Maharashtra Assembly Election 2019: बीड़ में भाजपा का गढ़ तोड़ने की तैयारी, चाचा-भतीजे के बीच चुनावी जंग
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 6, 2019 08:24 AM2019-09-06T08:24:33+5:302019-09-06T08:24:33+5:30
बीड़ में राकांपा का दामन छोड़कर हाल ही में शिवसेना में शामिल हुए जयदत्त क्षीरसागर (चाचा) व राकांपा युवा नेता संदीप क्षीरसागर (भतीजे) के बीच मुकाबला होगा.
बीड़। एजाज अहमद
आगामी विधानसभा चुनाव में एक बार फिर आपसी रिश्तों के बीच चुनावी घमासान देखने को मिलेगा. बीड़ शहर में चाचा-भतीजे के बीच चुनावी जंग होगी. इसमें कौन बाजी मारेगा, रणनीति किसकी काम आएगी, जनता किसको पसंद करती है, इस पर जीत निर्भर करेगी. मगर इतना तो तय है कि आपसी रिश्तों के बीच हो रही यह चुनवी जंग काफी रोचक होगी.
बीड़ जिले में भाजपा का वर्चस्व है. छह विधानसभा सीटों में से पांच भाजपा के कब्जे में हैं. जबकि जयदत्त क्षीरसागर की जीत से एक सीट राकांपा के कब्जे में है. मगर लोकसभा चुनाव के दौरान क्षीरसागर ने भाजपा उम्मीदवार को ताकत दी और अब शिवसेना में प्रवेश करने से बीड़ की सभी छह सीटों में से भाजपा (5) - शिवसेना (1) की स्थिति है.
भाजपा-शिवसेना के बीच गठबंधन के संकेत बीड़ दौरे के समय मुख्यमंत्री फड़णवीस ने दिए हैं. अब खुद के बलबूते चुनाव लड़ने की हिम्मत किसी भी दल व पार्टी में नहीं है. इसलिए भाजपा-शिवसेना के बीच गठबंधन होना तय माना जा रहा है. इससे बीड़ में भाजपा-शिवसेना गठबंधन का वर्चस्व रहेगा.
बीड़ में चाचा-भतीजे होंगे आमने-सामने
बीड़ में राकांपा का दामन छोड़कर हाल ही में शिवसेना में शामिल हुए जयदत्त क्षीरसागर (चाचा) व राकांपा युवा नेता संदीप क्षीरसागर (भतीजे) के बीच मुकाबला होगा. बीड़ में गठबंधन (महायुति) के मित्र दल शिवसंग्राम प्रमुख विनायक मेटे भी इच्छुक होने से यहां पर सीट को लेकर रस्साकसी का माहौल देखने को मिलेगा. यदि कोई समझौता नहीं हुआ तो शिवसेना, राकांपा, एआईएमआईएम व शिवसंग्राम में बहुरंगी लड़ाई के आसार हैं. जिसकी वजह से चाचा-भतीजे के लिए यह राह आसान नहीं लग रही है.
गेवराई में पंडित और पवार
गेवराई में पूर्व मंत्री शिवाजीराव पंडित के पुत्र विजय सिंह पंडित राकांपा के उम्मीदवार लगभग तय हैं. उनकी भाजपा के विद्यमान विधायक लक्ष्मण पवार से सीधी लड़ाई होने का अनुमान जताया जा रहा है. लक्ष्मण पवार की बहन के विजय सिंह पंडित देवर हैं. जबकि माजलगांव, आष्टी-पाटोदा, केज इन तीन मतदाता संघ में फिलहाल तो रिश्तेदारों के बीच चुनावी लड़ाई के आसार नहीं हैं. मगर नामांकन प्रक्रिया आरंभ होने के बाद चुनाव मैदान में और भी रिश्तेदार आमने-सामने ताल ठोंकते हुए नजर आएंगे. जो चर्चा का केंद्र बनेंगे.