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एक्टिविस्ट न्यायाधीशों और मध्यस्थता का काम लेने वालों से सवाल क्यों नहीं पूछे जाते: रंजन गोगोई

By भाषा | Updated: May 14, 2020 05:45 IST

सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों को मिलने वाले कामकाज के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में गोगोई ने कहा कि उनकी तीन श्रेणियां होती हैं ''एक्टिविस्ट न्यायाधीश'', वाणिज्यिक मध्यस्थता का कामकाज लेने वाले और अन्य प्रकार के कामकाज लेने वाले। उन्होंने कहा, ''तीसरी श्रेणी वालों को ही सभी विवाद क्यों घसीटा जाता है? दो अन्य श्रेणी के लोगों से सवाल क्यों नहीं पूछे जाते?''

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ठळक मुद्देपूर्व प्रधान न्यायाधीश तथा राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई ने बुधवार कहा कि ''एक्टिविस्ट न्यायाधीशों'' और उन लोगों से सवाल क्यों नहीं पूछे जाते जो सेवानिवृत्ति के बाद वाणिज्यिक मध्यस्थता के कामकाज लेते हैं। गोगोई के इस बयान को इसलिये महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि राज्यसभा में उनके मनोनयन की विभिन्न सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने आलोचना की थी।

पूर्व प्रधान न्यायाधीश तथा राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई ने बुधवार कहा कि ''एक्टिविस्ट न्यायाधीशों'' और उन लोगों से सवाल क्यों नहीं पूछे जाते जो सेवानिवृत्ति के बाद वाणिज्यिक मध्यस्थता के कामकाज लेते हैं।

गोगोई के इस बयान को इसलिये महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि राज्यसभा में उनके मनोनयन की विभिन्न सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने आलोचना की थी।

सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों को मिलने वाले कामकाज के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में गोगोई ने कहा कि उनकी तीन श्रेणियां होती हैं ''एक्टिविस्ट न्यायाधीश'', वाणिज्यिक मध्यस्थता का कामकाज लेने वाले और अन्य प्रकार के कामकाज लेने वाले।

उन्होंने कहा, ''तीसरी श्रेणी वालों को ही सभी विवाद क्यों घसीटा जाता है? दो अन्य श्रेणी के लोगों से सवाल क्यों नहीं पूछे जाते?''

गोगोई 'समकालीन चुनौतियों का सामना करते हुए हमारे संविधान के तहत एक स्वतंत्र न्यायपालिका सुनिश्चित करना' विषय पर एक कानूनी समाचार पोर्टल के सहयोग से नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी फाउंडेशन के पूर्व छात्रों के परिसंघ द्वारा आयोजित वेबिनार में बोल रहे थे।

पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका आलोचना के खिलाफ नहीं है, लेकिन एक ईमानदार, बौद्धिक और सार्थक आलोचना होनी चाहिये।

उन्होंने कहा, ''व्यवस्था (न्यायिक) आलोचना के खिलाफ नहीं है और इसमें सुधार के लिए गुंजाइश है ... लेकिन जहां तक किसी निर्णय का संबंध है तो उसपर ईमानदार, बौद्धिक और सार्थक बहस होनी चाहिये। किसी मकसद की बात न थोपें। यह विनाशकारी है ...।'' 

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