नागपुर फ्लैशबैकः 2004 चुनाव में सभी दलों में बंटी सीटें, भाजपा के उभार के बीच शहर में कांग्रेस आगे

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: September 20, 2019 08:23 AM2019-09-20T08:23:00+5:302019-09-20T08:23:00+5:30

नागपुर की सभी सीटों के चुनावी इतिहास की विशेष सीरीज. जानें 2004 के चुनाव का फ्लैशबैक...

Nagpur Flashback: Distribution seats in all parties in 2004 elections, Congress ahead in city amid BJP's rise | नागपुर फ्लैशबैकः 2004 चुनाव में सभी दलों में बंटी सीटें, भाजपा के उभार के बीच शहर में कांग्रेस आगे

नागपुर फ्लैशबैकः 2004 चुनाव में सभी दलों में बंटी सीटें, भाजपा के उभार के बीच शहर में कांग्रेस आगे

कमल शर्मा

2004 के नागपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा के उभार के बीच कांग्रेस अपनी ताकत बचाए रखने में सफल रही. शहर की सीटों में केवल देवेंद्र फडणवीस ही भाजपा को जीत दिलाने में सफल रहे. ग्रामीण में राकांपा ने दो सीटों पर जीत हासिल की. जबकि शिवसेना, कांग्रेस और निर्दलीय ने एक-एक सीट बांट ली. बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों ने कुछ सीटों पर अच्छे वोट हासिल कर चुनाव परिणाम को प्रभावित किया.

उत्तर फिर कांग्रेस के साथ

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर कांग्रेस ने पुन: नितिन राऊत पर विश्वास जताया. 70745 वोटों के साथ उन्होंने दूसरी बार इस सीट पर जीत दर्ज की.  भाजपा ने इस बार आंबेडकरी राजनीति से आए नानाजी शामकुले (आज चंदपुर से भाजपा विधायक) पर दांव खेला लेकिन वे 33556 वोटों के साथ कुल 14 उम्मीदवारों में दूसरे स्थान पर रहे. बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर पूर्व महापौर राजेश तांबे 27704 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे. पूर्व विधायक उपेंद्र शेंडे ने इस बार सपा का दामन थामा. लेकिन उनकी दौड़ 1222 वोटों पर ही थम गई. जबकि भारिपा बहुजन महासंघ के डॉ. मिलिंद माने (आज विधायक) 3714 वोट पर रुक गए.

पूर्व में चतुव्रेदी फिर भारी

 कांग्रेस के सतीश चतुव्रेदी ने 93246 वोट लेकर पुन: जीत दर्ज की. शिवसेना ने इस बार उम्मीदवार को बदलते हुए शेखर सावरबांधे को मौका दिया जिन्होंने 84415 वोट लेकर चतुव्रेदी को कड़ी टक्कर दी. बहरहाल चुनाव परिणाम पर सबसे अधिक असर अशोक गोयल ने डाला. गोयल ने भाजपा से बगावत कर बसपा की टिकट पर 20272 वोट हासिल किए.

दक्षिण फिर कांग्रेस की झोली में

भाजपा ने निवर्तमान विधायक मोहन मते पर दांव खेला. लेकिन वे पिछली बार की भांति गोविंदराव वंजारी की चुनौती को पार नहीं पा सके. 44551 वोट हासिल कर वंजारी ने यह सीट एक बार फिर कांग्रेस की झोली में डाल दी. बसपा ने इस बार किरण पांडव को मैदान में उतारा जिन्होंने 26439 वोट हासिल किए. भारिपा बहुजन महासंघ के राजू लोखंडे अबकी बार 12056 वोटों पर सिमट गए.

मध्य ने जताया अनीस पर विश्वास

कांग्रेस के अनीस अहमद ने 39684 वोटों के साथ पुन: इस सीट पर परचम लहराया. भाजपा के दयाशंकर तिवारी 28401 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. जबकि बसपा के किशोर पराते 8530, सपा के अफजल फारुख 699, जनता दल (एस) के अहमद मोइनुद्दीन 448 वोटों तक ही सीमित रहे.

पश्चिम में हैवीवेट की टक्कर

यह निर्वाचन क्षेत्र भाजपा के देवेंद्र फडणवीस और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे रणजीत देशमुख जैसे हैवीवेट नेताओं के बीच संघर्ष का साक्षी बना. फडणवीस 113143 वोट के साथ जीत दर्ज कर दूसरी बार विधानसभा पहुंचे जबकि देशमुख को 94533 वोट मिले. बसपा के प्रशांत पवार ने 14368 वोट लिए. दत्तू थेटे, दिलीप चौधरी, देवेंद्र वानखेड़े, महेंद्र धावड़े सहित मैदान में मौजूद अन्य उम्मीदवार कुछ खास नहीं कर सके.

