भारतीय रेलवे की हुई 'चंपी', तो वापस ले ली 'तेल मालिश' योजना
By संतोष ठाकुर | Published: June 16, 2019 07:14 AM2019-06-16T07:14:34+5:302019-06-16T07:14:34+5:30
15 जून रेलवे ने जब ट्रेनों में 'चंपी-तेल मालिश' योजना की परिकल्पना तैयार की होगी, तो निश्चित तौर पर उसके जेहन में जॉनी वॉकर का प्रसिद्ध गाना 'सिर जो तेरा चकराए, या दिल डूबा जाए....'' रहा होगा और उम्मीद होगी कि इस गाने और जॉनी वॉकर के नाम पर योजना को चमकाएंगे. तभी तो इस योजना से प्रतिवर्ष 20 लाख रुपए की अतिरिक्त आमदनी का अनुमान भी लगा लिया गया था. लेकिन उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था कि घोषणा के एक सप्ताह के भीतर ही उन्हें राजनीतिक विरोध के चलते यह योजना वापस भी लेनी पड़ेगी.
कुल मिलाकर जो यात्री ट्रेन की लंबी यात्रा के दौरान होने वाली थकावट से निजात पाने के लिए सिर की चंपी और हाथ-पैर की मालिश करवाने की प्लानिंग कर रहे थे, उन्हें अब यह मौका नहीं मिलेगा. इंदौर के नवनिर्वाचित भाजपा सांसद शंकर ललवानी और लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा भारतीय संस्कृति का हवाला देकर इस योजना का विरोध किए जाने के बाद चंपी-तेल मालिश को ट्रेनों में अव्यवहारिक बताते हुए मुंबई स्थित पश्चिम रेलवे ने आनन-फानन में योजना को बंद करने का फरमान जारी कर दिया है. इसे प्राथमिक तौर पर इंदौर से महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के लिए चलने वाली 39 रेल गाडि़यों में शुरू किया जाना था.