उद्धव ठाकरे सरकार ने कोरेगांव-भीमा और मराठा आरक्षण आंदोलन से जुड़े कई मामले लिए वापस
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 28, 2020 09:11 AM2020-02-28T09:11:58+5:302020-02-28T09:11:58+5:30
महाराष्ट्रः गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बताया कोरेगांव -भीमा हिंसा के 649 मामलों में से 348 वापस लिए गए हैं. इसी प्रकार मराठा आरक्षण आंदोलन से जुड़े 548 में से 460 मामले वापस लिए गए हैं.
महाविकास आघाड़ी की सरकार ने कोरेगांव-भीमा हिंसा और मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए अधिकतर मामले वापस ले लिए हैं. इनमें जो मामले गंभीर नहीं हैं उनका समावेश है. यह घोषणा गुरुवार को गृहमंत्री अनिल देशमुख ने विधान परिषद में की. पिछले कई दिनों से विभिन्न संगठनों की ओर से ये मामले वापस लेने की मांग की जा रही थी. फड़नवीस सरकार के दौरान मामले वापस लेने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ था.
देशमुख ने बताया कोरेगांव -भीमा हिंसा के 649 मामलों में से 348 वापस लिए गए हैं. इसी प्रकार मराठा आरक्षण आंदोलन से जुड़े 548 में से 460 मामले वापस लिए गए हैं. उन्होंने यह भी बताया कि इनमें वे मामले शामिल नहीं हैं, जो जीवित हानि और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान से जुड़े हैं. ये गंभीर किस्म के मामले हैं.
गृहमंत्री ने बताया कि किसान आंदोलन, नाणार परियोजना आंदोलन और अन्य आंदोलनों के दौरान दर्ज मामले भी वापस लेने पर विचार किया जा रहा है. कई संगठनों के लोगों ने जानकारी दी कि सरकार के खिलाफ बोलने पर उन पर मामले दर्ज किए गए, जबकि वे निर्दोष हैं.
देशमुख ने सदन को बताया कि कोरेगांव-भीमा हिंसा और एल्गार परिषद से जुड़ी जांच यदि गलत दिशा में की गई है तो उसकी समानांतार जांच करने का अधिकार सरकार को है. महाराष्ट्र पुलिस कानून के तहत जांच कर कार्रवाई कर सकती है या नहीं, इस बारे में विचार किया जा रहा है.
इससे पहले कांग्रेस के गुट नेता शरद रणपिसे ने आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने के लिए कोरेगांव-भीमा और एल्गार परिषद मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में आयोग नियुक्त करने की मांग की. इसके जवाब में देशमुख ने उक्त जानकारी दी.
इस बीच, विपक्ष के सदस्यों ने यह जानना चाहा कि क्या राकांपा नेता शरद पवार को जांच आयोग ने गवाह के तौर पर बुलाया है या नहीं? इस पर देशमुख ने बताया कि इसकी उन्हें जानकारी नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार दलितों के खिलाफ अन्याय नहीं होने देगी.
कौन से मामले वापस लिए गए
आंबेडकर वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने महाविकास आघाड़ी की सरकार से यह जानना चाहा है कि उसने कौन से मामले वापस लिए हैं, उसका उचित रूप से खुलासा किया जाए. उन्होंने कहा कि एक जनवरी 2018 को कोरेगांव-भीमा में स्मृति स्तंभ को वंदन करने जा रहे लोगों पर हमला किया गया था. जिन लोगों ने हमले किए थे, क्या उनके मामले वापस लिए गए हैं? या फिर 3 जनवरी 2018 को आयोजित बंद के दौरान हुई हिंसा के मामले वापस लिए गए हैं?