कामठी में बावनकुले का उदय

भाजपा ने जिला परिषद की राजनीति में सक्रिय चंद्रशेखर बावनकुले को मौका दिया जिन्होंने 56128 वोटों के साथ यह सीट भाजपा की झोली में डाल दी. रिपा की निवर्तमान विधायक सुलेखा कुंभारे 48734 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहीं. पूर्व विधायक यादवराव भोयर ने इस बार बसपा का दामन थामा लेकिन 15203 वोट ही ले सके. निर्दलीय पुरुषोत्तम शहाणो ने 27192 वोट लेकर सभी को चौंका दिया. सपा की माया चवरे 1688, निर्दलीय राजा हिंदुस्तानी 2202 वोट पर सिमट गए.

बड़े चेहरों को नहीं मिला जनता का साथ

इस चुनाव में भी क ई बड़े नेताओं को हार का सामना क रना पड़ा. कांग्रेस के  वरिष्ठ नेता रणजीत देशमुख भी इनमें से एक हैं. वे 94533 वोट हासिल कर भी हार गए. जीत भाजपा के  देवेंद्र फडनवीस की हुई. इसी प्रकार उत्तर नागपुर का प्रतिनिधित्व करने वाले उपेंद्र शेंडे बताने लायक  वोट भी नहीं पा सके. दक्षिण में निवर्तमान विधायक  मोहन मते को भी हार का सामना क रना पड़ा. कामठी में सुलेखा कुंभारे और यादवराव भोयर का भी यही हश्र हुआ. उमरेड में वसंतराव इटके लवार, सावनेर में देवराव आसोले और रामटेक  में मधुकर किम्मतकर को भी जनता का आशीर्वाद नहीं मिला.

ग्रामीण में कांग्रेस को नहीं मिला साथ

रामटेक  संसदीय सीट में समाहित विधानसभा क्षेत्रों ने कांग्रेस का इस बार भी साथ नहीं दिया. केवल उमरेड में राजेंद्र मुलक ने जीत दर्ज कर कांग्रेस को खुश होने का मौका दिया. भाजपा के  विट्ठलराव राऊत एक बार फिर दूसरे स्थान पर रहे. बसपा के  कृष्णा बेले ने 11057 वोट हासिल किए.  जबकि  निवर्तमान विधायक वसंतराव इटके लवार केवल 6668 वोट ही हासिल कर सके. क लमेश्वर में राकांपा के रमेश बंग ने पुन: जीत दर्ज की. हालांकि  निर्दलीय सुनीता गावंडे ने 45579 वोट लेक र उन्हें क ड़ी चुनौती दी. 

शिवसेना के  रमेश अढ़ाऊ  43560 वोट लेकर एक बार फिर असफल रहे. बसपा के दिलीप देशमुख ने 9527 वोट लेकर उपस्थिति का एहसास क राया. सावनेर में बतौर निर्दलीय सुनील के दार ने फि र इस सीट पर जीत दर्ज की. भाजपा के  पूर्व विधायक  देवराव आसोले की दौड़ 48396 वोटों पर रुक  गई. कांग्रेस के  चंदनसिंह रोटेले को के वल 9499 वोट मिले जबकि  बसपा के  अमरचंद जैन ने 18 हजार से अधिक  वोट लिए. काटोल में राकांपा के अनिल देशमुख ने जीत की हैट्रिक  लगाई. 

पूर्व विधायक  सुनील शिंदे के पुत्र सतीश ने शिवसेना की टिकट पर 30334 वोट लिए. रामटेक में शिवसेना के  आशीष जायस्वाल ने एक  बार फिर जीत दर्ज की. उन्हें 41115 वोट मिले. कांग्रेस से बगावत कर विदर्भवादी मधुकर किम्मतकर ने बतौर निर्दलीय 27539 वोट लिए. इसी प्रकार एक  और बागी मल्लिकाजरुन रेड्डी ने भी 21291 वोट हासिल किए. कांग्रेस के  चंद्रपाल चौक से 23904 वोटों पर रुक गए. गोंगपा के धमरूजी उईके  ने 9441 वोटों के साथ उपस्थिति का एहसास कराया.

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