EVM-VVPAT विवाद: विपक्षी दलों का हंगामा जारी, पढ़ें ईवीएम के हैक होने के दावे का सच

By स्वाति सिंह | Published: May 21, 2019 01:11 PM2019-05-21T13:11:08+5:302019-05-21T13:19:52+5:30

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले चुनाव आयोग 4125 ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों का मिलान कराता था। लेकिन अब कोर्ट के आदेश के बाद 20625 ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करना होगा।

VVPAT and EVM Controversy: Oppositions on EVM hack after Lok Sabha Election Exit Poll, Know in detail | EVM-VVPAT विवाद: विपक्षी दलों का हंगामा जारी, पढ़ें ईवीएम के हैक होने के दावे का सच

कोर्ट ने चुनाव आयोग को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 5 ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान का आदेश दिया था। 

Highlightsदेश भर के अलग-अलग हिस्सों से स्ट्रॉग रूम की कुछ शिकायतें आ रही हैं। विपक्षी पार्टियों के कुछ नेता ने ईवीएम बदलने की कोशिश का आरोप लगाया हैचुनाव आयोग ने इस खबर को सिरे से खारिज किया है।

लोकसभा चुनाव 2019के नतीजों से EVM के मुद्दे ने राजनीतिक रंग ले लिया है। देश भर के अलग-अलग हिस्सों से स्ट्रॉग रूम की कुछ शिकायतें आ रही हैं। विपक्षी पार्टियों के कुछ नेता ने ईवीएम बदलने की कोशिश का आरोप लगाया है, हालांकि चुनाव आयोग ने इस खबर को सिरे से खारिज किया है। बीते महीने चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी और कांग्रेस सहित 21 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में 50 फीसदी ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों का औचक मिलान कराए जाने को लेकर गुहार लगाई थी। जिसके बाद कोर्ट ने चुनाव आयोग को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 5 ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान का आदेश दिया था। 

चुनाव आयोग के निर्देश के मुताबिक अब तक प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ एक ईवीएम की वीवीपैट पर्चियों की जांच होती थी लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे बढ़ाकर 5 कर दिया। हालांकि विपक्षी दल इस आदेश से संतुष्ट नहीं हुए उनकी मांग सभी निर्वाचन क्षेत्र में 50 फीसदी या 125 पोलिंग बूथ पर वीवीपैट पर्चियों की जांच की थी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले चुनाव आयोग 4125 ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों का मिलान करता था। लेकिन अब कोर्ट के आदेश के बाद 20625 ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करना होगा।

क्या है वीवीपैट? 

वीवीपैट यानी वोटर वेरीफायएबल पेपर ऑडिट ट्रेल से वोट डालने के बाद एक पर्ची निकलती है जो मतदाता को मिलती है। इस पर्ची में वोट दिए गए उम्मीदवार का नाम और उसकी पार्टी का नाम चुनाव चिन्ह आदि की सूचना होती है। एक प्रकार से इस पर्ची को मतदाता के मतदान का प्रमाण माना जाता है। वीवीपैट का इस्तेमाल सबसे पहले सितंबर 2013 में नागालैंड के चुनाव में हुआ था। 

क्या है ईवीएम?

भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल सबसे पहले आंशिक रूप से 1999 में शुरू हुआ तथा 2004 से इसका पूर्ण इस्तेमाल हो रहा है। ईवीएम से पुरानी प्रणाली की तुलना में वोट डालने के समय में कमी आती है। इसके साथ ही यह कम समय में परिणाम घोषित करती है। इसके अलावा ईवीएम के इस्तेमाल से जाली मतदान तथा बूथ कैप्चरिंग की घटनाओं में काफी हद तक कमी आई है। इसके अलावा ईवीएम से अशिक्षित लोगों को भी वोट डालने में आसानी होती है। 

जब बीजेपी ने उठाए थे ईवीएम पर सवाल

चुनाव आयोग के मुताबिक ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित और भरोसेमंद है। उनका कहना है कि इसके साथ किसी भी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। बावजूद इसके कई विपक्षी पार्टियां वर्षों से अक्सर अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर ही फोड़ती रही हैं। 

मौजूदा सरकार इस वक्त ईवीएम को सुरक्षित बता रही है लेकिन विपक्ष में रहते हुए बीजेपी ने भी इसपर पर सवाल उठाए थे। बीजेपी नेता जीवीएल नरसिम्हा राव ने ईवीएम को लेकर एक किताब लिखी थी। यह किताब साल 2010 में पब्लिश हुई थी। इसका नाम 'Democracy At Risk! Can We Trust Our Electronic Voting Machines? (खतरे में है लोकतंत्र! क्या हम अपनी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर भरोसा कर सकते हैं?) था।  

इन देशों में बैन है ईवीएम 

ईवीएम का इस्तेमाल कई देशों ने शुरू किया था। लेकिन सिक्योरिटी और लगातर मशीनों पर सवाल उठने के कारण वापस बैलट पेपर लौट चुके हैं। इसमें नीदरलैंड, इटली ऐसे देश हैं जिन्होंने ईवीएम पर बैन लगा दिया है। जबकि जर्मनी, इंग्लैंड और फ्रांस में ईवीएम और वीवीपैट का कभी इस्तेमाल नहीं हुआ। इसके अलावा अमेरिका जैसे देश के कई राज्यों में ईवीएम पर बैन है।

पहले बैलट पेपर से कराए जाते थे मतदान 

1999 के लोकसभा चुनावों से पहले भारत में पारंपरिक और पुराने तरीके बैलट पेपर से मतदान कराए जाते थे। यह बेहद धीमी और ज्यादा समय लेने वाली प्रक्रिया थी। चुनाव परिणाम घोषित करने के लिए मतपत्रों की गिनती करनी होती थी, जिसमें काफी समय लगता था। इसके साथ ही कई बार वोटिंग पेपर और मतपेटियां लूटने की ख़बरें भी सामने आती रहती थीं।

ईवीएम हैकिंग के लग चुके हैं आरोप

इसी साल जनवरी महीने में लंदन में आयोजित एक कार्यक्रम में सैयद शुजा नाम के हैकर ने ईवीएम को हैक करने का दावा किया था। इस कार्यक्रम को यूरोप में स्थित इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन की ओर से आयोजित किया गया था। कथित हैकर ने दावा किया कि वो भारत में चुनावों के दौरान ईवीएम हैक कर चुका है लेकिन उसने इसका कोई प्रामाणिक सबूत सामने नहीं रखा। यह कार्यक्रम इसलिए चर्चित हो गया क्योंकि इसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल भी मौजूद थे। उनकी मौजदूगी पर बीजेपी ने कड़ा एतराज जताया था।

इसके अलावा आम आदमी पार्टी शुरू से यह कहती है रही है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है। 2017 में आप नेता सौरभ भारद्वाज ने सबसे पहले यह दावा किया था। उन्होंने दिल्ली विधानसभा में ईवीएम जैसी ही मशीन को हैक करके दिखाया था। उस समय भी चुनाव आयोग ने कहा था कि आप नेता जिस मशीन को हैक किया है वह ईवीएम नहीं है और ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित है।

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