Exclusive: पश्चिमी विदर्भ में मिले चार हजार साल पुराने बर्तन, आभूषण और खेती का सामान, लोहे का होता था इस्तेमाल
By वसीम क़ुरैशी | Published: June 26, 2019 01:05 PM2019-06-26T13:05:34+5:302019-06-26T13:05:34+5:30
जनवरी 2019 से यहां एएसआई की टीम खुदाई में जुटी हुई थी. तीन महीने तक खुदाई चली. इसके बाद यहां से हासिल पुरावशेषों का अध्यययन व डॉक्यूमेंटेशन किया गया. खुदाई में स्पष्ट हुआ है कि करीब 3000 से 4000 साल पूर्व यहां लौहयुगीन मानव काफी बड़े मकानों में निवासरत था.
अब तक यही माना जाता रहा था कि लौहयुगीन रिहायश केवल पूर्वी विदर्भ में रही थी लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की अमरावती जिले के फुबगांव में की गई खुदाई के बाद यह भी स्पष्ट हो गया कि पश्चिमी विदर्भ में भी लौहयुगीन मानव का आवास था. फुबगांव की खुदाई में लौहयुगीन लेआउट, मकान, बर्तन, आभूषण, चूल्हे, खेती के सामान आदि मिले हैं.
जनवरी 2019 से यहां एएसआई की टीम खुदाई में जुटी हुई थी. तीन महीने तक खुदाई चली. इसके बाद यहां से हासिल पुरावशेषों का अध्यययन व डॉक्यूमेंटेशन किया गया. खुदाई में स्पष्ट हुआ है कि करीब 3000 से 4000 साल पूर्व यहां लौहयुगीन मानव काफी बड़े मकानों में निवासरत था.
10 बाय 10 मीटर के एक-एक ले आउट में छत के लिए गाड़ी गई बल्लियों के गहरे गड्ढे तक मिले हैं. इसके अलावा अनाज रखने का मिट्टी का बर्तन जस का तस मिला. खाना पकाने का चूल्हा, खेती करने के लिए लोहे के हल का एक बड़ा हिस्सा, घास काटने के औजार, खाना पकाने का सामान व बर्तन के पुरावशेष भी मिले हैं.
इसके अलावा गाय, बैल आदि जानवरों की हड्डियां भी मिली हैं. यह भी खुलासा किया गया है कि इस काल का मानव पशुओं का मांस भूनकर या पकाकर खाता था. उस काल की स्त्रियों के साज-श्रंगार के लिए मालाओं में पिरोए जाने वाले खास पत्थरों के आकर्षक डिजाइन वाले मनके भी मिले हैं. इस खुदाई से यह भी पता चलता है कि इस काल का मानव अपने बच्चों के मनोरंजन को भी तरजीह देता था. यहां बच्चों के खिलौनों के अवशेष भी मिले हैं.