महाराष्ट्र: नकली कीटनाशक बेचने वालों पर भारी जुर्माना, विदर्भ में हुई किसानों की मौत बाद उद्धव सरकार ने उठाया कदम
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 13, 2020 08:21 AM2020-02-13T08:21:50+5:302020-02-13T08:21:50+5:30
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2020 के मसौदे को आज मंजूरी प्रदान कर दी, जिसमें मिलावटी या बिना पंजीकरण वाला कीटनाशक बेचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है. विधेयक के अनुसार नकली कीटनाशक बेचते पकड़े जाने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है और आपराधिक मामला भी चलाया जा सकता है.
कुल मिलाकर कीटनाशक का सुरक्षित एवं प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है. इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि गलत कीटनाशक के कारण खेती का या व्यक्ति को कोई नुकसान होता है, तब इसमें मुआवजे की भी व्यवस्था की गई है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बैठक के बाद संवाददातओं को बताया कि 2008 में कीटनाशक प्रबंधन विधेयक आया था लेकिन वह संसद से पारित नहीं हो सका.
उस विधेयक को वापस लेकर और स्थायी समिति की सिफारिशों एवं अन्य सुझावों पर विचार करने के बाद नये रूप में कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2020 लाने जा रहे हैं. इसे संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा. जावड़ेकर ने कहा कि यह मोदी सरकार की किसानों के कल्याण के लिए एक और पहल है. इसका उद्देश्य किसानों को सुरक्षित एवं प्रभावी कीटनाशक उपलब्ध कराना है, जो फसलों की दृष्टि से सुरक्षित एवं प्रभावी हो. विधेयक में किसानों को नकली और अनधिकृत कीटनाशक से बचाने के उपाय किए गए हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किटनाशक के बारे में किसानों को सभी प्रकार की जानकारी मिले, जिसमें उसके उपयोग, उससे जुड़े खतरे आदि के बारे में इस विधेयक में प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा कि इसमें आर्गेनिक कीटनाशक के उपयोग को प्रोत्साहित करने की बात भी कही गई है.
साथ ही कीटनाशकों का विज्ञापन कैसे किय जाए, इस संबंध में मानक बनाने की भी विधेयक में प्रावधान किया गया है. 'विवाद से विश्वास' का दायरा बढ़ाएंगे 'प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, 2020' में बदलाव कर इसका दायरा बढ़ाने का फैसला किया गया है. अब इसमें उन मुकदमों को शामिल करना है, जो विभिन्न कर्ज वसूली न्यायाधिकरणों (डीआरटी) में लंबित हैं. इसी माह लोकसभा में पेश विधेयक में आयुक्त (अपील) स्तर पर, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरणों (आईटीएटी), उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में लंबित कर विवादों को शामिल करने का प्रस्ताव था. बता दें कि विभिन्न प्राधिकरणों और न्यायालयों में 9 लाख करेाड़ रुपये के प्रत्यक्ष कर मामले लंबित हैं.
अन्य फैसले - दोहरे कराधान, वित्तीय चोरी रोकथाम पर श्रीलंका के साथ समझौते में संशोधन को मंजूरी दी. - प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक को मंजूरी. यह 1963 के कानून का स्थान लेगा, जो देश के 12 बड़े बंदरगाहों का संचालन करता है. - सतत मत्स्यकी विकास के क्षेत्र में भारत और आइसलैंड के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी.
इसके तहत अपतटीय और गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले पूरे क्षेत्र में वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञों के आदान-प्रदान तथा विशेष रूप से सही स्थानों पर इनकी नियुक्ति के लिए सुविधाएं जुटाई जा सकेंगी. तीन बीमा कंपनियों को देंगे 2500 करोड़ सार्वजनिक क्षेत्र की तीन साधारण बीमा कंपनियों में 2500 करोड़ रुपए की पूंजी डालने को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी.
ये तीन साधारण बीमा कंपनियां ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लि. (ओआईसीएल), नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि. (एनआईसीएल) और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि. (यूआईआईसीएल) हैं. यह फैसला बीमा कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति और नियामकीय भुगतान क्षमता के उल्लंघन को देखते हुए लिया गया है. इन तीनों कंपनियों के मार्च 2020 के अंत तक विलय के प्रस्ताव से पहले पूंजी डालने का फैसला किया गया है.