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शीतकालीन सत्र: कांग्रेस के दो सांसदों ने लोकसभा में दिया स्थगन प्रस्ताव का नोटिस, संसद के ठप रहने की आशंका

By रुस्तम राणा | Updated: November 30, 2021 10:17 IST

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में शीतकालीन सत्र का स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया है। इस नोटिस में उन्होंने केन्द्र सरकार को किसान आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों का ब्यौरा बनाने और उनके परिवार को मुआवजा देने पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव भेजा है।

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ठळक मुद्देकांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और मणिकम टैगोर ने दिया स्थगन प्रस्ताव नोटिसविपक्षी दल की आंदोलन में मरने वाले किसान के परिवारों को मुआवजा देने और बढ़ती महंगाई पर चर्चा की मांग

संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष किसान मुद्दे को लेकर केन्द्र सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में शीतकालीन सत्र का स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया है। इस नोटिस में उन्होंने केन्द्र सरकार को किसान आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों का ब्यौरा बनाने और उनके परिवार को मुआवजा देने पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव भेजा है।  

इसके अलावा कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने भी लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया है। जिसमें उन्होंने आवश्यक वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि के कारण पर चर्चा और लोकसभा से केन्द्र को 2013 के स्तर पर डीजल, पेट्रेल, एलपीजी पर एक्साइज ड्यूटी को घटाने के उचित ंकदम उठाने के आदेश देने को कहा है। 

वहीं बीते मॉनसून सत्र में विपक्षी दलों के लिए 12 सांसदों का निलंबन का मुद्दा भी गर्म है। इन सांसदों को संसद के शीतकालीन सत्र के लिए भी निलंबित किया गया है। विपक्षी दल इस मुद्दे पर भी सरकार को घेरेंगे। इस संबंध में आज कांग्रेस द्वारा 13 विपक्षी दलों की बैठक बुलाई गई है। जिसमें आगामी शीतकालीन सत्र के लिए रणनीति तैयार की जाएगी। आशंका जताई जा रही है कि पूरा विपक्षी शीतकालीन सत्र से दूरी बना सकता है, जिससे वर्तमान सत्र का हश्र भी बीते मानसून सत्र की तरह हो सकता है। 

दरअसल, कांग्रेस पार्टी महंगाई और किसान आंदोलन के मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष को संसद के शीतकालीन सत्र में घेर रही है। वहीं किसान संगठन भी सरकार पर अपने स्तर से दबाव बना रहे हैं। कृषि कानून की वापसी के ऐलान के बाद किसान आंदोलन में अपनी जान गंवाने वाले किसानों के लिए स्मारक की मांग किसान आंदोलन अपनी छह प्रमुख मांगों में भी रख चुके हैं। मोदी सरकार के लिए संयुक्त किसान मोर्चा का स्पष्ट मत है कि जब तक उनकी छह मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा।

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