शरतचंद्र चटोपाध्यायः सदी के सबसे 'नाकाम प्रेमी' का रचयिता, जिसे फिल्मकारों ने हाथों-हाथ लिया!
By आदित्य द्विवेदी | Published: September 15, 2018 07:19 AM2018-09-15T07:19:35+5:302018-09-15T09:55:20+5:30
Sarat Chandra Chattopadhyay Birth Anniversary 2018 Special: देवदास... सदी का सबसे नाकाम प्रेमी जो शरतचंद्र की कलम से निकलकर सिनेमा के पर्दे से होते हुए आम लोगों का हो गया। पढ़िए शरत चंद्र चटोपाध्याय की जन्मतिथि पर कुछ रोचक बातें...
बदनामी फैला दूं क्या पारो?
उस वक्त बदनाम हो जाते तो शायद हमारा नाम एक हो जाता देव!
ऐसा ना जाने कितने संवाद इश्क और जुदाई का जरूरी हिस्सा हो गए हैं। देव और पारो की मुहब्बत से शायद ही कोई अंजान हो। इसको लिखते हुए इसकी लोकप्रियता की कल्पना शायद शरत चंद्र चटोपाध्याय ने भी नहीं की होगी। 17 साल की उम्र में लिखे गए इस उपन्यास पर अलग-अलग भाषाओं में 17 फिल्में बन चुकी हैं। सिर्फ देवदास ही नहीं, शरत चंद्र के लिखे अन्य कई उपन्यास पर 50 से भी ज्यादा फिल्में बनाई जा चुकी हैं। बंगाली साहित्यकार शरतचंद्र का जन्म 15 सितंबर 1876 को हुआ था।
देवदास से जुड़ी कुछ रोचक बातेंः-
- देवदास पर आधारित पहली फिल्म 1928 में बनी थी। इसे नरेश मित्रा ने निर्देशित किया था। फणई बर्मा देवदास बने थे, तारकबाला ने पारो और पारुलबाला ने चंद्रमुखी का किरदार निभाया था।
- 1935 में पीसी बरुआ ने बंगाली में देवदास बनाई जिसमें केएल सहगल ने मुख्य भूमिका निभाई। पारो का किरदार जमुना बरुआ और राजकुमारी चंद्रमुखी बनी थी।
- 1955 में बिमल रॉय के निर्देशन में दिलीप कुमार देवदास बने। इस फिल्म को खूब सराहा गया और आज भी इसका शुमार हिंदी सिनेमा की क्लासिक फ़िल्मों में होता है। फ़िल्म में सुचित्रा सेन पारो और वैजयंतीमाला चंद्रमुखी के किरदार में थीं।
- 2002 में संजय लीला भंसाली ने देवदास को और भव्यता दे दी। शाहरुख खान के लिए देवदास का किरदार मील का पत्थर साबित हुआ। ऐश्वर्या राय ने पारो और माधुरी दीक्षित ने चंद्रमुखी का किरदार निभाया था।
- अनुराग कश्यप ने देवदास को पूरे नए कलेवर में पेश किया। फिल्म का नाम था- देव डी। देवदास बने थे अभय देओल और पारो का किरदार निभाया माही गिल ने और चंद्रमुखी बनी कल्कि। राजनीतिक पृष्ठभूमि पर सुधीर मिश्रा ने दासदेव बनाई। जिसमें राहुल भट्ट ने देवदास का किरदार निभाया।
- शरत चंद्र के उपन्यास चरित्रहीन पर 1974 में इसी नाम से एक फिल्म बनी थी। इसके अलावा 1953 और 2005 में परिणीता पर आधारित फिल्में बन चुकी हैं। 1969 में बड़ी दीदी और मंझली बहन आदि पर भी फिल्में बन चुकी हैं।
शरत चंद्र के जीवन से जुड़ी बातेंः-
- हुगली जिले के देवानंदपुर गांव में 15 सितंबर 1876 में उनका जन्म हुआ। शरतचंद्र के नौ भाई-बहन थे।
- शरतचन्द्र ललित कला के छात्र थे लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वे इसकी पढ़ाई नहीं कर सके। रोजगार के तलाश में शरतचन्द्र बर्मा गए और लोक निर्माण विभाग में क्लर्क के रूप में काम किया। कुछ समय बर्मा रहकर कलकत्ता लौटने के बाद उन्होंने गंभीरता के साथ लेखन शुरू कर दिया।
- शरतचंद्र ने अनेक उपन्यास लिखे जिनमें पंडित मोशाय, बैकुंठेर बिल, मेज दीदी, दर्पचूर्ण, श्रीकांत, अरक्षणीया, निष्कृति, मामलार फल, गृहदाह, शेष प्रश्न, दत्ता, देवदास, बाम्हन की लड़की, विप्रदास, देना पावना आदि प्रमुख हैं।
- बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन को लेकर "पथेर दावी" उपन्यास लिखा गया। पहले यह "बंग वाणी" में धारावाहिक रूप से निकाला, फिर किताब की शक्ल में छपा तो तीन हजार का संस्करण तीन महीने में ख़त्म हो गया। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने इसे ज़ब्त कर लिया।
- शरतचंद्र ने उपन्यासों के साथ ही नाटक, गल्प और निबन्ध भी लिखे। 16 जनवरी 1938 में उन्होंने अंतिम सांस ली।