जानिए क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका), गाजियाबाद में नर्सों से अभद्रता और इंदौर में पथराव करने वालों पर NSA लगा

By निखिल वर्मा | Updated: April 3, 2020 15:39 IST2020-04-03T15:38:36+5:302020-04-03T15:39:01+5:30

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत संदिग्ध व्यक्ति को एक साल तक एहतियातन हिरासत में रखने का प्रावधान है. यह कानून 40 साल पुराना है.

what is national security act nsa Yogi Adityanath orders NSA against patients for misbehaviour with nurse | जानिए क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका), गाजियाबाद में नर्सों से अभद्रता और इंदौर में पथराव करने वालों पर NSA लगा

लोकमत फाइल फोटो

Highlightsरासुका के तहत केंद्र और राज्य सरकार किसी भी संदिग्ध नागरिक को हिरासत में ले सकती है।रासुका के तहत न्यूनतम तीन महीने से लेकर अधिकतम एक साल के लिए हिरासत में रखा जा सकता है

कोरोना वायरस संकट के निपटने के लिए भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) का भी सहारा लेना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में नर्सों के साथ अभ्रदता करने वालों और मध्य प्रदेश में मेडिकल कर्मियों पर पथराव करने वालों लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की गई है। स्वास्थ्य कर्मियों के दल पर पथराव की बहुचर्चित घटना

क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून या नेशनल सिक्यूरिटी एक्ट

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है। रासुका ऐसे व्यक्ति को एहतियातन महीनों तक हिरासत में रखने का अधिकार देता है जिससे प्रशासन को राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए खतरा महसूस हो। इस कानून के तहत केंद्र और राज्य सरकार किसी भी संदिग्ध नागरिक को हिरासत में ले सकती है। यह कानून 23 सितंबर 1980 को इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लागू किया गया था। 

रासुका या एनएसए के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। राज्य सरकार को यह सूचित करने की आवश्यकता है कि रासुका के तहत एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है। हिरासत में लिए गए व्यक्ति पर बिना आरोप तय किए उसे 10 दिनों तक रखा जा सकता है। हिरासत में लिया गया व्यक्ति सिर्फ हाई कोर्ड के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है। मुकदमे के दौरान रासुका लगे व्यक्ति को वकील की अनुमति नहीं मिलती।

इतने महीनों की हो सकती है जेल

रासुका के तहत न्यूनतम तीन महीने से लेकर अधिकतम एक साल के लिए हिरासत में रखा जा सकता है। रासुका के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बने व्यक्ति को एहतियातन हिरासत (preventive detention) में रखने का प्रावधान है। 

कानून के तहत पहले व्यक्ति को तीन महीने के लिए गिरफ्तार किया जाता है। आवश्यकतानुसार 3-3 महीने के लिए गिरफ्तारी की अवधि बढ़ाई जा सकती है। गिरफ्तारी के बाद अधिकारी को राज्य सरकार को बताना पड़ता है कि किस आधार पर गिरफ्तारी की गई है। अगर रिपोर्ट को राज्य सरकार मंजूर कर देती है तो इसे सात दिनों के भीतर केंद्र सरकार को भेजना होता है। इसमें इस बात का जिक्र करना आवश्यक है कि किस आधार पर यह आदेश जारी किया गया और राज्य सरकार का इसपर क्या विचार है और यह आदेश क्यों जरूरी है।

गाजियाबाद में नर्सों के साथ अभद्रता करने वालों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई

देशव्यापी लॉकडाउन के बीच गाजियाबाद में नर्सों और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में पुलिसकर्मियों के खिलाफ हमले के खबर के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ऐसे लोगों पर रासुका के तहत कार्रवाई करेगी।

उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने गाजियाबाद के एक अस्पताल में नर्सों और अन्य मेडिकल स्टाफ के साथ वहां भर्ती लोगों द्वारा अभद्र व्यवहार किये जाने की घटना के संदर्भ में कहा कि ''मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुये कहा है कि ये न कानून को मानेंगे, ना व्यवस्था को मानेंगे, ये मानवता के दुश्मन हैं। जो इन्होंने महिला स्वास्थ्यकर्मियों के साथ किया है वह जघन्य अपराध है, इन पर रासुका (एनएसए) लगाया जा रहा है, हम इन्हें छोड़ेंगे नहीं।'' 

इंदौर में मेडिकल कर्मियों पर हमला करने वालों पर लगा रासुका


कोरोना वायरस संक्रमण के एक स्थानीय मरीज के संपर्क में आए लोगों को ढूंढने गये स्वास्थ्य कर्मियों के दल पर पथराव की बहुचर्चित घटना में पुलिस ने शुक्रवार को छह लोगों को हिरासत में लिया। जिला प्रशासन ने इनमें से चार लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत रीवा के केंद्रीय जेल भेजने के आदेश दिए हैं।

अधिकारियों ने बताया कि शहर के टाटपट्टी बाखल इलाके में बुधवार को पथराव की घटना में दो महिला डॉक्टरों के पैरों में चोटें आयी थीं। दोनों महिला डॉक्टर कोरोना वायरस के खिलाफ अभियान चला रहे स्वास्थ्य विभाग के पांच सदस्यीय दल में शामिल थीं। यह दल कोरोना वायरस संक्रमण के एक मरीज के संपर्क में आये लोगों को ढूंढने गया था। 

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