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जोजिला टनल: 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बन रहा है 14 किमी लंबा सुरंग, जानिए भारत के लिए कितना जरूरी है ये

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: March 1, 2021 14:40 IST

जोजिला टनल श्रीनगर, करगिल और लेह को आपस में जोड़ेगा। भारतीय सेना के लिए भी ये अहम साबित होगा।

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ठळक मुद्देजोजिला टनल के बन जाने से सालों भर श्रीनगर, करगिल और लेह के बीच सड़क संपर्क रहेगाजोजिला टनल को बनाने में केंद्र सरकार कर रही है 6809 करोड़ रुपए खर्चइस टनल की लंबाई 14.15 किलोमीटर होगी और ये करीब 11578 फीट की ऊंचाई पर होगी

जम्मू: चीन सीमा तक पूरे साल पहुंच के लिए सामरिक महत्व की जोजिला टनल का जो काम पिछले साल अक्तूबर माह में शुरू हुआ था उसके बन जाने के बाद श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर खतरों से जूझने का सिलसिला रूक जाएगा। 

यह टनल न सिर्फ यात्रा समय में कटौती कर देगी बल्कि खतरा भी पूरी तरह से खत्म कर देगी। इस टनल को बनाने में केंद्र सरकार 6809 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।

करीब 11578 फीट की ऊंचाई पर बनने वाली ये टनल बेहद आधुनिक होगी। इस टनल की लंबाई 14.15 किलोमीटर होगी। करगिल में बनने वाली जोजिला टनल हर लिहाज से दुनिया के सबसे आधुनिक सुरंगों में से एक होगी।

जोजिला दुनिया का सबसे खतरनाक दर्रा

करगिल के जोजिला दर्रे को दुनिया का सबसे खतरनाक दर्रा माना जाता। टनल के बनने से एक तो इसे पार करने का जोखिम कम होगा, साथ ही जो दूरी को तय करने में तीन घंटे लगते थे वो महज 15 मिनट में पूरी हो जाएगी। 

जोजिला सुरंग श्रीनगर, करगिल और लेह को आपस में जोड़ने में मददगार होगी। सुरंग से न सिर्फ चीन सीमा बल्कि पाकिस्तान की सीमा पर भी भारतीय सेना को जवानों की तैनाती में मदद मिलेगी।

जोजिला टनल का निर्माण कैसे हो रहा है

सेना और सिविल इंजीनियरों की एक टीम पहाड़ को काट कर इस सुरंग को बना रही है। इस सुरंग के बन जाने से श्रीनगर और लेह के बीच पूरे साल संपर्क सुविधा मिलेगी। 

सुरंग बनाने की प्रक्रिया में विस्फोटकों के जरिए पत्थरों को हटाकर पहले रास्ता बनाया जाता है। सुरंग निर्माण अपने आप में इंजीनियरिंग विधा की नायाब कृति है।

राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर श्रीनगर घाटी और लेह के बीच जोजिला टनल द्रास और करगिल होते हुए सभी मौसम में संपर्क सुविधा उपलब्ध कराएगी। 

जोजिला टनल करगिल, द्रास और लद्दाख के लिए बड़ा उपहार

मौजूदा समय की अगर बात करें तो इस रूट पर आवागमन सिर्फ 6 महीने उपलब्ध रहता है। लद्दाख, गिलगिट और बालटिस्तान के करीब होने से इसका सामरिक महत्व भी है। 

जोजिला सुरंग परियोजना से करगिल, द्रास और लद्दाख क्षेत्र के लोगों की तीन दशक पुरानी मांग पूरी होगी। श्रीनगर-लेह खंड में यात्रा हिमस्खलन का खतरा नहीं होगा। 

इसके अलावा यात्रा में लगने वाले समय में कमी आएगी। ठंड के दिनों में हिमपात की वजह से जोजिला दर्रा बंद रहता है। यह दुनिया में वाहनों के परिचालन के लिहाज से सवार्धिक खतरनाक मार्गों में से एक है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद भारत की न केवल आर्थिक क्षमता में इजाफा होगा, बल्कि सामरिक क्षमता में भी वृद्धि होगी।

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