नई दिल्ली: लोकसभा में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा बुधवार को नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने को लेकर सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम जानते हैं कि इससे सरकार नहीं गिरेगी, पर हमारे पास कोई चारा नहीं है। संसद में चल रहे मानसून सत्र में विपक्ष ने मणिपुर में जारी हिंसा को मुद्दा बनाते हुए सरकार को घेरने की कोशिश की है।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमारी मांग थी कि प्रधानमंत्री खुद आकर बोलें। पता नहीं क्यों प्रधानमंत्री नहीं बोल रहे हैं। हमें मजबूरन अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा। ये हमारी मजबूरी है। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि इससे सरकार नहीं गिरेगी, पर हमारे पास कोई चारा नहीं है। देश के प्रधानमंत्री देश के सामने आकर मणिपुर पर कोई वार्ता करें।
कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि लोकसभा में उसके सांसद गौरव गोगोई द्वारा पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) का सामूहिक प्रस्ताव है तथा इस पर प्राथमिकता के आधार पर गुरुवार को ही सदन में चर्चा आरंभ होनी चाहिए। पार्टी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने यह भी कहा कि मणिपुर के हालात ने मजबूर किया है कि यह अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए।
मनीष तिवारी ने कहा, "यह कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव नहीं बल्कि I.N.D.I.A के घटक दलों द्वारा सामूहिक तौर पर लाया गया है। पिछले 83-84 दिनों से मणिपुर में जो स्थिति बनी हुई है उस पर क़ानून-व्यवस्था चरमरा गई है, समुदाय के बीच विभाजन हो गया है। वहां सरकार नाम की चीज़ नहीं रह गई है। इन तथ्यों ने हमें अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर किया है।"
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘नियम के अनुसार जब अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा के लिए मंजूर कर लिया जाता है तो उसके 10 दिनों के भीतर सदन में चर्चा होती है। लेकिन लोकसभा की परंपरा रही है कि जब भी यह प्रस्ताव आता है तो बाकी सारे कार्यों को रोककर इस पर चर्चा होती है।’’
गौरतलब बात है कि विगत नौ वर्षों में यह दूसरा अवसर होगा जब यह सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी। इससे पहले, जुलाई, 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था। इस अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने वोट दिया था। इस बार भी संख्याबल स्पष्ट रूप से भाजपा के पक्ष में है और निचले सदन में विपक्षी दलों के 150 से कम सदस्य हैं।