सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश देने से मना किया, 27 जुलाई से सुनवाई
By विनीत कुमार | Published: July 15, 2020 01:03 PM2020-07-15T13:03:26+5:302020-07-15T13:10:12+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल मराठा आरक्षण पर रोक लगाने संबंधी अंतरिम आदेश देने से मना कर दिया है। मामले की सुनवाई 27 जुलाई से नियमित तौर पर की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान ये भी कहा गया कि 27 जुलाई से इस मामले की विस्तृत सुनवाई होगी। दरअसल, आरक्षण के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया है कि मराठा आरक्षण से सुप्रीम कोर्ट की ओर से आरक्षण की सीमा 50% तक रखने की सीमा के निर्देशों का उल्लंघन हुआ है। याचिका में कहा गया है कि अब राज्य में कुल आरक्षण 70 से 73 प्रतिशत हो गया है।
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को शिक्षा में 12 प्रतिशत और सरकारी नौकरियों में 13 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण देने के इस कानून को भाजपा सरकार के कार्यकाल में मंजूरी दी गई थी। इसे 2018 में लागू किया गया था।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले साल अपने फैसले में इस कानून को सही ठहराते हुये कहा था कि 16 फीसदी का आरक्षण न्यायोचित नहीं है और इस कानून के तहत रोजगार के लिये 12 प्रतिशत तथा शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये 13 फीसदी आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर पिछली सुनवाई (7 जुलाई) के दौरान पेश कुछ वकीलों ने पीठ से कहा था कि इन याचिकाओं पर कोर्ट में सुनवाई की आवश्यकता है क्योंकि वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हो सकता है कि इस पर उचित तरीके से न्याय नहीं हो सके।
इस पर जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस रवीन्द्र भट पीठ ने कहा कि फिलहाल तो न्यायालय में सुनवाई संभव नहीं होगी और वह अगले सप्ताह इस मामले में अंतरिम राहत के पहलू पर विचार करेगी। कोविड-19 महामारी संक्रमण की वजह से शीर्ष अदालत अभी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ही मुकदमों की सुनवाई कर रही है।
कोर्ट ने इससे पहले पांच फरवरी को भी मराठा समुदाय के लिये आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी कानून को सही ठहराने वाले हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
(भाषा इनपुट)