राहुल गांधी ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में 'सुनने की कला शक्तिशाली है' विषय पर कहा, "हमें नई वैश्विक चिंताओं के बीच धैर्य और करुणा के साथ सुनने का तरीका खोजना होगा"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 2, 2023 12:40 PM2023-03-02T12:40:46+5:302023-03-02T12:48:09+5:30
राहुल गांधी ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में 'सुनने की कला शक्तिशाली है' विषय पर बात करते हुए कहा कि आज के दौर में विश्व के कई देश लोकतांत्रिक सिद्धांतों से दूरी बनाते हुए चीन के शासकीय पद्धति से प्रभावित हो रहे हैं।
लंदन: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एमबीए के छात्रों के साथ ''21वीं सदी में सुनना सीखना'' के विषय पर संवाद करते हुए कहा कि दुनिया भर के लोगों को नई तरह की चिंताओं के बीच धैर्य और करुणा के साथ सुनने का तरीका खोजना होगा। उन्होंने कहा, "सुनने की कला लगातार चिंतन और लगन से आती है और वो बहुत शक्तिशाली होती है।"
21वीं सदी में व्यवसाय और उत्पादन की प्रतिस्पर्धा को लोकतांत्रिक से मूल्यों से जोड़ते हुए राहुल गांधी ने कहा कि आज के दौर में विश्व के कई देश लोकतांत्रिक सिद्धांतों से दूरी बनाते हुए चीन के शासकीय पद्धति से प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका सहित विश्व के कई लोकतांत्रिक देशों में हाल के दशकों में निर्माण क्षेत्रों में भारी गिरावट आई है क्योंकि ज्यादातक उत्पादक व्यवस्था चीन में स्थानांतरित हो गये हैं, जिसने कारण कई देशों में लोगों के बीच बड़े पैमाने पर असमानता और क्रोध का जन्म हो रहा है। जिस पर तत्काल ध्यान देने और उसे हल करने के लिए बहुपक्षीय संवाद की आवश्यकता है।
एमबीए छात्रों से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा, "हम ऐसे किसी भी भूभाग या देश को वहन नहीं कर सकते हैं, जो अलोकतांत्रिक व्यवस्था या परिस्थितियों का निर्माण कर रहे हों। इसलिए हमें इस बारे में नई सोच की जरूरत है कि आप एक जबरदस्त तनावपूर्ण माहौल की तुलना में लोकतांत्रिक माहौल में कैसे उत्पादन करते हैं।"
राहुल गांधी के संवाद से पहले कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वाइसचांसलर और कैम्ब्रिज जज बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर कमल मुनीर ने एमबीए के छात्रों का राहुल गांधी से परिचय करवाया।
कैम्ब्रिज में राहुल गांधी के व्याख्यान और संवाद को तीन भागों में बांटा गया था। जिसकी शुरुआत 'भारत जोड़ो यात्रा' के साथ शुरू हुई। उसके बाद भारत के मूलभूत मुद्दे मसलन बेरोजगारी और बढ़ती असमानता को भी शामिल किया गया था।
वहीं राहुल गांधी के व्याख्यान के दूसरा भाग द्वितीय विश्व युद्ध की परिस्थितियों में विश्व का आंकलन और 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद से अमेरिका और चीन के रूप में दो अलग-अलग महाशक्तियों के बीच टकराव की स्थिति पर केंद्रित था।