INS विक्रांत में कौन-कौन सी हैं खूबियां, जिसे बनाने में लगे 20 हजार करोड़ रुपये और 13 साल का लंबा वक्त, जानिए यहां

By शिवेंद्र राय | Published: September 3, 2022 02:03 PM2022-09-03T14:03:10+5:302022-09-03T14:15:52+5:30

INS विक्रांत को बनाने में 13 साल की लंबा वक्त लगा और इसे बनाने में कुल लागत 20 हजार करोड़ रुपये की आयी। समंदर में तैरने वाला यह विशालकाय जहाज भारत की सरहद को दुश्मनों से महफूज रखने में कमाल की खूबी और ताकत रखता है।

What are the features of INS Vikrant, which took 20 thousand crores to build and a long time of 13 years, know here | INS विक्रांत में कौन-कौन सी हैं खूबियां, जिसे बनाने में लगे 20 हजार करोड़ रुपये और 13 साल का लंबा वक्त, जानिए यहां

फाइल फोटो

Highlightsपहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत 2 सितंबर को नौसेना में सेवा के लिए शामिल हो गयाइसे बनाने में 13 साल की लंबा वक्त लगा और कुल लागत 20 हजार करोड़ रुपये की आयी 262 मीटर लंबे, 60 मीटर ऊंचे और 45000 टन वजनी INS विक्रांत दुश्मन के नापाक इरादों को ध्वस्त कर देगा

दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर को देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत नौसेना को सौंप दिया। पूरी तरह से देश में बने इस जंगी जहाज को समुद्र में उतारने में 13 साल की लंबा वक्त लगा और इसे बनाने में तकरीबन 20 हजार करोड़ का खर्च आया। समंदर में तैरने वाला यह विशालकाय जहाज भारत की सरहद को दुश्मनों से महफूज रखने में कमाल की खूबी और ताकत रखता है।

क्या आपको पता है कि INS विक्रांत को बनाने में फ्रांस के पेरिस में खड़े एफिल टॉवर के वजन से चार गुना ज्यादा लोहा और स्टील लगा है। जी हां, 262 मीटर लंबे और 60 मीटर ऊंचे इस जंगी जहाज का नाम है INS विक्रांत। संस्कृत के शब्द 'विक्रांत' का मतलब शक्तिशाली होता है। भारतीय नौसेना का यह तेजस्वी, बहादुर और पराक्रमी जहाज अब समंदर में भारत की ताकत में कई गुना इजाफा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

इसका नाम 'विक्रांत' क्यों रखा गया

दरअसल इस स्वदेशी युद्धपोत के नाम के पीछे भी एक दिलचस्प किस्सा है। सभी जानते हैं कि भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर का नाम भी विक्रांत ही था, जो  ब्रिटेन की रॉयल नेवी से खरीदा गया था और 1961 में कमीशन किया गया था।

साल 1997 में में डी कमीशन यानि की सेवा से रिटायर होने से पहले INS विक्रांत ने कई मिलिट्री ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ लड़ी गई 1971 की जंग भी शामिल थी।

जब भारत ने अपना खुद के एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने की शुरूआत की तो उसने 1961 में ब्रिटेन से खरीदे गये और भारत के लिए 1971 की जंग में निर्णायक भूमिका निभाने वाले विक्रांत के नाम पर ही इसके नामकरण का तय किया।

कौन-कौन सी खूबियां और किस तरह की ताकत है INS विक्रांत में

सबसे पहले तो आप यह जान लीजिए कि 45000 टन वजनी यह जहाज समंदर में 56 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चक्कर लगा सकता है। इससे पहले वाले विक्रांत की समंदर में रफ्तार 46 किमी प्रति घंटा थी। स्वदेशी INS विक्रांत के इंजन उसे 1 लाख 10 हजार हार्स पॉवर की ताकत देते हैं और समंदर में तैरते नौसेना के बस्ती में कुल 1700 अधिकारी और कर्मचारी एक साथ काम सकते हैं और रह सकते हैं। इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर एक 16 बेड का एक अस्पताल भी है।

समंदर की लहरें चाहे जितनी भी तेज हों। 60 मीटर ऊंचे जहाज़ पर उनका कोई असर नहीं होगा और अगर आप इसके अंदर हैं तो आपको पता भी नहीं चलेगा कि आप एक उफनते हुए समुद्र में तैर रहे हैं क्योंकि जैसा की हमने पहले ही बताया कि इसका वजन 45000 टन है।

INS विक्रांत पर एक साथ 30 फाइटर प्लेन और हेलिकॉप्टरों को रखा जा सकता है। जब ये जंगी पूरी तरह से लड़ाकू भूमिका में आ जाएगा तब इस पर रूस में बने मिग 29 के फाइटर जेट और कोमोव हेलिकाॉप्टरों को तैनात किए जाएंगे। इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर 32 बराक 8 मिसाइलें भी दागी जा सकती हैं, जो दुश्मन के बीच 60 किलो का वॉर हेड ले जा सकती हैं।

भारत में इसके बनने का काम साल 2009 में शुरू किया गया था और कई बार के जटिल परीक्षणों और अड़चनों के बाद इसे तैयार किया गया है। इसे बनाने में लगभग 20 हजार करोड़ की लागत आई है।

किस देश के पास है सबसे ज्यादा ताकतवर एयरक्राफ्ट कैरियर?

