मराठा आरक्षण की सुनवाई 5 जजों की संविधान पीठ को सौंपने की मांग, उद्धव सरकार से गंभीरता दिखाने की अपील
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 29, 2020 10:12 AM2020-02-29T10:12:46+5:302020-02-29T10:12:46+5:30
मराठा आरक्षण वाली याचिका पाटिल के वकील एड. संदीप देशमुख ने दायर की है. उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण के लिए संविधान पीठ गठित की जाएगी और फिर एक बार मराठा आरक्षण लागू होगा.
लोस सेवा मराठा आरक्षण को फिर से लागू करने के लिए महाराष्ट्र के आर. आर. फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इस प्रकरण की सुनवाई संविधान पीठ को सौंपने की मांग की है. मराठा आरक्षण की सुनवाई बंबई हाईकोर्ट के बाद दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में शुरू है. इस प्रकरण में मराठा आरक्षण का विरोध करने वाले अनेक संवैधानिक पहलुओं का उल्लेख किया गया है.
खास तौर पर इसमें धारा 338 (ब), 342 (अ), 366 (26क) राज्य सरकार के अधिकार तथा धारा 15 व 16 के बारे में 50% आरक्षण की सीमा का अनिवार्य रूप से उल्लेख किया जाता है. लेकिन, इसके पहले ही बंबई हाईकोर्ट ने ये सभी मुद्दे खारिज कर आरक्षण को मंजूर कर इस पर मुहर लगा दी है. फिर भी इस बारे में लगातार मराठा आरक्षण का विरोध करने वाली याचिकाओं में इन प्रावधानों का उल्लेख किया जाता है.
आर. आर. फाउंडेशन के अध्यक्ष विनोद पाटिल ने कहा, ''हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. हमने अदालत से अपील की है कि ऐसे संवैधानिक पहलुओं पर किसी भी प्रकार का निर्णय लेना हो तो धारा 145/3 के अनुसार यह अधिकार संविधान पीठ के पास है. इसलिए 5 न्यायमूर्तियों की संविधान पीठ तत्काल गठित की जाए और वही इसका फैसला करें.''
यह याचिका पाटिल के वकील एड. संदीप देशमुख ने दायर की है. उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण के लिए संविधान पीठ गठित की जाएगी और फिर एक बार मराठा आरक्षण लागू होगा. पाटिल ने कहा कि राज्य सरकार, मराठा आरक्षण के लिए गंभीरता दिखाए और यह स्पष्ट करे कि किस तरह से आरक्षण बरकरार रखा जा सकता है.