Coronavirus Lockdown: लॉकडाउन के बीच महाराष्ट्र में कपास उत्पादकों की बढ़ी मुसीबत, सात हजार करोड़ का माल फंसा

By शिरीष खरे | Published: May 7, 2020 11:49 AM2020-05-07T11:49:34+5:302020-05-07T11:49:34+5:30

कोरोना लॉकडाउन का असर महाराष्ट्र में कपास उत्पादकों पर भी पड़ा है. कोरोना के शुरुआती मामले आने के बाद से ही चीन ने कपास के आयात पर रोक लगा दी थी और फिर लॉकडाउन ने मुश्किल और बढ़ा दी.

Coronavirus Lockdown: Cotton growers in trouble amid lockdown, goods worth seven thousand crores trapped | Coronavirus Lockdown: लॉकडाउन के बीच महाराष्ट्र में कपास उत्पादकों की बढ़ी मुसीबत, सात हजार करोड़ का माल फंसा

कोरोना लॉकडाउन: महाराष्ट्र में कपास उत्पादकों की बढ़ी मुसीबत

Highlightsमहाराष्ट्र में इस साल अब तक लगभग ढाई लाख कपास उत्पादकों का कपास नहीं बिक सका हैलॉकडाउन से और ज्यादा बिगड़े हालात, उत्पादकों को सरकार से कपास खरीदी की अब उम्मीद

महाराष्ट्र में इस वर्ष अब तक लगभग ढाई लाख कपास उत्पादकों का कपास नहीं बिक सका है. भारतीय कपास संघ के सदस्य बताते हैं कि राज्य में इस वर्ष करीब एक करोड़ क्विंटल से अधिक कपास की खपत बाजारों में नहीं हो सकी है.

बाजार में मंदी के कारण बड़े कारखाना मालिक और कपास व्यापारी माल खरीदने को तैयार नहीं हैं. इसलिए, कपास उत्पादक कपास की बिक्री के लिए पूरी तरह से सरकार पर निर्भर हो चुके हैं. लेकिन, सरकार द्वारा कपास खरीदी के लिए संचालित व्यवस्था अत्यंत धीमी चल रही है.

यही वजह है कि इस बार राज्य के कपास उत्पादकों की आर्थिक स्थिति खराब होने की आशंका जाहिर की जा रही है. यदि कपास उत्पादकों का माल निर्धारित समय पर नहीं बिका तो इसका परिणाम राज्य में विदर्भ, मराठवाडा और खानदेश अंचल के ग्रामीण भाग पर पड़ेगा. वजह, इन क्षेत्रों में कपास की खेती ग्रामीण अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार हैं, जो उन्हें इस नकद फसल के लिए प्रेरित करती है.

भारतीय कपास संघ के सदस्य अरविंद जैन कहते हैं कि पूरे देश में 21 हजार करोड़ रुपए का कपास नहीं बिका है. अब तक देश भर में तीन करोड़ क्विंटल कपास नहीं बिका है. इसकी खरीदी की जिम्मेदारी कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया पर है.

वे कहते हैं, "कृषि अर्थव्यवस्था में कपास 3 से 4 प्रतिशत तक आर्थिक वृद्धि दर साधता है. ऐसे में यदि पर्याप्त मात्रा में कपास नहीं खरीदा गया तो देश के कुछ भागों की ग्रामीण अर्थव्यवस्था संकट में आ जाएगी."

कपास उत्पादक विपणन महासंघ के पूर्व महाप्रबंधक गोविंद वैराले बताते हैं कि ऐसे समय में सरकार निम्न गुणवत्ता वाली कपास खरीद सकती है. इसके अलावा हर राज्य में कपास खरीदी व बिक्री के लिए एक-एक अधिकारी को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए.

दरअसल, इस बार गत दिसंबर से चीन ने कोरोना संक्रमण नियंत्रण को ध्यान में रखते हुए कपास आयात पर रोक लगा दी थी. चीन दुनिया में कपास आयात करने वाला प्रमुख देश है.

ऐसी स्थिति में भारत के कपास खरीदी केंद्रों में कपास की खरीदी की प्रक्रिया रुक गई है. इसके बाद भारत में कोरोना संक्रमण नियंत्रण के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई. इसका असर भारतीय वस्त्र उद्योग पर पड़ा. लिहाजा, व्यापार ठप होने से अब कपास उत्पादकों को सरकार से ही कपास खरीदी की उम्मीद है.

Web Title: Coronavirus Lockdown: Cotton growers in trouble amid lockdown, goods worth seven thousand crores trapped

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