LRD विवाद: 254 सफल उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में दी अर्जी, जानें क्या है पूरा मामला
By महेश खरे | Published: February 13, 2020 08:38 AM2020-02-13T08:38:25+5:302020-02-13T08:38:25+5:30
11 फरवरी को राज्य सरकार ने 1 अगस्त 2018 के उस परिपत्र में संशोधन करने का ऐलान कर दिया है जिसके कारण आरक्षित वर्ग की उम्मीदवार मैरिट में आने के बावजूद चयन से वंचित हो गई थीं.
गुजरात में लोक रक्षक दल (एलआरडी) चयन परीक्षा का विवाद अब अदालत में पहुंच गया है. आरक्षित वर्ग की उम्मीदवार जहां न्याय पाने के लिए गांधीनगर में लगभग दो माह से धरना दे रहीं हैं वहीं सफल 254 महिला उम्मीदवारों ने नियुक्ति-पत्र के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. एलआरडी परीक्षा में सफल हुईं जिन 254 महिलाओं ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर नियुक्ति पत्र दिलाने की गुहार लगाई है, वे गैर-आरक्षित वर्ग की हैं.
बता दें कि 11 फरवरी को राज्य सरकार ने 1 अगस्त 2018 के उस परिपत्र में संशोधन करने का ऐलान कर दिया है जिसके कारण आरक्षित वर्ग की उम्मीदवार मैरिट में आने के बावजूद चयन से वंचित हो गई थीं. ये महिला उम्मीदवार परिपत्र को रद्द करने की मांग को लेकर लगभग दो माह से गांधीनगर की सत्यागृह छावनी में धरना दे रही हैं.
आदिवासी आंदोलन पर अडिग
उधर नकली आदिवासी प्रमाणपत्र के मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहे आदिवासी संगठन अपने रु ख पर अडिग हैं. सीएम विजय रूपाणी ने आदिवासी अग्रणियों-मंत्रियों और संबंधित अधिकारियों के साथ 4 घंटे चली बैठक में एक फार्मूला तैयार कर लिया है. आदिवासियों को मनाने और डेमेज कंट्रोल का जिम्मा वरिष्ठ मंत्री गणपत वसावा को सौंपा गया है. वसावा ने आदिवासी अग्रणियों को इस मुद्दे पर बातचीत के लिए आमंत्रित किया है.
चार सांसदों का पीएम को पत्र
इधर गुजरात में आदिवासी क्षेत्र के 4 सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर रबारी, भरवाड़ और चारण जातियों को अनुसूचित जनजातियों (एसटी) की सूची से बाहर करने की मांग की है. ये सांसद हैं जसवंत सिंह भामोर-दाहोद, प्रभुभाई वसावा-बारडोली, मनसुख भाई राठवा-भरूच और गीताबेन राठवा-छोटा उदैपुर. इसी मांग को लेकर सांचा आदिवासी समिति के बैनर तले आदिवासी समाज के लोग लगभग एक माह से आंदोलन कर रहे हैं.
इनका आरोप है नकली प्रमाणपत्र बनवाकर गैर आदिवासी नौकरी पाने में कामयाब हो गए हैं. ऐसे लोगों की सेवाएं समाप्त करने की मांग को लेकर छोटा उदैपुर जिला में तो बंद का आयोजन भी किया जा चुका है. मांग पूरी नहीं होने पर आदिवासी समाज विधानसभा का घेराव करने की चेतावनी भी दे चुके हैं.