5 अक्टूबर, 2018 को अखबारों में एक खबर प्रमुखता से प्रकाशित की गई है- गूगल को पछाड़कर एप्पल शीर्ष ब्रांड बन गया है। यह महज संयोग ही है कि 5 अक्टूबर को ही एप्पल की नींव रखने वाले और कंपनी को इस मकाम तक लाने वाले स्टीव जॉब्स की पूण्यतिथि भी है। पैंक्रियाज कैंसर से जूझते स्टीव जॉब्स की 5 अक्टूबर, 2011 को निधन हो गया था।
स्टीव जॉब्स को बिजनेस टाईकून के तौर पर याद किया जाता है। वे कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल फोन बनाने वाली आज तक की सबसे बड़ी कंपनी एप्पल के पूर्व (सीईओ), सह-संस्थापक रहे थे। वह पिक्सर एनीमेशन स्टूडियोज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी रहे थे। लेकिन उन्हीं की जिंदगी का एक सच ये भी है कि उन्हें एप्पल कंपनी से निकाल दिया गया था।
एप्पल के बोर्ड के निदेशकों ने हटाया था पदों से
स्टीव जॉब्स साल 1973 तक अमेरिका की तमाम कंपनियों में नौकरी करते रहे थे। साल 1973 में जब उन्होंने दूसरी कंपनियों की नौकरी से संन्यास लिया तो उनकी अंतिम नौकरी अटारी नाम की कंपनी में तकनीशियन की थी। यहां उन्होंने नौकरी छोड़ी और अध्यात्म की खोज में निकल गए। कई देशों की यात्रा के बाद फिर से 1975 में अमेरिका पहुंच गए।
साल 1976 में, स्टीव वोजनियाक ने मेकिनटोश ने एक एप्पल कंप्यूटर लेकर जॉब्स के पास गए तो जॉब्स उसे बेचने का सुझाव दिया। इसके बाद दोनों मिलकर गैरेज में एप्पल कंप्यूटर बनाना शुरू कर दिया। बाद में इसे बढ़ाने के लिए उन्होंने इंटेल उत्पाद विपणन प्रबंधक और इंजीनियर माइक मारककुल्ला से पैसे उधार लिए।
यहां से यह दौर चला और महज 8 सालों के भीतर एप्पल ऐसी कंपनी हो गई कि साल 1983 में जॉब्स ने लालची जॉन स्कली को पेप्सी कोला को छोड़ कर एप्पल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की जॉब्स ऑफर की।
लेकिन साल 1985 में एप्पल के ही कंपनी बोर्ड निदेशकों ने स्कली के ही कहने पर स्टीव जॉब्स के अध्यक्ष पद अलावा अन्स सभी पदों से मुक्त कर दिया। उन्हें उनकी सभी भूमिकाओं से हटा दिया गया। कुछ ही दिन बाद में जॉब्स अध्यक्ष पद से भी हटा दिए गए।
डूबने लगा एप्पल तो दोबारा बुलाया स्टीव जॉब्स को
साल 1985 में एप्पल से निकाले जाने के बाद स्टीव अपनी नेक्स्ट इंक कंपनी व अपने तरह के कामों में लग गए थे। लेकिन साल 1996 में एप्पल एक बार फिर से डूबने लगा तो स्टीव जॉब्स की कंपनी को याद आई। फिर से उन्हें सीईओ पद नवाजा गया। उन्होंने साल 1998 में आइमैक लाकर फिर से खोई साख लौटा दी।
साल 2007 में आए आईफोन ने ऐसी सफलता प्राप्त की दुनियाभर में स्टीव जॉब्स की प्रसिद्धि चोटी पर पहुंच गई। इसे पूरी तरह से स्टीव जॉब्स का आविष्कार माना जाता है। आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि स्टीव जॉब्स अध्यात्म की खोज में भारत आए थे। यहां से लौटने के बाद ही उनकी किस्मत पलटी थी।
गोद लिए बच्चे थे स्टीव, भारत आकर ढूंढ़नी चाही थी शांति
स्टीव पॉल जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को में हुआ था। लेकिन उनकी मां की शादी नहीं हुई थी। बताया जाता है जन्म के समय वह मुस्लिम परिवार संबंधित थे। लेकिन स्टीव को बाद में किसी ईसाई परिवार ने गोंद ले लिया। लेकिन वहां भी किसी अमीर आदमी नहीं, एक आम परिवार ने। छोटी उम्र से ही स्टीव संघर्षों से दो-चार होते रहे।
अमेरिका में जब वे अपनी नौकरी से ऊबे तो साल साल 1974 में वह दोस्तों संग भारत आकर नीम करोली बाबा से मिलने पहुंचे। हालांकि तब करोली बाबा का निधन हो चुका था। इसके बाद वे दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश आदि घूमते रहे। बताते हैं कि इसी दौरान बौद्ध धर्म धारण कर लिए अपना सिर मुंडाया और रहन-सहन के तरीके भी बदल डाले। इसके बाद ही एप्पल इस दुनिया में आया।