150 दिनों में 1300 किलोमीटर की दूरी तय कर बाघ पहुंचा ज्ञानगंगा अभयारण्य
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 2, 2019 07:56 AM2019-12-02T07:56:24+5:302019-12-02T07:56:24+5:30
नीलेश जोशी
करीब 150 दिनों में दो राज्यों के छह जिलों की यात्रा करते हुए यवतमाल जिले के टिपेश्वर' अभयारण्य से तीन साल का टीवन सीवन बाघ बुलढाणा जिले के ज्ञानगंगा अभयारण्य में पहुंच गया है. इन पांच महीनों में बाघ ने 1300 किलोमीटर की दूरी तय की है. इस कारण यवतमाल, नांदेड़, तेलंगाना बुडाना होते हुए मेलघाट तक एक नया टाइगर कॉरिडॉर होने की उम्मीद नजर आने लगी है. बुलढाणा शहर से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ज्ञानगंगा अभयारण्य में बाघ के रहने की दृष्टि से सभी जरूरी सुविधाएं हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार आनेवाले कुछ दिनों तक बाघ अभयारण्य में अपने निवास के लिए सुरक्षित स्थल देखेगा. उसकी सुविधा के अनुरूप सब होने पर वह यहां स्थायी भी हो सकता है. नर बाघ होने से उसके भ्रमण की काफी संभावना है. फिलहाल वह मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प से महज 50 किलोमीटर दूर है. ज्ञानगंगा अभयारण्य में भालुओं के साथ विविध प्राणियों का निवास होने से बाघ यहां रुक भी सकता है. यवतमाल के टिपेश्वर अभयारण्य में टीडब्ल्यूएलएस-1 नामक बाघिन ने 2016 के अंत में सीवन बाघ सहित सी-2 और सी-3 इन तीन बच्चों को जन्म दिया था. उनमें से सी-3 बाघ सीधे तेलंगाना गया और फिर टिपेश्वर में आकर स्थायी हो चुका है.
इस बीच सी-2 बाघ पैनगंगा अभयारण्य में है जबकि सी-3 ज्ञानगंगा अभयारण्य पहुंच चुका है. तीनों बाघों को 25 से 27 मार्च 2019 के दौरान रेडियो कॉलर लगा गया है. महाराष्ट्र वनविभाग और देहरादून के वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ पूर्व विदर्भ में बाघ के परिभ्रमण पर नजर रखे हुए हैं. फोटो: 01 बीएलपीएच 15 ज्ञानगंगा अभयारण्य में मिले बाघ के पैरों के निशान. ..................