय होने के बाद उसने सारी बातें माता-पिता को बताई, तब उन्हें मेरी परेशानी समझ में आई. उनका विरोध कम हुआ. फिर मेरे लिंग परिवर्तन के लिए ऑपरेशन की अनुमति भी दी और यह करने के लिए मुझे पूरा सहयोग भी दिया. वीणा ने बताया कि इसी बीच हमारे घर में एक शादी थी. उस समय वह पहली बार विनय के बजाय वीणा के रूप में शामिल हुई. यह उसके लिए एक टेस्ट था. उसे समाज स्वीकार करता है या नहीं, यह भी उसे देखना था.
घर के वरिष्ठों ने इस पर खासी आपत्ति जताई. विरोध भी किया. उस समय मां उर्मिला शेंद्रे ने पूरा सहयोग दिया. वीणा ने बताया कि यह उसके जीवन का एक टर्निंग प्वाइंट था. अपने समाज में ऐसा ही बदलाव आना चाहिए. वीणा के अनुसार इसके बाद वह मॉडलिंग के क्षेत्र में आई. अनेक स्पर्धाओं में शामिल हुई. उसे सब पहचानने लगे. मुंबई, बेंगलुरु में रैंप वॉक किया. इस बदलाव के कारण उसके जीवन की दिशा ही बदल गई. मेकअप आर्टिस्ट का कोर्स किया. ब्युटीशियन का कोर्स किया. मिस ट्रांस इंडिया के लिए आवेदन किया. यह अनुभव भी एक प्रेरणादायी साबित हुआ.
वीणा के अनुसार हम बहुत कुछ कर सकते हैं. डॉक्टर या इंजीनियर भी बन सकते हैं... लेकिन घर वालों को हमें पूरी तरह सपोर्ट करना चाहिए. जिसके घर में ऐसे बच्चे हैं, वहां पालकों को मैं बताना चाहती हूं कि अपने बच्चे को स्वीकार करें. उसका साथ दें. वह अपना जीवन निश्चित ही बना सकता है. छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने ट्रांसजेंडर्स के लिए अनेक उपक्रम व योजनाएं शुरू की है. उसका हम लाभ लेते हैं. ऐसी योजना देश के अन्य राज्यों में भी शुरू हो. राष्ट्र के मुख्य प्रवाह में ट्रांसजेंडर्स, गे ऐसे समलैंगिक नागरिकों को शामिल करने की दिशा में यह प्रयास होना चाहिए.