फुजियान-चीन: सामरिक क्षमता के लिहाज से विश्व में काफी मजबूत स्थिति रखने वाले चीन के पास इस समय फुजियान टाइप 003 एयरक्राफ्ट कैरियर है। जानकारी के मुताबिक चीन का यह तीसरा विमानवाहक पोत है।  फुजियान भी चीन का स्वनिर्मित युद्धपोत है। इसे चीन ने देश के अंदर बनाया और डिजाइन किया है।चीन के पास अब तक दो एयरक्राफ्ट कैरियर थे, जो भारत के दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर से बड़े हैं। हालांकि अब चीन ने तीसरा एयरक्राफ्ट भी लांच कर दिया गया है।

गेराल्ड आर फोर्ड क्लास- अमेरिका: अमेरिका के गेराल्ड आर फोर्ड क्लास के जंगी जहाज की बात की जाए तो ये अपने क्लास का पहला विमानवाहक पोत। इसे मई 2017 में कमीशन किया गया था। यह 337 मीटर लंबा है इसकी बीम 748 मीटर की है। इसका फुल लोड डिस्प्लेसमेंट 1 लाख टन है जबकि इसपर 78 मीटर चौड़ा फ्लाइट डेक है।

निमित्स क्लास- अमेरिका: वहीं अमेरिका के पास  निमित्स क्लास भी है। ये परमाणु ईंधन से संचालित होने वाले एयरक्राफ्ट करियर्स हैं दुनिया के दूसरे सबसे बड़े विमानवाहक पोत है।

क्वीन एलिजाबेथ क्लास एयरक्राफ्ट करियर-ब्रिटेन: क्वीन एलिजाबेथ क्लास ब्रिटिश नौसेना द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा जंगी जहाज क्वीन एलिजाबेथ क्लास एयरक्राफ्ट करियर जापान के यामातो क्लास युद्धपोत के बाद दूसरा गैर अमेरिकी सबसे बड़ा बैटलशिप है।

एडमिरल कुजनेतसोव- रूस: रूस का  एडमिरल कुजनेतसोव सर्वश्रेष्ठ विमानवाहक पोत है । 305 मीटर लंबे इस पोत का बीम 72 मीटर का है। इसका डिस्प्लेसमेंट 58500 टन है।

चार्ल्स दे गॉल का डिस्प्लेसमेंट-फ्रांस: फ्रांस का परमाणु ईंधन से चलने वाला चार्ल्स दे गॉल का डिस्प्लेसमेंट 36 हजार टन है। इसकी लंबाई 780 फीट और चौड़ाई 103 फीट है।

कितने देशों के पास एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की तकनीक है?

मालूम हो कि INS विक्रांत के तैयार होने के बाद भारत भी उन देशों में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर तैयार करने में सक्षम है। पहले इन देशों में यूएस, रूस, फ्रांस और चीन शामिल थे। INS विक्रांत भारत का दूसरा ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर होगा। फिलहाल भारत के पास INS विक्रमादित्य भी है, जिसे भारत ने रूस से लिया था। भारत के INS विक्रांत और विक्रमादित्य दोनों ही दुनिया के 10 सबसे बड़े एयरक्राफ्ट करियरर्स में शामिल हैं।

एयरक्राफ्ट कैरियर्स क्यों हैं जरूरी ?

किसी भी देश की नौसेना के लिए एयरक्राफ्ट कैरियर्स जरूरी होते हैं। एयरक्राफ्ट कैरियर्स समंदर में तैरते एक हवाई अड्डे की तरह होते हैं। ये कैरियर्स महासागर में किसी भी जगह से फाइटर जेट्स या हेलीकॉप्‍टर्स को टेकऑफ करने और लैंड करने की जगह देते हैं, जिससे सेना को किसी दुश्मन देश के खिलाफ एक्शन लेने में देरी नहीं होती है। यह जंगी जहाज समंदर में चलते-फिरते द्वीप की तरह होते हैं। 

Web Title: What are the features of INS Vikrant, which took 20 thousand crores to build and a long time of 13 years, know here

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