महाराष्ट्र में गणेशोत्सव के लिए प्रसिद्ध नारियलों की मांग आधी घटी, व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है बड़ा घाटा
By शिरीष खरे | Published: August 27, 2020 12:44 PM2020-08-27T12:44:08+5:302020-08-27T12:46:09+5:30
इस बार पुणे, नागपुर और मुंबई सहित पूरे राज्य में सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों ने गणेशोत्सव को सादगी से मनाने का फैसला किया है। इसलिए, इस बार गणेशोत्सव में पहले की तरह उत्साह नहीं देखा जा रहा है।
पुणे: महाराष्ट्र में गणेशोत्सव के दौरान हर साल दक्षिण भारत के राज्यों से बड़ी मात्रा में नारियल आयात किए जाते हैं। राज्य के नारियल व्यापारी बताते हैं कि गणेशोत्सव के दिनों में हर दिन औसतन चालीस लाख नारियल बिकते हैं। किंतु, इस साल कोरोना-काल में इनकी संख्या घटकर औसतन बीस लाख से भी कम हो गई है। नारियल के कारोबार में आई गिरावट से इस व्यवसाय से जुड़े कई व्यवसायिकों को घाटा उठाना पड़ रहा है। किंतु, आने वाले दिनों में भी स्थिति में बहुत अधिक सुधार होते न देख यह पूरा साल ही नारियल व्यवसाय के लिए अशुभ बताया जा रहा है।
इस कारोबार से जुड़े पुणे के युवराज कर्वा बताते हैं कि हर साल पूरे राज्य में श्रावण मास के बाद नारियल की मांग बढ़ जाती है। यह मांग गणेशोत्सव से दिवाली तक बनी रहती है। गणेशोत्सव के दौरान तो नारियल की बिक्री में तीन गुना से अधिक वृद्धि हो जाती है। लेकिन, इस साल ऐसा नहीं है।
दरअसल, इस बार पुणे, नागपुर और मुंबई सहित पूरे राज्य में सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों ने गणेशोत्सव को सादगी से मनाने का फैसला किया है। इसलिए, इस बार गणेशोत्सव में पहले की तरह उत्साह नहीं देखा जा रहा है। इसलिए, श्रद्धालुओं द्वारा भगवान गणेश को चढ़ाए जाने वाले नारियलों की संख्या काफी घट गई है।
बता दें कि हर साल गणेशोत्सव के दौरान नारियल की सबसे ज्यादा बिक्री पुणे और मुंबई महानगरों में होती है। लेकिन, इस साल राज्य के ये दोनों महानगर कोरोना संक्रमण की सबसे ज्यादा मार झेल रहे हैं। लिहाजा, इन्हीं महानगरों में गणेशोत्सव के दौरान कोरोना महामारी से बचाव को लेकर सबसे अधिक सतर्कता बरती जा रही है। कई गणेशोत्सव मंडलों ने इस बार गणेश दर्शन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था तैयार की है। वहीं, कई मंडलों ने गणपति को नारियल फूल, हार और नारियल भेंट करने पर रोक लगा दी है।
पुणे के एक अन्य नारियल कारोबारी विद्याधर बोडके बताते हैं कि इस बार अधिकतर गणेशोत्सव मंडलों ने बाहर पंडाल लगाने की बजाय मंदिर परिसर में ही गणेश की मूर्ति रखी है। हर साल नारियल विक्रेता पंडालों के आसपास अस्थायी रूप से दुकानें लगाते थे। लेकिन, इस साल प्रशासन द्वारा सड़कों पर दुकानें लगाने की अनुमति नहीं मिलने के कारण नारियल विक्रेता अस्थायी रुप से मंदिरों के आसपास भी दुकानें नहीं लगा सके हैं। इससे बड़े पैमाने पर होने वाली नारियलों की बिक्री का बाजार मंद पड़ गया है।
यही वजह है कि महाराष्ट्र में श्रद्धालुओं द्वारा प्रसिद्ध पुणे के दगडूशेठ हलवाई गणपति, मानची मंडल सहित मुंबई के लालबाग के राजा और श्री सिद्धविनायक के लिए लाखों की संख्या में भेंट किए जाने वाले नारियलों की संख्या में पचास प्रतिशत तक गिरावट आई है।
दक्षिण भारत से नारियल की आवक रुकी
नारियल कारोबारी दीपक बोरा बताते हैं कि इस बार दक्षिण भारत के राज्यों से कई किस्मों के नारियलों की आवक प्रभावित हुई है। इसलिए, घरेलू बाजार तक भारी मात्रा में नया नारियल नहीं पहुंचने के कारण नारियल की कीमतों में भी वृद्धि हो गई है। हालांकि, महाराष्ट्र में कोंकण के समुद्री तटीय इलाके में नारियल की पैदावार होती है।
बता दें कि अनेक श्रद्धालु गणपति को भेंट करने के लिए नए नारियल का उपयोग करते हैं। राज्य में नारियल तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिण भारत के राज्यों से आते हैं। नारियल की प्रमुख किस्मों में सापसोल, मद्रास और पालकोल हैं। कर्नाटक से सापसोल और मद्रास जैसी किस्मों के नारियल रेस्टोरेंट तथा होटल संचालकों द्वारा मंगाए जाते हैं।
इसी तरह, आंध्र प्रदेश से पालकोल नारियल की भी राज्य के घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा खासी मांग होती है। सापसोल, मद्रास और पालकोल किस्मों का नारियल स्वाद में गाढ़ा और मीठा होता है। लेकिन, कोरोना लॉकडाउन और कई तरह की सख्ती के कारण अन्य राज्यों से आने वाले नारियल की आवक कम हो गई है। जाहिर है कि इससे नारियलों की कीमतों पर असर हुआ है।
रेस्टोरेंट व होटल व्यवसाय में मंदी का असर
राज्य में पश्चिम महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और अन्य इलाकों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पुणे के प्रमुख गणेशोत्सव केंद्रों तक पहुंचते हैं। इससे शहर के रेस्टोरेंट और होटलों में दस दिनों तक काफी भीड़भाड़ रहती है। कोरोना महामारी के कारण जहां श्रद्धालु पुणे नहीं आ पा रहे हैं वहीं पिछले कई दिनों से कई रेस्तरां बंद हैं।
इसी तरह, शिक्षा के लिए प्रसिद्ध पुणे में देश भर से आए असंख्य छात्र अपने-अपने घर चले गए हैं। इसलिए भी इन छात्रों को भोजन प्रदान करने वाले रेस्टोरेंट बंद हैं। गणेशोत्सव पर बनाए जाने वाले मोदकों और मराठी व्यजनों में नारियल का प्रयोग प्रचलित है। लिहाजा, हर बार गणेशोत्सव के दौरान रेस्टोरेंट मालिकों से नारियल की खासी मांग रहती है। लेकिन, इस बार रेस्टोरेंट क्षेत्र से भी नारियल की मांग में काफी गिरावट आई है।
नारियल कारोबारी भरत गरजे बताते हैं कि पिछले सप्ताह से पुणे के मार्केटयार्ड बाजार में हर दिन ढाई से तीन लाख नारियल पहुंच रहे हैं। जबकि, बीते साल गणेशोत्सव के दौरान हर दिन पांच लाख से अधिक नारियल आ रहे थे। इस त्यौहार के दौरान पुणे और मुंबई सहित राज्य में प्रतिदिन 30 से 40 लाख नारियल बेचे जाते हैं। लेकिन, इस बार नारियल की मांग घटकर आधी हो गई है।