‘फोनी’ जिंदगी पर पहाड़ बनकर टूटा, सिर से छिन गई छत, तन ढकने के कपड़े नहीं बचे हैं
By भाषा | Published: May 13, 2019 01:43 PM2019-05-13T13:43:43+5:302019-05-13T13:43:43+5:30
तीन मई को ओडिशा पर फोनी चक्रवात का कहर टूटा, जिसने कारगिल बस्ती में रहने वाले एक हजार से ऊपर गरीब परिवारों के सामने कई संकट पैदा कर दिये हैं । इनमें करीब 45 ट्रांसजेंडर और कुछ यौन कर्मी भी हैं जो पिछले दस दिन से पाई पाई को मोहताज हैं।
शहर की दूसरी सबसे बड़ी कारगिल झुग्गी बस्ती की संकरी गलियों में कच्चे मकानों में रहने वाले ट्रांसजेंडरों और यौन कर्मियों पर ‘फोनी’ मानों पहाड़ बनकर टूटा जिनके सिर से छत छिन गई , पाई पाई जोड़कर सहेजा सारा सामान बह गया और कमाई नहीं होने से फाके करने की नौबत आ गई है।
तीन मई को ओडिशा पर फोनी चक्रवात का कहर टूटा जिसने कारगिल बस्ती में रहने वाले एक हजार से ऊपर गरीब परिवारों के सामने कई संकट पैदा कर दिये हैं । इनमें करीब 45 ट्रांसजेंडर और कुछ यौन कर्मी भी हैं जो पिछले दस दिन से पाई पाई को मोहताज हैं।
अपने गुरु और राज्य सरकार से मिलने वाली मदद पर इनकी गुजर हो रही है। हवाई अड्डे से रेलवे लाइन के बीच तीन किलोमीटर लंबी और संकरी झुग्गी बस्ती में रहने वालों में ट्रांसजेंडर और यौन कर्मी भी शामिल हैं जिनकी आजीविका ट्रेनों में भीख मांगने से चलती है।
फोनी की वजह से इनके घर उजड़ गए और राशन पानी, कपड़े लत्ते भी नहीं रहे। कई दिन ट्रेनें बंद रहने से फाकों की नौबत आ गई और फिलहाल उनके ट्रेनों में जाने पर रोक भी लगी हुई है। पूर्वी तटीय रेलवे (ईस्ट कोस्ट रेलवे) ने फोनी की आशंका के कारण एक मई को पहले चरण में ही 74 ट्रेनें रद्द कर दी थीं। अभी भी पूरी तरह से ट्रेनों की बहाली नहीं हुई है।
शहर के विवेकानंद हाई स्कूल के बाहर राहत वितरण केंद्र में राज्य सरकार से मिल रही 2000 रुपये की नकद मदद और छत की जगह पॉलिथीन लगाने के लिये 500 रुपये का इंतजार कर रही ट्रांसजेंडर रचना ने भाषा से कहा ,‘‘ आप हमारी बस्ती में पैर रखकर देखो। एक मिनट रुक नहीं सकोगे। ना बिजली है ना पानी... और गंदगी इतनी कि पूछो मत। हमारे सिर से छत चली गई और काम धंधा भी।’’
इनकी समस्याएं आम लोगों से अलग है क्योंकि इनमें से किसी के पास नौकरी नहीं है। ट्रांसजेंडर दुर्गा ने कहा ,‘‘हमें कोई काम देता ही नहीं। हमारा मजाक उड़ाते हैं सब। इसलिये ट्रेनों में भीख मांगकर ही गुजारा करना पड़ता है। फोनी के बाद ट्रेनें कई दिन नहीं चलीं और अभी भी हमें घुसने की इजाजत नहीं है। हमारे गुरु (मीरा परीडा) ने भूखे मरने से बचाया लेकिन आगे क्या होगा।’’
पिंकी किन्नर यौन कर्मी भी है, जो 800 से 1000 रुपये कमा लेती थी, लेकिन फोनी के बाद अपनी जिंदगी के तिनके समेटने की लोगों की जद्दोजहद ने उसकी आजीविका छीन ली। उसने कहा ,‘‘ जिंदगी ने वैसे ही हमें परेशानियों के सिवाय कुछ नहीं दिया। अब तूफान ने रोजी रोटी भी छीन ली। समाज में हमारी कोई इज्जत नहीं है और कोई दूसरा काम मिलता नहीं है। तन ढकने के कपड़े भी नहीं बचे हैं।
सरकार से अब मदद मिल रही है लेकिन उससे कितने दिन गुजारा होगा ।’’ ओडिशा सरकार राशन कार्ड के आधार पर लोगों को सात मई से 2500 रुपये और कुछ किलो चावल दे रही है। भुवनेश्वर में वार्ड के आधार पर 1,04,000 राशनकार्ड धारकों को मदद दी जायेगी जिसके लिये लोग तड़के ही उठकर कतार में लगे दिख जायेंगे।
बीएम हाई स्कूल पर राहत वितरण कर रहे एक अधिकारी ने बताया कि हालत इतनी खराब है कि भीषण गर्मी में कतार में खड़े लोगों का सब्र टूट जाता है और वे आपस में लड़ने लगते हैं । ऐसे में बीच बचाव करना एक अलग ही चुनौती है ।