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विवेक तन्खा ने सीतारमण को पत्र लिखकर बीमा दावों के जल्द निपटारे का किया अनुरोध

By भाषा | Updated: May 23, 2021 21:24 IST

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नयी दिल्ली, 23 मई कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कोविड-19 महामारी में लोगों की मदद करने के लिए अन्य उपायों के अलावा बीमा दावों के निपटारे की प्रक्रिया में वर्तमान में लगने वाले छह महीने के समय को जितना अधिक संभव हो कम करने की मांग की है।

तन्खा ने कोविड-19 के चलते जान गंवाने वालों के परिवारों के लिए कर्ज किश्त चुकाने पर रोक की योजना का भी सुझाव दिया है।

तन्खा ने पत्र में कहा, ‘‘यह हमारे देश के इतिहास में एक संकट वाला समय है, जिसमें दुर्भाग्य से प्रतिदिन लोगों की जान जा रही है और हमारी मौजूदा स्वास्थ्य प्रणाली की अपर्याप्तता ने स्थिति को और गंभीर कर दिया है।’’

उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि आम जनता की पीड़ा को कम करने के लिए कदम उठाये जाएं।

तन्खा ने कहा, ‘‘इस संबंध में, ऋण की अदायगी और बीमा दावों का भुगतान शायद, दो सबसे महत्वपूर्ण वित्तीय प्रश्न हैं, जिनका आम आदमी सामना करता है।’’

उन्होंने कहा कि भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) और सभी बीमा कंपनियों में सभी दावों और संबंधित दस्तावेजों को केवल ऑनलाइन माध्यम से स्वीकार करने और संसाधित करने के लिए आवश्यक ऑनलाइन बुनियादी ढांचा और प्लेटफॉर्म होना चाहिए।

तन्खा ने दावों के निपटारे की प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने का सुझाव दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान स्थिति को देखते हुए, आपके कार्यालयों को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाना चाहिए कि वर्तमान प्रणाली जारी न रहे, क्योंकि इरडा के नियम दावों के निपटारे के लिए अधिकतम छह महीने का समय निर्धारित करते हैं, जिसे वर्तमान समय में बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसकी अनिवार्य समीक्षा और निवारण की आवश्यकता है क्योंकि परिवारों को 6 महीने तक अधर में नहीं छोड़ा जा सकता है और ऐसी स्थिति में बिल्कुल भी नहीं जब मृतक अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला हो।’’

मध्यप्रदेश से राज्यसभा सदस्य तन्खा ने कहा कि चूंकि कुछ बीमा कंपनियां वर्तमान में दावे दायर करने पर अंतरिम लाभ प्रदान कर रही हैं, यदि इसे सभी जगह लागू कर दिया जाए और उन मामलों में अनिवार्य कर दिया जाए जिसमें कोविड-19 के चलते मौतों का मामला है, तब आम आदमी को लगेगा कि सरकार ने कुछ सहयोग किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि महामारी के कारण जान गंवाने वाले व्यक्तियों के आश्रितों के लिए कर्ज किश्त चुकाने पर रोक की योजना शुरू की जानी चाहिए।

तन्खा ने 18 मई को लिखे पत्र में कहा है कि आजकल अधिकतर ऋण 'सेक्योर प्लांस' (उधार लेने वाले की मृत्यु के मामले में ऋण राशि को कवर करने वाली सामान्य बीमा योजना) के साथ कवर किए जाते हैं, इसलिए यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक ही मंत्रालय की दो इकाइयों में समानता नहीं हैं, वह है इरडा और आरबीआई।

उन्होंने कहा, ‘‘इरडा बीमा कंपनियों को मृत्यु के मामले में बीमा मामलों के निपटारे के लिए 6 महीने का समय प्रदान कर रहा है, जबकि आरबीआई ने मृतक के परिवार को एक दिन की मोहलत देने से इनकार कर दिया है, यहां तक ​​कि उसे भी जिनके ऋण बीमा के तहत कवर हैं।’’

उन्होंने कहा कि इसलिए समेकित प्रयासों और हस्तक्षेप की आवश्यकता है ताकि वित्त मंत्रालय के विभिन्न खंड स्वयं और अलग न हों और यह जरूरी है कि सभी पॉलिसीधारकों/नामितियों के साथ-साथ उन सभी को वित्तीय सहायता का समय पर वितरण सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक कदम उठाए जाएं जिन्होंने ऋण लिया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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