दोनों हाथ नहीं हैं तो भी क्या गम है, पैरों से लिख रही हैं रहनुमा

By बलवंत तक्षक | Published: January 23, 2019 06:49 AM2019-01-23T06:49:54+5:302019-01-23T09:41:11+5:30

वे नेत्रहीन छात्रों के पढ़ने के लिए लेखन करना चाहती हैं. 10 वीं क्लास में पढ़ाई के दौरान जब उसने स्कॉलरशिप के लिए इम्तिहान दिया तो नेत्रहीन छात्र भी वहां मौजूद थे.

Rehnuma Chandigarh: Even if there are no hands, is writing with the feet | दोनों हाथ नहीं हैं तो भी क्या गम है, पैरों से लिख रही हैं रहनुमा

तस्वीरः सोशल मीडिया से

अगर आप ठान लें तो कुछ भी मुश्किल नहीं है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण 17 साल की रहनुमा हैं. रहनुमा के दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन उन्हें इसका कोई गम नहीं है. उन्होंने अपने पैरों को ही हाथ बना लिया है. वे पैरों से न केवल लिखती हैं, बल्कि ड्राइंग और पेंटिंग भी अच्छे से बना लेती हैं. रहनुमा के मन में अंधे बच्चों की सहायता करने की इच्छा है.

वे नेत्रहीन छात्रों के पढ़ने के लिए लेखन करना चाहती हैं. 10 वीं क्लास में पढ़ाई के दौरान जब उसने स्कॉलरशिप के लिए इम्तिहान दिया तो नेत्रहीन छात्र भी वहां मौजूद थे. यह बच्चे बोल कर अपने राइटर को बता रहे थे. तब उसे अहसास हुआ कि नेत्रहीन छात्रों के लिए लिखा जाना चाहिए. इन दिनों वह इन्हीं कोशिशों में जुटी है.

चंडीगढ़ के सेक्टर-आठ के सरकारी स्कूल में वे 11वीं क्लास की छात्र हैं. बचपन से ही बिना हाथों की रहनुमा को उनके पिता शरीफ अहमद और मां गुलनाज बानो ने पैरों से लिखना सिखाने में मदद की. लिखने की शुरु आत चॉक और कोयले से की गई. उसने अपनी परीक्षा भी पैरों से लिख कर ही दी और लिखने के लिए कभा अतिरिक्त समय दिए जाने की भी मांग नहीं की. 

घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं

 यहां मोली जागरां गांव की राजीव कॉलोनी में झुग्गी में रह रही रहनुमा के पिता मजदूरी करते हैं. घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है. पैरों से लिखे उसके सुंदर अक्षर देख कर 5 वीं क्लास के ड्राइंग शिक्षक अमित ने उसे चित्र बनाना सिखाया. यह उसकी मेहनत का ही नतीजा था कि पिछले पांच साल में वह 13 बार इनाम जीत चुकी है और इस बीच उसने दो अवार्ड भी हासिल किए हैं. रहनुमा को चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस भी सम्मानित कर चुकी है. 

English summary :
Read here Inspirational Story of Rehnuma, a 17 year old Brave Girl from Chandigarh who does not have hands who uses her legs as hands and does all the work which a common man does.


Web Title: Rehnuma Chandigarh: Even if there are no hands, is writing with the feet

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