विजय दिवस: भारतीय एयरफोर्स ने कैसे कुछ ही मिनटों में बदल दिया था 1971 युद्ध का रुख, पाकिस्तान ने टेके घुटने, हुआ बांग्लादेश का गठन

By अभिषेक पाण्डेय | Published: December 12, 2019 04:16 PM2019-12-12T16:16:33+5:302019-12-12T16:16:33+5:30

Vijay Diwas: भारतीय वायुसेना के 14 दिसंबर 1971 को दिखाए अदम्य साहस ने ही 1971 युद्ध का रुख भारत के पक्ष में मोड़ दिया था

Vijay Diwas: Story of Bravery of Indian Air Force on 14th December 1971, which made Bangladesh formation easier | विजय दिवस: भारतीय एयरफोर्स ने कैसे कुछ ही मिनटों में बदल दिया था 1971 युद्ध का रुख, पाकिस्तान ने टेके घुटने, हुआ बांग्लादेश का गठन

भारतीय वायुसेना ने 1971 के युद्ध का रुख महज कुछ ही मिनटों में बदलकर रख दिया था (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlights16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारत के सामने किया था आत्मसमर्पणपाकिस्तान की हार के साथ ही बांग्लादेश के रूप में एक नए राष्ट्र का उदय हुआ

बांग्लादेश के पूर्वी पाकिस्तान से एक आजाद देश बनने के सफर में भारत ने अहम भूमिका निभाई थी। 1947 में भारत के बंटवारे के बाद बने 1947 में बने पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच शुरू से ही भाषायी आधार पर जातीय तनाव था। 

बांग्लादेश के जनक माने जाने वाले और 'बंगबंधु' के नाम से विख्यात शेख मुजीब उर रहमान ने 25 मार्च 1971 की आधी रात को पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी की घोषणा कर दी और वहां 'मुक्ति युद्ध' शुरू हो गया। 

इस विद्रोह को दबाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने 'ऑपरेशन सर्चलाइट' चलाते हुए जुर्म की सभी इंतेहा पार कर दी और पूर्वी पाकिस्तान में उसके अभियान में एक लाख से ज्यादा लोगों का नरसंहार हुआ।

भारतीय वायुसेना की बहादुरी ने पलट दिया था 1971 युद्ध का रुख

भारतीय सेना ने जिस अंदाज में पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया वह बड़ी ही दिलचस्प कहानी है। भारतीय सेना ने 14 दिसंबर 1971 को महज तीन मिनट में ही कुछ ऐसा कर दिखाया था, जिसके बाद पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण करने में देर नहीं लगाई थी। 

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना द्वारा 14 दिसंबर 1971 को महज 'तीन मिनट' में ही पाकिस्तान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करने का किस्सा बेहद रोचक है। पूर्वी पाकिस्तान के गवर्नर डॉक्टर एएम मलिक 14 दिसंबर को ढाका स्थित सर्किट हाउस में एक बैठक करने वाले थे, जिसमें पाकिस्तानी प्रशासन के सभी आला अधिकारियों को हिस्सा लेना था। 

भारतीय सेना ने ढाका में होने वाली इस बैठक पर बमबारी करते हुए पाकिस्तानी प्रशासन की निर्णय लेने की क्षमता को ही समाप्त करने का फैसला किया। गुवाहाटी में मौजूद भारतीय एयरफोर्स के विंग कमांडर बीके बिश्नोई को ढाका के सर्किट हाउस पर हमला करने का आदेश दिया गया। बिश्नोई को इसके लिए कोई स्पष्ट नक्शा न देकर महज एक टूरिस्ट मैप दिया गया। 

भारतीय वायुसेना ने 14 दिसंबर 1971 को तबाह किया था ढाका का गवर्नर हाउस

बिश्नोई के मुताबिक उस समय हमले के लिए महज 24 मिनट का वक्त था और इनमें से 21 मिनट तो गुवाहाटी से ढाका पहुंचने में ही लग जाते। इस बीच बिश्नोई को फिर संदेश दिया गया कि अब लक्ष्य सर्किट हाउस न होकर गवर्नर हाउस है।

इस बीच पश्चिमी कमांड ने विंग कमांडर एसके कौल को भी ढाका के गवर्नर हाउस को नेस्तनाबूत करने का फरमान दे दिया। कौल को भी नक्शे के नाम पर एक टूरिस्ट मैप ही मिला।  इस बीच विंग कमांडर बीके विश्नोई ढाका पहुंच चुके थे। उनके एक साथी पायलट ने जल्द ही गवर्नर हाउस हाउस खोज निकाला। 

इस बीच गवर्नर हाउस में गवर्नर डॉक्टर एएम मलिक अपने मंत्रिमंडल के साथ चर्चा कर रहे थे। तभी संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिनिधि जॉन केली भी वहां आ पहुंचे। केली ने मलिक को पद छोड़ने की सलाह देते हुए कहा कि मुक्तिवाहिनी उन्हें निशाना बना सकती है। लेकिन मलिक ने पद छोड़ने से साफ इनकार कर दिया। 

अभी ये बैठक चल ही रही थी कि गवर्नर हाउस दहल उठा और विंग कमांडर बिश्नोई के छोड़े रॉकेट भवन पर आकर गिरने लगे। बिश्नोई के नेतृत्व में उड़ रहे चार मिग-21 विमानों ने पलक झपकते हुए गवर्नर हाउस पर 128 रॉकेट दागे। इस बीच जी बाला के नेतृत्व में दो और मिग-21 विमानों ने भी वहां रॉकेट दागे।

इस हमले से गवर्नर हाउस में भगदड़ मच गई और लोग जान बचाकर इधर-उधर भागने लगे। गवर्नर मलिक और उनके सहयोगी जान बचाने के लिए एक बंकर में घुस गए थे। उधर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि केली जोकि बमबारी के बाद वहां से एक मील दूर अपने दफ्तर में चले गए थे, दोबारा मलिक से मिलने पहुंचे। लेकिन वह अब भी इस्तीफा देने को तैयार नहीं थे और अपने सहयोगियों से विचार-विमर्श कर रहे थे। 

भारतीय सेना की बहादुरी के आगे पाकिस्तान हुआ आत्मसमर्पण को मजबूर

लेकिन महज 45 मिनट के अंदर गवर्नर हाउस पर विंग कमांडर एसके कौल की अगुवाई में एक और हमला हुआ। इस बार बमबारी के साथ ही गोलियां भी चलाई गईं। इस हमले के बाद गवर्नर मलिक ने इस्तीफा दे दिया और उनके इस्तीफे के साथ ही पाकिस्तान की आखिरी सरकार का भी अंत हो गया।   

भारत के इस जोरदार हमले ने पाकिस्तान को झुकने पर मजबूर कर दिया और आखिरकार 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और बांग्लादेश के रूप में एक नए देश के उदय का रास्ता साफ हो गया। इस दिन को भारतीय सेना अपने विजय दिवस के रूप में भी मनाती है। लेकिन 14 दिसंबर को भारतीय एयरफोर्स के अदम्य साहस के उन कुछ घंटों ने इस युद्ध का रुख हमेशा के लिए मोड़ दिया था।   

Web Title: Vijay Diwas: Story of Bravery of Indian Air Force on 14th December 1971, which made Bangladesh formation easier

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे